केंद्रीय यातायात मंत्री नितिन गडकरी ने लॉजिस्टक्स की लागत घटाने के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेथनॉल ट्रक और मेथनॉल मिश्रित डीजल की वकालत की। इससे जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता कम होगी।
गडकरी ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘अब मेथनॉल ट्रक की संख्या बढ़ रही है जो उपलब्धि है। पेट्रोलियम मंत्रालय 15 फीसदी मेथनॉल मिश्रिति डीजल की नीति बनाने के लिए कार्य कर रहा है। हमने (यातायात मंत्रालय) ने सिफारिशें भेज दी हैं।’
मंत्री को असम में मेथनॉल अर्थव्यवस्था की सफलता की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘असम पेट्रोकेमिकल्स एक दिन में 100 टन मेथेनॉल तैयार कर रहा है। मैंने असम के मुख्यमंत्री से पूछा है कि क्या राज्य में ट्रकों को मेथनॉल ट्रकों में बदला जा सकता है। इससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी।’
मेथनॉल एक निम्न कॉर्बन, हाइड्रोजन वाहक ईंधन है। यह कोयले की राख, कृषि अवशेषों और थर्मल पावर प्लांटों और प्राकृतिक गैस की कार्बनडॉइआक्साइड से बनता है।
सरकार की नीति बनाने वाला निकाय नीति आयोग ने मेथनॉल अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए रोडमैप तैयार किया है। आयोग ने कहा, ‘गैसोलीन में 15 फीसदी मेथनॉल के मिश्रण से कच्चे तेल / गैसीलोन का 15 फीसदी कम आयात करना पड़ेगा। इससे जीएचजी के उत्सर्जन में 20 फीसदी की कमी आएगी। इससे नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड में गिरावट आएगी और शहरी क्षेत्र की वायु गुणवत्ता सुधरेगी।’
मंत्री ने बताया कि डीजल की तुलना में एक चौथाई मेथनॉल की लागत आती है। ट्रक को ईंधन बदलने पर फायदा होगा। उन्होंने हाल ही में घोषणा की थी कि ट्रकों में एसी कैबिन होंगे और इस सिलसिले में नियामक भी बनाए गए हैं।
एक लाख करोड़ रुपये की लागत वाला दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे 62 फीसदी पूरा हो चुका है और इसके 2024-25 तक पूरा होने की उम्मीद है। दिल्ली – अमृतसर – कटरा एक्सप्रेस वे 2025-26 तक पूरा होने की उम्मीद है और इसके बनाने पर 37,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
कई सड़कों पर तीव्र मोड़ और सड़क सुरक्षा पर मंत्री ने कहा कि कई सड़कों का निर्माण त्रुटिपूर्ण है। उन्होंने बताया कि कई त्रुटिपूर्ण परियोजनाओं की पुन: जांच शुरू कर दी गई है।