देश की सबसे बड़ी खुदरा कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स (RRVL) और छह अन्य फर्मों ने फ्यूचर समूह की लॉजिस्टिक्स व वेयरहाउसिंग मैनेजमेंट इकाई फ्यूचर सप्लाई चेन (एफएससी) के लिए अभिरुचि पत्र जमा कराए हैं।
वन सिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर, ग्लोब इकोलॉजिस्टिक्स, शांति जीडी इस्पात ऐंड पावर, केमिऑन्स लॉजिस्टिक्स सॉल्युशंस, तत्काल लोन इंडिया और सुगना मेटल्स ने भी दिवालिया कंपनी के लिए अभिरुचि पत्र जमा कराए हैं। जब रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल और लेनदार उनके अभिरुचि पत्र को मंजूरी दे देंगे तब इन कंपनियों को वित्तीय पेशकश के लिए कहा जाएगा।
फ्यूचर समूह की वेयरहाउसिंग व लॉजिस्टिक्स की जरूरतों का प्रबंधन फ्यूचर सप्लाई चेन करती है और समूह के परिचालन के लिए इस कंपनी को अहम माना जाता है।
अच्छे वक्त में कंपनी का इन्वेंट्री मैनेजमेंट टूल समूह की इकाइयों को अपनी इन्वेंट्री के स्तर की निगरानी, प्रबंधन और नियंत्रण की इजाजत देता था। समूह की प्रमुख इकाइयों मसलन फ्यूचर रिटेल और फ्यूचर लाइफस्टाइल के हर जोन में विभिन्न स्थानों पर गोदाम थे, जो क्षेत्रीय गोदामों यानी वेयरहाउस की जरूरतें पूरी करते थे। फ्यूचर समूह की कंपनियों के दिवालिया होने से पहले इन गोदामों का इस्तेमाल सभी स्थानों पर मौजूद स्टोर की जरूरतें पूरी करने में होता था।
रिलायंस रिटेल वेंचर्स (RRVL) ने अगस्त 2020 में फ्यूर समूह के पूरे कारोबार के अधिग्रहण के लिए 24,713 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। हालांकि यह सौदा टूट गया जब अमेरिकी खुदरा दिग्गज एमेजॉन ने उसके खिलाफ कानूनी कदम उठाए। बाद में लेनदारों ने फ्यूचर समूह की सभी कंपनियों के खिलाफ दिवालिया अदालत का रुख किया।
रिलायंस रिटेल वेंचर्स ने समूह की मुख्य कंपनी फ्यूचर रिटेल के अधिग्रहण में भी दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन बाद में किसी तरह की पेशकश से अपना हाथ खींच लिया था। रिलायंस के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया।
दिसंबर 2019 में जापान की निप्पॉन एक्सप्रेस की सहायक कंपनी निप्पॉन एक्सप्रेस (दक्षिण एशिया व ओसेनिया) ने एफएसएल की 22 फीसदी हिस्सेदारी प्राथमिक व द्वितीयक इश्यू के जरिए हासिल की थी।
इस साझेदारी के जरिये निप्पॉन एक्सप्रेस और एफएससी ने आपसी सिनर्जीज को भुनाने की योजना बनाई थी क्योंकि दोनों के पास पूरक कौशल व सेवाओं की पेशकश थी। साथही बड़े व बढ़ते भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर गहरी पकड़ बनानी थी।
यह निवेश निप्पॉन एक्सप्रेस व एफएससी को भारतीय बाजार में विस्तार करने और विभिन्न क्षेत्रों की लॉजिस्टिक्स जरूरतें पूरी करने में सक्षम बना देता। इस सौदे से भारतीय कंपनी को निप्पॉन एक्सप्रेस के मल्टीनैशनल क्लाइंटों तक पहुंचने में आसानी होती, जो भारत में नए कारोबारी मौके की तलाश कर रहे हैं, खास तौर से थर्ड पार्टी व लॉजिस्टिक्स ऑपरेशन के लिए।
लेकिन कुछ ही महीनों के भीतर महामारी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया और देश भर के सभी स्टोर बंद हो गए। स्टोर बंद होने और कानूनी संघर्ष से फ्यूचर समूह की सभी कंपनियों के नकदी प्रवाह को नुकसान पहुंचा, जिसके बाद बैंकों के भुगतान में चूक होने लगी।
एफआरएल के मामले में दो बड़ी दिग्गज कंपनी आरआरवीएल और अदाणी समूह का संयुक्त उद्यम दौड़ से बाहर निकल गया, ऐसे में बड़ी रिकवरी की संभावना धूमिल हो गई।
एफआरएल के लिए सबसे बड़ी बोली स्पेसमंत्रा ने लगाई थी। बोली लगाने वाली पांच अन्य कंपनियां थीं पिनाकलएयर, पाल्गुन टेक एलएलसी, लहर सॉल्युशंस, गुडविल फर्नीचर और सर्वविष्ठा ई-वेस्ट मैनेजमेंट। फ्यूचर समूह के ऊपर करीब 19,000 करोड़ रुपये बकाया है। लेनदार कर्ज बेचने के लिए नैशनल ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी से बातचीत कर रहे थे, लेकिन अभी तक किसी तरह की घोषणा नहीं हुई है।