वेदांत समूह के साथ मिलकर भारत में पहले सेमीकंडक्टर (चिप) प्लांट की स्थापना का आवेदन कर चुकी कंपनी फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप दूसरा कारखाना लगाने को भी तैयार है। कंपनी ने सरकारी प्रोत्साहन के बगैर भी दूसरा चिप प्लांट लगाने में दिलचस्पी दिखाई है।
फॉक्सकॉन के चेयरमैन यंग लुई के नेतृत्व में कंपनी का एक प्रतिनिधिमंडल पिछले सप्ताह भारत दौरे पर था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की है।
लुई कंपनी के कारोबारी संबंधों को लंबे अरसे के लिए मजबूती देने के मकसद से भारत आए थे। उन्होंने अपनी दो कंपनियों (फॉक्सकॉन हॉन हई और भारत एफआईएच) के जरिये भारत की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में ऐपल एवं अन्य मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं के वेंडर के तौर पर भाग लिया है।
मामले की जानकारी रखने वाले एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘फॉक्सकॉन भारत को लेकर काफी उत्साहित है। उन्होंने भारत में सरकार से वित्तीय मदद के बगैर भी अपना दूसरा चिप कारखाना लगाने में दिलचस्पी दिखाई है। इससे पता चलता है कि वह लंबे अरसे तक भारत में काम करना चाहती है।’
फॉक्सकॉन वेदांत के साथ संयुक्त उद्यम के जरिये गुजरात के धोलेरा में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए पहले ही आवेदन कर चुकी है। उसने यह आवेदन पीएलआई योजना के तहत किया है, जिसमें पात्र परियोजनाओं को करीब 50,000 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा।
फॉक्सकॉन और वेदांत ने 1.54 लाख करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया है। दोनों कंपनियों ने शुरू में 38 नैनोमीटर चिप्स बनाने के लिए एक प्रौद्योगिकी कंपनी के साथ करार भी किया है। संयुक्त उद्यम में फॉक्सकॉन की 40 फीसदी हिस्सेदारी होगी। यह पीएलआई योजना के तहत आवेदन करने वाली तीन कंपनियों में शामिल है।
वेदांत ने इस कारोबार के दिग्गज डेविड रीड को नियुक्त किया है जो पहले एनएक्सपी सेमीकंडक्टर में काम कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार फॉक्सकॉन-वेदांत के प्रस्ताव को सरकार से जल्द हरी झंडी मिलने की उम्मीद है।
सेमीकंडक्टर नीति के तहत सरकार वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रोत्साहन दे रही है। कारखाना लगाने में हो रहे खर्च का 50 फीसदी हिस्सा सरकार प्रोत्साहन के तौर पर देने को तैयार है।
बैठक में शामिल सरकारी अधिकारियों ने कहा कि फॉक्सकॉन दुनिया भर में अपने ग्राहकों के लिए सालाना 40 अरब डॉलर से अधिक के चिप खरीदती है। इलेक्ट्रिक वाहन श्रेणी में कंपनी के उतरने के बाद यह आंकड़ा और भी बढ़ जाएगा। उसकी चिप संबंधी जरूरतें भारत पूरी करेगा।
लियू ने बयान में कहा कि उनकी भारत यात्रा का उद्देश्य साझेदारी को प्रगाढ़ बनाने के फॉक्सकॉन के प्रयासों को समर्थन देना और सेमी-कंडक्टर तथा इलेक्ट्रिक वाहन जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग तलाशना है। इस बारे में जानकारी के लिए फॉक्सकॉन मुख्यालय को सवालों की बड़ी सूची भेजी गई थी मगर कोई जवाब नहीं आया।
सरकारी अधिकारी ने यह भी कहा कि फॉक्सकॉन की योजना इलेक्ट्रिक वाहन प्लांट स्थापित करने की भी है। इस बारे में स्थान और निवेश पर अभी विचार-विमर्श चल रहा है। कंपनी ऐसा भागीदार तलाश रही है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों की ब्रांडिंग करेगा और बेचेगा। इस मामले में भी वह बिल्कुल वैसा करार करना चाहती है, जैसा उसने ऐपल के साथ किया है।
अधिकारी ने पुष्टि की कि फॉक्सकॉन ने 2 लाख नौकरियां सृजित करने का वादा किया है। कंपनी अभी 35,000 लोगों को रोजगार दे चुकी है। उन्होंने कहा कि ऐपल आईफोन कारखाने की एक प्रोडक्शन लाइन में 5,000 कर्मचारी काम करते हैं। ऐसे में लगता है कि अगले 3-4 साल में 2 लाख रोजगार का आंकड़ा हासिल किया जा सकता है। बहरहाल अपने बयान में फॉक्सकॉन टैक्नोलॉजी समूह ने कहा कि नए निवेश पर उसने अभी तक कोई पक्का करार नहीं किया है।
2021 में ताइवान की चिप विनिर्माता मैक्रोनिक्स इंटरनैशनल को 9 करोड़ डॉलर में खरीदने के साथ ही फॉक्सकॉन सेमी-कंडक्टर क्षेत्र में उतर गई थी। मैक्रोनिक्स इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाले चिप बनाती है।