अमेरिकी सीनेट की न्यायपालिका समिति ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और कॉग्निजेंट को ईमेल भेज कर अमेरिका में उनकी नियुक्ति एवं छंटनी की प्रक्रियाओं के बारे में सवाल पूछा है। यह कवायद ऐसे समय में की जा रही है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एच1-बी वीजा में सुधार के इरादे से इसके नियमों में परिवर्तन किया है।
खबरों के मुताबिक, ईमेल ऐपल, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट, टीसीएस, कॉग्निजेंट, गूगल, डेलॉट और अन्य कंपनियों को भेजा गया है। ईमेल सीनेट न्यायपालिका समिति के अध्यक्ष सीनेटर चार्ल्स ग्रैसली और सीनेटर रिचर्ड जे डर्बिन ने भेजा है।
हालांकि, बिज़नेस स्टैंडर्ड ने टीसीएस और कॉग्निजेंट को भेजे गए ईमेल को देखा है, लेकिन अन्य कंपनियों को भेजे गए ईमेल के बारे में स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है। कंपनियों के मुख्य कार्य अधिकारी को भेजे गए ईमेल में इन कंपनियों से उनके एच-1बी वीजा नियुक्ति प्रथाओं के बारे में सवाल किया गया है और उनसे 10 अक्टूबर तक जवाब मांगा गया है।
टीसीएस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी के कृत्तिवासन को भेजे गए ईमेल
में समिति ने कहा है कि अमेरिकी प्रौद्योगिकी कर्मचारियों की उच्च रोजगार दर का मूल्यांकन करते वक्त हम पिछले कुछ वर्षों में आपके और आपके वरिष्ठ साथियों द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर छंटनी को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
कॉग्निजेंट के मुख्य कार्य अधिकारी रवि कुमार को भेजे गए इसी तरह के ईमेल में सीनेटर ने कहा है, ‘पिछले साल, एक संघीय जूरी ने पाया कि कॉग्निजेंट ने अमेरिकी कर्मचारियों की बजाय दक्षिण एशियाई एच1 बी कर्मचारियों को तरजीह देकर जानबूझकर नस्ल-आधारित भेदभाव किया। जूरी ने यह भी पाया कि कॉग्निजेंट के इस आचरण के लिए दंडात्मक हर्जाना देना उचित है।’
हालांकि, इस बारे में पूछे जाने पर टीसीएस और कॉग्निजेंट ने कोई जवाब नहीं दिया।