भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि नियामक वित्तीय बाजारों में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल को बढ़ावा देने, साइबर मजबूती और संस्थाओं को क्वांटम तत्परता के लिए तैयार करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में पांडेय ने कहा कि एल्गोरिथम ट्रेडिंग से लेकर निवेश निर्णयों तक तकनीक बाजार की कार्यप्रणाली को नए सिरे से परिभाषित करती रहेगी। उन्होंने कहा, सही मायने में लचीलापन दूरदर्शिता में निहित है, यानी रुझानों को पहले से भांपने, जोखिमों का अनुमान लगाने और सिस्टम को झटकों का सामना करने के लिए तैयार करने की क्षमता। सेबी और बाजार संस्थानों दोनों के भीतर ऐसी क्षमता का निर्माण हमारी प्रमुख प्राथमिकता रहेगी।
सेबी प्रमुख ने कहा कि भारत के पूंजी बाजार आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख स्तंभ बन गए हैं, जो उन सुधारों पर आधारित हैं जिन्होंने उन्हें अधिक कुशल, समावेशी और लचीला बनाया है। उन्होंने कहा कि भारत की वित्तीय प्रणाली अब एक परस्पर जुड़े हुए इकोसिस्टम के रूप में कार्य करती है, जो बैंकों, कंपनियों, म्युचुअल फंडों, बीमा कंपनियों, पेंशन फंडों और फिनटेक को लेन-देन के एक जाल के माध्यम से जोड़ती है।
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उन्होंने वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) के माध्यम से समन्वय की आवश्यकता पर जोर देते हुए आगाह किया कि ये जुड़ाव दक्षता लाते हैं और पूंजी तक पहुंच बढ़ाते हैं, लेकिन ये व्यवस्था को और जटिल भी बनाते हैं। एक क्षेत्र में व्यवधान दूसरे क्षेत्र में तेजी से फैल सकता है। पांडेय ने कहा कि बदलती व्यापार नीतियों, बढ़ते कर्ज और भू-राजनीतिक तनाव जैसी वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की वित्तीय प्रणाली स्थिर बनी हुई है। उन्होंने कहा कि यह लचीलापन वृद्धि को बढ़ावा देते हुए स्थिरता बनाए रखने के लिए नियामकों और बाजार सहभागियों की साझा प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करता है।
उन्होंने भारत के पूंजी बाजारों की बढ़ती पहुंच पर प्रकाश डाला, जहां यूनिक इन्वेस्टर्स की संख्या वित्त वर्ष 2019 में लगभग 4 करोड़ से बढ़कर 13.5 करोड़ से अधिक हो गई है। बाजार पूंजीकरण वित्त वर्ष 2016 में सकल घरेलू उत्पाद के 69 फीसदी से बढ़कर करीब 129 फीसदी पर पहुंच गया है जबकि कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष में सितंबर तक इक्विटी और ऋण निर्गमों के जरिये करीब 7 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। छोटे शहरों से निवेशकों की भागीदारी भी बढ़ रही है और अब करीब 18 फीसदी म्युचुअल फंड परिसंपत्तियां शीर्ष 30 शहरों से बाहर से आ रही हैं।
पांडेय ने बाजार संरचना को मजबूत करने और निवेशक सुरक्षा के मकसद से कई सुधारों की रूपरेखा पेश की। इनमें एक्सचेंजों और क्लियरिंग कॉरपोरेशनों के लिए मजबूत प्रशासनिक ढांचे, म्युचुअल फंडों के लिए तरलता के सख्त मानदंड और स्ट्रेस टेस्टिंग और कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में बेहतर पारदर्शिता शामिल हैं। सेबी ने बाजार की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए एसएमई आईपीओ और इक्विटी डेरिवेटिव्स के मानदंडों में भी संशोधन किया है।
कारोबार को आसान बनाने के लिए सेबी ने आईपीओ और लिस्टिंग प्रक्रियाओं को सरल बनाया है, फाइलिंग को डिजिटल किया है, केवाईसी मानदंडों को सुव्यवस्थित किया है और एनआरआई के लिए आवश्यकताओं में ढील देने का प्रस्ताव दिया है। इसने मंजूरी के लिए स्पष्ट समय सीमा भी निर्धारित की है और शिकायत निवारण में सुधार किया है।
पांडेय ने कहा कि सेबी बाजार में नवाचार को बढ़ावा देना जारी रखे हुए है। नियामक ने रीट्स और इनविट्स में रणनीतिक निवेशकों के दायरे का विस्तार किया है, रीट्स को म्युचुअल फंड निवेश के लिए इक्विटी के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया है, और तरलता बढ़ाने के लिए गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों में पुट ऑप्शन की शुरुआत की है। महिलाओं और छोटे शहरों के निवेशकों की म्युचुअल फंड में भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहनों में संशोधन किया गया है जबकि वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) को मान्यता प्राप्त निवेशक योजनाओं के तहत ज्यादा लचीलापन दिया गया है।
उन्होंने कहा, सामूहिक रूप से इन सुधारों ने परिचालन को सरल बनाया है, कारोबारी हालात में सुधार किया है, गवर्नेंस को मजबूत बनाया है और प्रणालीगत जोखिम को कम किया है। जिससे एक ऐसे बाजार की नींव रखी गई है, जो लचीला है और दीर्घकालिक पूंजी के लिए स्वागत योग्य है।
इस धारणा को खारिज करते हुए कि विनियमन और वृद्धि परस्पर विरोधी ताकतें हैं, पांडेय ने कहा कि सुनियोजित विनियमन दोनों को सहारा दे सकता है। उन्होंने कहा, छोटे टी+1 निपटान चक्र ने दक्षता बढ़ाई है और साथ ही प्रणालीगत जोखिम को कम किया है। उन्होंने कहा कि बेहतर डिस्क्लोजर और गवर्नेंस ने वैश्विक स्तर पर भारतीय सूचीबद्ध इकाइयों की विश्वसनीयता को बढ़ाया है।
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पांडेय ने कहा कि सेबी अपने नियामक ढांचे की समीक्षा कर रहा है ताकि इसे और सरल और समसामयिक बनाया जा सके। उन्होंने कहा, निवेशकों की सुरक्षा केवल नियमन से नहीं होती; इसकी शुरुआत समझ से होती है। उन्होंने कहा कि नियामक क्षेत्रीय भाषाओं में वित्तीय साक्षरता अभियानों का विस्तार जारी रखेगा।
पांडेय ने निष्कर्ष देते हुए कहा, जब हम भविष्य की ओर देखते हैं, तो हमारा ध्यान एक ऐसी वित्तीय प्रणाली के निर्माण पर होना चाहिए जो मजबूत होने के साथ-साथ गतिशील, नवीन होने के साथ-साथ जिम्मेदार तथा समावेशी होने के साथ-साथ लचीली भी हो।