बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2025 आज संपन्न हो गया। मुंबई में आयोजित तीन दिन के इस विराट कार्यक्रम में नियामक, उद्योग और विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के तीसरे दिन प्रौद्योगिकी को जिम्मेदारी से अपनाने, बाजार में लचीलापन और वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया।
नियामकों, उद्योग जगत के अगुआ, फंड मैनेजर और बाजार रणनीतिकारों ने 11 सत्रों में अपनी गहन अंतर्दृष्टि साझा की जिससे लचीले, नमोन्मेषी और समावेशी वित्तीय बाजार ढांचे के निर्माण के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को बल मिला।
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने दिन की शुरुआत में वित्तीय बाजार में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को जिम्मेदारी से अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। मजबूत साइबर सुरक्षा पर जोर देते हुए पांडेय ने जोखिमों और झटकों का पूर्वानुमान लगाने के लिए दूरदर्शी क्षमता निर्माण पर सेबी के ध्यान को रेखांकित किया तथा इस बात पर जोर दिया कि असली लचीलापन सक्रिय तैयारी में निहित है। उन्होंने कहा कि भारत का पूंजी बाजार सुधारों के माध्यम से अधिक कुशल और समावेशी बनकर आर्थिक विकास के स्तंभ के रूप में विकसित हुआ है लेकिन बैंकों, कंपनियों, म्युचुअल फंड, बीमा कंपनियों, फिनटेक और पेंशन फंडों के बीच अंतर्संबंधों के कारण पारिस्थितिकी तंत्र की बढ़ती जटिलता को लेकर आगाह भी किया। इन चुनौतियों के बावजूद सेबी चेयरमैन ने माना की कि भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता विकास और स्थायित्व को सक्षम बनाते हुए नियामकों और बाजार प्रतिभागियों की साझा प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है।
सेबी के पूर्व पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण जी ने सेबी में अपने कार्यकाल को याद करते हुए नीति निर्माण में विविध दृष्टिकोण और प्रभावी नियामकीय ढांचे लाने के लिए पेशेवर अनुभव के मूल्य पर जोर दिया। उन्होंने नियामकों द्वारा ‘टाइप 1’ त्रुटियों (बाजार की विफलताओं को अनुमति देना) और ‘टाइप 2’ त्रुटियों (अति-नियमन और विकास को बाधित करना) से बचने के लिए इनके बीच नाजुक संतुलन पर बात की। उन्होंने नियामकों के लिए नैतिक संचालन और खुलासे की जरूरत को सुदृढ़ करने हेतु सेबी द्वारा उच्च-स्तरीय समिति की स्थापना पर प्रकाश डाला और पूंजी निर्माण को बढ़ावा देते हुए बाजार में विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए चल रहे प्रयासों को रेखांकित किया।
म्युचुअल फंड उद्योग के मुख्य कार्याधिकारियों के एक पैनल ने घरेलू म्युचुअल फंड उद्योग की विकास संभावनाओं पर चर्चा की। म्युचुअल फंड उद्योग के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) 75 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई हैं और निवेशकों की संख्या 5 करोड़ से ज्यादा हो गई है।
उद्योग जगत के प्रमुखों ने खुदरा भागीदारी बढ़ने, डिजिटल अपनाने और भरोसा बढ़ने से बाजार के लंबे विस्तार चरण में प्रवेश करने के बारे में आशा व्यक्त की। एसबीआई म्युचुअल फंड के उप प्रबंध निदेशक और संयुक्त सीईओ डीपी सिंह ने अनुमान लगाया कि अगले चार साल में म्युचुअल फंड उद्योग 20 फीसदी की दर से विकास कर 100 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
एचडीएफसी एएमसी के एमडी और सीईओ नवनीत मुनोत ने लंबे समय तक निवेशकों का विश्वास बनाए रखने, पारदर्शिता, प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण के साथ-साथ भरोसे कायम करने के महत्त्व पर जोर दिया। गिफ्ट सिटी में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) पर हुई चर्चा में 5 वर्षों के भीतर इसके फलते-फूलते वित्तीय केंद्र के रूप में स्थापित होने के सफर को दर्शाया। गिफ्ट सिटी में 1,000 से ज्यादा पंजीकरण हुए और बैंकिंग संपत्तियां 100 अरब डॉलर तक पहुंच गईं। विशेषज्ञों ने गिफ्ट सिटी में पारंपरिक बैंकिंग और बीमा से परे सक्रिय बिज़नेस सेगमेंट की ओर इशारा किया।
मॉर्गन स्टैनली इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य इक्विटी रणनीतिकार रिधम देसाई ने इस साल वैश्विक बाजारों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन के बावजूद भारतीय शेयर बाजार में ढांचागत तेजी बरकरार है।
उन्होंने कहा कि 2014 की तेजी के बाद तेल पर निर्भरता काफी कम होने और चालू खाते के घाटे में कमी सहित भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए बदलाव ने बाजार को बुनियादी तौर पर मजबूत किया है। हालांकि उन्होंने निवेशकों को आगाह किया कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के जोखिम से निपटने के लिए कम से कम 5 साल की अवधि जरूरी है। तेजी का मतलब यह नहीं है कि हर साल बेहतर रिटर्न की गारंटी हो।
जूलियस बेयर के प्रबंध निदेशक एवं अनुसंधान प्रकुख (एशिया) मार्क मैथ्यूज ने 2025 को वैश्विक बाजारों के लिए अचंभित करने वाला वर्ष बताया।
उन्होंने कहा कि इस दौरान अमेरिका और उभरते बाजारों में जबरदस्त तेजी आई जबकि भारतीय बाजार में रिटर्न मध्यम रहा। मगर भारत के बारे में उनका नजरिया आशावादी बना हुआ है। उानका मानना है कि जीएसटी में सुधार, मौद्रिक सुगमता और वित्तीय प्रोत्साहन के साथ बाजार एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के सीआईओ एस नरेन ने बताया कि आर्थिक परिदृश्य में पिछले साल के मुकाबले सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि शेयर बाजार के लिए परिदृश्य थोड़ा अधिक सकारात्मक हो गया है। निप्पॉन एएमसी के सीआईओ (इक्विटी) शैलेश राज ने संतुलित बाजार, लार्जकैप में आय आधारित प्रदर्शन और उच्च रिटर्न के बजाय बुनियादी बातों पर ध्यान देने के महत्त्व पर जोर दिया।
इस बीच, निवेश विशेषज्ञों के एक पैनल ने शेयर बाजार से बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए शेयरों का चयन करने और धैर्य रखने के महत्त्व पर प्रकाश डाला।