वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार के बाद छोटी कारों की बिक्री में आई उछाल अगर जारी रहती है तो मारुति सुजूकी भविष्य में उत्पाद लाने की अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है। यह बात मारुति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने आज कही। उन्होंने कहा कि मौजूदा तेजी अन्य विनिर्माताओं को भी अपने पोर्टफोलियो में हैचबैक लाने के लिए प्रेरित कर सकती है।
सरकार ने 22 सितंबर को छोटी कारों पर जीएसटी दरों में कटौती की थी। उसके बाद मारुति की कुल बिक्री में इस श्रेणी की हिस्सेदारी बढ़कर 25 फीसदी से अधिक हो गई। चालू वित्त वर्ष की शुरुआत यह आंकड़ा 16.6 फीसदी था।
भार्गव ने कहा कि ऐसा मुख्य तौर पर कीमतों में गिरावट और प्रवेश स्तर की कारों के प्रति उपभोक्ताओं के रुझान में बदलाव के कारण दिख रहा है। उन्होंने कहा, ‘अगर छोटी कार बाजार मजबूत वृद्धि जारी रहती है तो हमें मॉडलों को अपग्रेड करने और नए मॉडल लाने पर विचार करना होगा। यह एक नई मगर अच्छी चुनौती है। पहले ऐसा नहीं दिख रहा था। इसलिए फिलहाल थोड़ा इंतजार करना चाहिए।’
हैचबैक और सिडैन सहित छोटी कारों की बिक्री में पिछले कई वर्षों से गिरावट दिख रही थी। मगर जीएसटी दर में कटौती के बाद उसमें तेजी आई है। छोटी कारों (4 मीटर से कम लंबी, 1,200 सीसी तक पेट्रोल और 1,500 सीसी तक डीजल इंजन वाली) को 18 फीसदी जीएसटी के दायरे में लाया गया गया है जबकि पहले उपकर सहित 29 से 31 फीसदी कर लगता था।
भार्गव ने कहा, ‘हमारा अधिकतर उत्पादन 18 फीसदी जीएसटी श्रेणी में है जहां तेजी से वृद्धि हो रही है। फिलहाल छोटी कारों की बिक्री का फायदा उठाने वाले लोग सीमित हैं, लेकिन कई कार विनिर्माता जल्द ही भारतीय कार बाजार की असली प्रकृति को समझ लेंगे। मुझे उम्मीद है कि उनमें से कुछ अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में हैचबैक को शामिल करेंगे। मारुति भी मांग में बदलाव के अनुसार उत्पादन करने में काफी लचीली हो गई है।’
मारुति ने आज वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के लिए समेकित शुद्ध लाभ में 7.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। इसे मुख्य तौर पर निर्यात से बल मिला। कंपनी के वाहनों का निर्यात एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 42.2 फीसदी बढ़कर 1,10,487 वाहन हो गया।
भार्गव ने कहा कि छोटी कारों पर जीएसटी कम करने के फैसले से मांग में नई जान आ गई है। पहली बार कार खरीदने वाले ग्राहक अब वापस आने लगे हैं।
उन्होंने कहा, ‘लोग अब बाजार में वापस आ रहे हैं। त्योहारों के दौरान खुदरा बिक्री को मुख्य तौर पर छोटी कारों से रफ्तार मिली। अब यह धारणा बदल गई है कि लोग छोटी कार नहीं खरीदना चाहते और बाजार का रुझान एसयूवी की ओर है।’ उन्होंने कहा कि यह धारणा गलत है कि भारतीय खरीदार पूरी तरह एसयूवी की ओर चले गए हैं।