मुंबई में हुए बिज़नेस स्टैंडर्ड BFSI Summit 2025 में बैंक जूलियस बेयर एंड कंपनी के एशिया हेड ऑफ रिसर्च और एमडी मार्क मैथ्यूज ने ग्लोबल मार्केट्स, उभरती अर्थव्यवस्थाओं और भारत की भूमिका पर बात की। उन्होंने कहा कि 2025 साल उम्मीद से ज्यादा चौंकाने वाला रहा है।
मैथ्यूज ने कहा कि उन्हें लगा था 2025 बाजारों के लिए मुश्किल साल होगा, क्योंकि S&P 500 इंडेक्स ने 2023 और 2024 में लगातार 25% की बढ़त दिखाई थी। उन्होंने कहा, “मुझे लगा था कि अब बाजार को थोड़ा रुकना चाहिए, लेकिन इस साल भी S&P 500 करीब 17% बढ़ गया है और दूसरे उभरते बाजार 30% से ज्यादा ऊपर चले गए हैं।” उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “अब अगले साल का अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल हो गया है।”
मैथ्यूज ने कहा कि इस साल भारत के शेयर बाजार ने 11–12% का रिटर्न दिया है, जो अच्छा है, लेकिन चीन जैसे देशों की तेज वापसी की वजह से भारत का प्रदर्शन थोड़ा धीमा दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि भारत कमजोर नहीं है, बस बाकी देशों की तेजी के कारण थोड़ा पीछे दिख रहा है। मैथ्यूज का मानना है कि आने वाले समय में भारत फिर से मजबूत रफ्तार पकड़ सकता है। उन्होंने कहा, “ब्याज दरों में राहत, GST और इनकम टैक्स में छूट, और बेहतर आर्थिक आधार की वजह से 2027 तक भारत की कमाई फिर से दो अंकों की वृद्धि में जा सकती है।”
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मैथ्यूज ने हंसते हुए कहा, “हां, इस साल भारत का बाजार थोड़ा उबाऊ रहा है।” लेकिन उन्होंने तुरंत जोड़ा, “ऐसा रुकना या ठहराव असल में भारत के लिए अच्छा होता है, क्योंकि भारत हमेशा गिरावट के बाद और मजबूती से आगे बढ़ता है।” उन्होंने 1991 के आर्थिक सुधारों का उदाहरण देते हुए कहा, “हर मुश्किल समय के बाद भारत और मजबूत बनकर निकला है।”
मैथ्यूज ने कहा कि अमेरिका के शेयर बाजार में कोई बबल नहीं है। उन्होंने बताया, “AI से जुड़ी कंपनियां जैसे Nvidia अभी भी 33 गुना फॉरवर्ड अर्निंग पर ट्रेड कर रही हैं, जो साल 2000 के डॉट-कॉम बबल के समय के 50 गुना मूल्यांकन से काफी कम है।”
उन्होंने कहा, “AI में निवेश दुनिया के लिए फायदेमंद है, लेकिन बड़ी टेक कंपनियों (Hyperscalers) के लिए यह थोड़ा जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि वे इसमें बहुत ज्यादा पैसा पहले से खर्च कर रही हैं।” हालांकि उन्होंने जोड़ा, “बाकी दुनिया को इन कंपनियों की मेहनत का फायदा मिलेगा, जैसे हमें इंटरनेट से फायदा हुआ था – बिना उसमें सीधे निवेश किए।”
भारत के भविष्य पर बात करते हुए मैथ्यूज ने कहा, “भारत की सबसे बड़ी ताकत उसके लोग और उनकी ऊर्जा हैं।” उन्होंने बताया कि भारत की कामकाजी आबादी (working-age population) 2018 से लगातार बढ़ रही है और यह फायदा साल 2060 तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा, “यह एक ऐसा जनसंख्या लाभ (demographic advantage) है, जो इस समय किसी और बड़े देश के पास नहीं है।” मैथ्यूज ने आगे कहा, “भारत के लोगों में ‘कर सकता हूं’ (Can-do) वाला जोश है। यही जज्बा, जुगाड़ और नई सोच (innovation) भारत को दुनिया से अलग बनाता है।”
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मैथ्यूज़ ने कहा, “भारत न अमेरिका से पीछे है, न चीन से। भारत बस थोड़ा ठहरकर सांस ले रहा है, ताकि आने वाले समय में फिर तेज़ी से आगे बढ़ सके।” उन्होंने कहा कि अगले 12 महीनों में करीब 15% रिटर्न मिलने की उम्मीद है, और 2027 तक भारत की कमाई (earnings) में 16–18% की बढ़ोतरी हो सकती है।
अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड टैक्स (टैरिफ) पर मैथ्यूज ने कहा, “यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए कोई बड़ा मामला नहीं है। भारत के अमेरिका को होने वाले निर्यात देश के GDP का सिर्फ 2–3% हैं। उन्होंने कहा, “यह मुद्दा आर्थिक से ज्यादा राजनीतिक है।”
मैथ्यूज का मानना है कि कमोडिटीज (जैसे तेल, धातु आदि) लंबे समय के लिए मंदी (bear market) में हैं, जिससे उपभोक्ताओं और कंपनियों दोनों को फायदा होगा। लेकिन उन्होंने कहा, “सोना हमेशा भरोसेमंद रहेगा। पिछले 100 सालों में सोने ने डॉलर में लगभग 5% वार्षिक रिटर्न दिया है। यह मुद्रास्फीति (inflation) और अंतरराष्ट्रीय तनाव (geopolitical tension) के समय सुरक्षा का सबसे अच्छा साधन है।”
मैथ्यूज ने कहा, “भारत में बजट को लेकर जो इतना उत्साह दिखाया जाता है, वह जरूरत से ज्यादा है। सरकार को चाहिए कि निजी कंपनियों को कमाने और आगे बढ़ने की आजादी दे।” उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी निवेश पर टैक्स भारत में अभी बहुत ज्यादा है, और अगर भारत को बाकी उभरते देशों से मुकाबला करना है, तो इस टैक्स को कम करना जरूरी होगा।
मैथ्यूज ने कहा, “अगर किसी ने 2005 में भारत में $100 निवेश किए होते, तो आज उसकी कीमत लगभग $1,800 होती। जबकि चीन में यह सिर्फ $300 और अमेरिका में $2,700 होती।”
उन्होंने कहा, “भारत न ज्यादा महंगा है, न नजरअंदाज किया गया है। यह बस शांत होकर अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। जनसंख्या, स्थिर नीतियां और ‘कैन-डू’ (कर सकता हूं) जज्बा – इन सबके साथ भारत की कहानी अभी खत्म नहीं, बल्कि और मजबूत हो रही है।”
