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अगस्त 2025 तक फसल बीमा प्रीमियम में 30% से ज्यादा की गिरावट, आक्रामक मूल्य नीति जिम्मेदार

फसल बीमा की अग्रणी कंपनी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया का प्रीमियम भी इस दौरान 4 प्रतिशत गिरकर 2,539.29 करोड़ रुपये रह गया है

Last Updated- October 02, 2025 | 11:48 PM IST
Crop Insurance

उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक अगस्त 2025 तक फसल बीमा प्रीमियम में 30 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। इसकी वजह कुछ ढांचागत बदलाव और बीमाकर्ताओं द्वारा आक्रामक मूल्य नीति है।

जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल से अगस्त के दौरान फसल बीमा प्रीमियम संग्रह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 34.29 प्रतिशत घटकर 6,781 करोड़ रुपये रह गया है। फसल बीमा की अग्रणी कंपनी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया का प्रीमियम भी इस दौरान 4 प्रतिशत गिरकर 2,539.29 करोड़ रुपये रह गया है।

अधिकारी ने कहा, ‘मौजूदा ढांचे वाले फसल बीमा मॉडल की वजह से आक्रामक रूप से मूल्य निर्धारण हो रहा है। हालांकि बीमाकर्ता इसकी खामियों को पहचानते हैं, लेकिन प्रतिस्पर्धियों के दबाव और प्रबंधन व्यय (ईओएम) के कारण नुकसान पहुंचाने वाले कारोबार की भागीदारी बढ़ रही है।

कम प्रीमियम पर मौजूदा 80:110 ढांचा व्यावहारिक नहीं है। हालांकि इस व्यवसाय में भाग नहीं लेने वाले कई बीमाकर्ताओं ने भी अपने ईओएम के प्रबंधन के लिए आक्रामक रूप से भाग लेना शुरू कर दिया है।’ व्यक्ति ने कहा, ‘इसके साथ ही फसल बीमा सामान्यतया 3 साल की होती है, लेकिन कुछ राज्यों ने 2 साल के अंत में टेंडरिंग शुरू कर दी है।

इसके साथ ही आक्रामक मूल्य नीति की वजह से इस बार प्रीमियम में तेज गिरावट आई है। महाराष्ट्र की फसल बीमा योजना का प्रीमियम 9,000 करोड़ रुपये से गिरकर इस बार करीब 3,000 करोड़ रुपये रह गया है। इस बात की संभावना है कि अन्य राज्य बी यही तरीका अपनाएं, जिससे प्रीमियम में तेज गिरावट आ सकती है।’

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मुताबिक इस योजना के तहत भारत में किसान के लिए प्रति हेक्टेयर बीमित राशि का निर्धारण जिला स्तर की तकनीकी समिति और राज्य स्तर की समिति द्वारा पहले की गई घोषणा के मुताबिक होता है। उसके बाद किसान के लिए कुल बीमित राशि की गणना विभिन्न इलाकों की अधिसूचित फसल के मुताबिक होती है।

First Published - October 2, 2025 | 11:44 PM IST

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