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गुणवत्ता से भरी वृद्धि के दौर में आ रहा ब्रोकिंग: शीर्ष अधिकारी

अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि आय वृद्धि, बेहतर वित्तीय साक्षरता और निवेशक के परिपक्व व्यवहार के दम पर अब खुदरा भागीदारी अधिक स्थिर और अधिक अनुमानित तरीके से बढ़ेगी।

Last Updated- October 31, 2025 | 11:31 PM IST
bs insight

करीब 2 साल तेजी से वृद्धि और विस्तार करने के बाद अब भारत का ब्रोकिंग उद्योग सुस्त पड़ा हुआ है। मगर उद्योग के शीर्ष अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2025 में इसे सुस्ती के बजाय ‘रीबूट’ करार दिया, जो वृद्धि के अगले चरण के लिए बहुत जरूरी है।

नकद और डेरिवेटिव्स सेग्मेंट में रिकॉर्ड खाते खुलने और तेज खुदरा गतिविधियों के 2 साल बाद भारत का ब्रोकिंग उद्योग अब ज्यादा स्थिर और रणनीतिक रूप से केंद्रित वृद्धि के दौर में है। कारोबार का तरीका सामान्य हो रहा है। नए नियामकीय ढांचे को स्वीकार कर लिया गया है और डिस्काउंट व फुल सर्विस वाले दोनों तरह के ब्रोकरेज अपने कारोबारी मॉडल को कारोबार की मात्रा और सततता के लिए नया आकार दे रहे हैं। इसे मंदी के रूप में देखने के बजाय कारोबारी दिग्गज इसे जरूरी रीसेट के रूप में देख रहे हैं, जिससे अगले दशक के विस्तार की राह तैयार हो रही है।

उद्योग के दिग्गजों का एक स्वर में कहना है कि इस रीबूट से भागीदारी व्यापक हो जाएगी, उच्च स्तर के यूजर मिलेंगे और ज्यादा स्थायी राजस्व पूल के लिए माहौल तैयार होगा। यह अगले विकास चक्र को बनाने में काफी मददगार साबित होगा, क्योंकि अभी भी पैठ कम है और भारतीय अर्थव्यवस्था तथा घरेलू आय स्थिर गति से बढ़ रही है।

कोटक सिक्योरिटीज के एमडी और सीईओ श्रीपाल शाह ने कहा, ‘दीर्घकालिक बुनियादी सिद्धांत असाधारण रूप से मजबूत बने हुए हैं। भारत के 63 प्रतिशत परिवार पूंजी बाजार के बारे में जानते हैं, जबकि इस समय केवल 9.5 प्रतिशत ही निवेश करते हैं। यह अंतर उद्योग को उत्साहजनक अवसर मुहैया करा रहा है। जागरूकता बढ़ रही है। अब बजे हुए 52 प्रतिशत परिवार हमारे लिए वृद्धि का
रास्ता बनाएंगे।’

अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि आय वृद्धि, बेहतर वित्तीय साक्षरता और निवेशक के परिपक्व व्यवहार के दम पर अब खुदरा भागीदारी अधिक स्थिर और अधिक अनुमानित तरीके से बढ़ेगी। कोविड काल की वृद्धि के उलट आगे की वृद्धि का बुनियादी ढांचा वैसा ही हो सकता है जैसा चीन और दूसरे बड़े बाजारों में दिखा।

ऐक्सिस सिक्योरिटीज के एमडी और सीईओ प्रणव हरिदासन के अनुसार इस उद्योग के लिए अगली चुनौती मौजूदा स्तरों से आगे पैठ बढ़ाना है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अमेरिका में शायद 55 से 60 प्रतिशत परिवारों के पास डीमैट या ब्रोकरेज खाता है। चीन में यह आंकड़ा 20 प्रतिशत के करीब है। दरअसल पैठ प्रति व्यक्ति जीडीपी पर निर्भर करती है और जैसे-जैसे समृद्धि और आय बढ़ती है, पैठ भी बढ़ने लगती है।’ प्रणव के अनुसार डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग समेत सटोरिया गतिविधियों वाले गैर संस्थागत हिस्से पर सख्ती दिखाई जाना अच्छी बात है। ऐसा ऑनलाइन गेमिंग समेत कुछ क्षेत्रों में देखा गया है।

