दिवालिया कंपनी रिलायंस कैपिटल (RCap) की दूसरी नीलामी आज आयोजित की गई। इसमें एकमात्र बोलीदाता हिंदुजा समूह ने लेनदारों को 9,650 करोड़ रुपये की पेशकश की है। RCap के लिए पहली नीलामी दिसंबर में हुई थी जब टॉरंट (Torrent) ने सबसे अधिक 8,640 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। मगर Torrent ने दूसरी नीलामी में भाग नहीं लिया। अमेरिका की निवेश फर्म ओकट्री कैपिटल (Oaktree Capital) भी दूसरी नीलामी से दूर रही।
Torrent के एक सूत्र ने कहा कि नीलामी प्रक्रिया के बारे में कोई स्पष्टता नहीं थी। उन्होंने कहा कि कंपनी की चिंताओं को भी दूर नहीं किया गया था। रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) के ऋणदाताओं ने कंपनी की परिसंपत्तियों के अधिकतम मूल्य हासिल करने के लिए दूसरी नीलामी आयोजित करने का निर्णय लिया था। इस पर Torrent ने इसी साल मार्च में सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था।
हिंदुजा समूह (Hinduja group ) की इंडसइंड बैंक (Indusind Bank) में हिस्सेदारी है। अगर नीलामी के तहत उसकी पेशकश को स्वीकार कर लिया जाता है तो रिलायंस कैपिटल की दो लाभप्रद बीमा इकाइयां भी उसके स्वामित्व में हो जाएंगी।
दिसंबर 2022 में आयोजित पहली नीलामी में हिंदुजा समूह 8,110 करोड़ रुपये की बोली के साथ दूसरे पायदान पर रहा था। बाद में उसने नीलामी प्रक्रिया से इतर 9,000 करोड़ रुपये की संशोधित बोली प्रस्तुत की थी। इसे देखते हुए ऋणदाताओं ने दूसरी नीलामी आयोजित करने का निर्णय लिया था।
Torrent ने हिंदुजा की संशोधित बोली और दूसरी नीलामी की वैधता को चुनौती देने के लिए अदालत का रुख किया था। मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपने अंतिम फैसले के तहत ऋणदाताओं को दूसरी नीलामी आयोजित करने की अनुमति दी है। मामले में अगली सुनवाई इसी साल अगस्त में होगी।
लेनदारों की समिति (CoC) को लिखे एक पत्र में Torrent ने दूसरी नीलामी को अवैध करार देते हुए कहा था कि इससे दिवालिया कानून का उल्लंघन होता है।
Torrent ने कहा था कि दूसरी नीलामी की प्रक्रिया मनमानी है। इसमें फिलहाल कुछ भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि लेनदरों की समिति ने चुनौती की प्रक्रिया के निपटने से पहले समाधान योजनाओं (वित्तीय प्रस्ताव को छोड़कर) को तत्काल रोकने का निर्णय नहीं लिया है। ऐसे में किसी भी बोलीदाता को नीलामी से इतर अपनी बोली को संशोधित करते हुए प्रक्रिया को दोबारा बाधिक करने का अवसर मिल सकता है।
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Torrent ने कहा कि लेनदारों की समिति ने दूसरी नीलामी के तहत भी कोई अंतिम बात नहीं कही है और सबसे अधिक पेशकश करने वाले बोलीदाता से आगे बातचीत करने का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखा है। Torrent के मामले में सबसे बड़ी बोलीदाता से बातचीत करने का ऐसा अधिकार नहीं दिया गया जबकि वह पहली नीलामी में सबसे बड़ी बोलीदाता के तौर पर उभरी थी।
Torrent ने कहा कि लेनदारों की समिति केवल बोलीदाताओं को कोई ठोस आश्वासन दिए बगैर केवल बांधकर रखना चाहती थी। उसने कहा कि ऐसी प्रक्रिया से केवल बोली की रकम बढ़ेगी और मुकदमेबाजी के कारण प्रक्रिया में देरी होगी।
दूसरी नीलामी के बावजूद हिंदुजा की पेशकश RCap के 13,000 करोड़ रुपये के परिसमापन मूल्य (liquidation value) से काफी कम है।
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रिलायंस कैपिटल अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी थी। वह 24,000 करोड़ रुपये के ऋण की अदायगी नहीं कर पाई थी जिससे उसे ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता 2016 के तहत ऋण समाधान के लिए भेजा गया है।