भारत से यूरोप को डीजल निर्यात सितंबर में संभवत: रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। शिप ट्रैकर और व्यापार के सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि कारोबारियों ने पश्चिम देशों में रिफाइनरियों को रखरखाव का सत्र शुरू होने के कारण जबरदस्त लाभ कमाया।
एलएसईजी, केप्लर और दो व्यापार सूत्रों ने बताया कि बाजार में उतार-चढ़ाव होने पर एशिया के प्रमुख आपूर्तिकर्ता से यूरोप को आपूर्ति बढ़कर 13 लाख टन से 14 लाख टन (97 से 104 लाख बैरल हुई) हो गई। शिपट्रैकिंग के आंकड़ों के मुताबिक इन आंकड़ों का संकलन 2017 से शुरू हुआ और इस साल के बाद भारत का यूरोप को निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
भारत के रिफाइनर एक तिहाई कच्चे तेल की आपूर्ति रूस से प्राप्त करते हैं। वे अधिशेष उत्पाद निर्यात कर रहे हैं और मुनाफा बढ़ा रहे हैं। भारत से गेसोलिन और डीजल की खेप कई वर्षों के उच्च रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। केप्लर शिपट्रैकिंग के आंकड़ों के अनुसार भारत का यूरोप को डीजल निर्यात पांच साल के उच्च स्तर 30 लाख टन पर पहुंच गया था।
एलएसईजी के प्राइसिंग आंकड़ों के अनुसार सितंबर में पूर्वी और पश्चिमी यूरोप में डीजल का औसत मूल्य 45 डॉलर प्रति टन रहा जो अगस्त में 30 डॉलर प्रति टन रहा। इस मूल्य ने व्यापारियों को यूरोप की मार्केट की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित किया।
व्यापारियों ने बताया कि यूरोप में रिफाइनरियों के रख रखाव का सत्र शुरू होने के कारण आपूर्ति कम हुई और डीजल के दाम मजबूत हुए। माल ढुलाई की 10 डॉलर प्रति टन कम हो गई है।