प्रणव ने कहा, ‘बाजार शायद वैसी व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, जहां लोग कौशल पर आधारित निर्णय लेते हैं। इसके अलावा हम सभी केवल खाता खोल लेने के बजाय लेनदेन होते देख रहे हैं और लेनदेन का मूल्य भी बढ़ रहा है। बढ़ने की गुंजाइश है, लेकिन यह अतीत में देखे गए उछाल की तरह नहीं बल्कि स्थिर तरीके से होगा।’

पीएल कैपिटल ग्रुप की चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर अमीशा वोरा के मुताबिक पिछले 2 वर्षों में मजबूत अनुपालन, साइबर संबधी लचीलेपन और जोखिम नियंत्रण दिशा में भी निर्णायक बदलाव आया है। ब्रोकरेज सुरक्षित केवाईसी सिस्टम, निगरानी उपकरणों और बहुस्तरीय साइबर सुरक्षा में भारी निवेश कर रहे हैं। इस तरह के उन्नयन से दीर्घकालिक निवेशकों के भरोसे में सुधार होता है। उन्होंने कहा, ‘तकनीक का इस्तेमाल अब जोखिम प्रबंधन से लेकर व्यवहार के विश्लेषण तक में हो रहा है। फर्में अब ग्राहकों के मुताबिक उत्पाद पेश कर रही हैं।’

अमीशा ने कहा कि अब नए खातों में आधे से ज्यादा 30 साल से कम उम्र के युवाओं के खुल रहे हैं। यह ऐसा वर्ग है, जो अपने आय और संपत्ति सृजन की यात्रा की शुरुआत कर रहा है। जैसे जैसे यह वर्ग परिपक्व होगा, इसका दीर्घावधि इक्विटी आवंटन तेजी से बढ़ेगा और उद्योग की दीर्घावधि वृद्धि को बल मिलेगा।

मोतीलाल ओसवाल रिटेल वेल्थ के एमडी और सीईओ अजय मेनन के अनुसार कोविड के पहले उद्योग के लिए प्राथमिक चुनौती नए निवेशकों को लाना था, लेकिन अब जब निवेशकों का आधार चौगुना से अधिक होकर 20 करोड़ पार कर गया है तो उन्हें दीर्घकालिक निवेशकों में बदलना होगा। मेनन ने कहा, ‘हम खुद को सलाहकार या अनुसंधान करने वाले के रूप से अलग हटकर यह कवायद करेंगे कि इस क्षेत्र में आ रहे नए लोगों को सही उत्पाद दिए जा सकें और उन्हें ट्रेडिंग से निवेश की ओर ले जाया जाए।’

मेनन के अनुसार तात्कालिक संतुष्टि युवा निवेशकों/ट्रेडर्स के लिए बहुत मायने रखती है, लेकिन हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें समझाएं कि पोर्टफोलियो में स्थायी दीर्घकालिक वृद्धि की यात्रा अलग होनीचाहिए।

उद्योग के दिग्गजों का कहना है कि डिजिटल-फर्स्ट डिस्काउंट ब्रोकरों ने हाल के वर्षों में उद्योग को नया आकार दिया है, लेकिन पूर्ण सेवाएं प्रदान करने वाले वापसी कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अनुसंधान में गुणवत्ता, सलाह की गहराई और दीर्घकालिक संबंध बनाने प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिल सकेगी। श्रीपाल के अनुसार मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग (एमटीएफ) पूर्ण सेवाएं देने वाले ब्रोकरों के लिए सबसे तेजी से बढ़ने वाले राजस्व के साधनों में से एक है। इसका मूल्य अब लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपये है और इसका लगातार विस्तार हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम एमटीएफ को एक जिम्मेदार, इक्विटी-केंद्रित लीवरेज उत्पाद के रूप में देखते हैं जो डेरिवेटिव से परे आय में विविधता लाता है।’

अधिकारियों ने कहा कि लगभग 60 प्रतिशत नए खाते अब उत्तर और पूर्वी भारत से खोले जा रहे हैं। पहले इक्विटी भागीदारी में ये क्षेत्र पीछे थे। खर्च करने वाली आय बढ़ने के साथ ट्रेडिंग तेजी से बढ़ेगी।

First Published - October 31, 2025 | 11:19 PM IST

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