भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के अध्यक्ष रवि मित्तल ने बुधवार को कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) और धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के बीच इंटरफेस से संबंधित समस्याओं का समाधान कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों से निपटने के तरीके के बारे में विस्तृत जानकारी देने वाला एक सर्कुलर एक महीने के भीतर जारी होने की उम्मीद है।
दिवाला नियामक के नौवें वार्षिक दिवस समारोह में मित्तल ने कहा, ‘हमने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ चर्चा की है। हम एक ऐसे समाधान पर पहुंचे हैं जो अच्छा होगा और दोनों कानूनों की पवित्रता को बनाए रखेगा।’
आईबीसी और पीएमएलए में अक्सर टकराव तब होता है, जब किसी कंपनी की संपत्ति दिवाला में होती है और वही संपत्ति ईडी ने धनशोधन गतिविधियों में जब्त कर रखी होती है।
समाधान आवेदक को आईबीसी साफ सुधरी संपत्ति देने का वादा करता है, जिसका मकसद दिवाला कार्रवाई के बाद दबाव वाली कंपनियों का बेहतर समाधान
करना है।
आईबीबीआई के प्रमुख ने यह भी कहा कि आईबीसी को लेकर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों को भी संज्ञान में लिया गया है और 2 से 3 महीने के भीतर शीर्ष न्यायाल के सभी सुझावों को लागू करने के लिए कार्रवाई की जाएगी।
उच्चतम न्यायालय ने अपने हाल के फैसले में रियल एस्टेट दिवाला के पुनर्गठन का आह्वान करते हुए रियल एस्टेट दिवाला मामलों को स्वीकार करने में सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया है, ताकि घर के वास्तविक खरीदारों और सट्टा के लिए निवेश करने वालों के बीच अंतर किया जा सके।