एडलवाइस वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) इन्फ्रास्ट्रकचर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) के जरिये अपने पोर्टफोलियो को भुनाने की पहल करने से पहले सड़क एवं ऊर्जा क्षेत्र की चालू परियोजनाओं को हासिल करने के लिए अगले दो साल के दौरान 6,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा।
एडलवाइस अल्टरनेटिव के प्रमुख (रियल एस्टेट स्ट्रैटेजी) सुबाहू चोड़दिया ने कहा कि फंड अभी भी सड़क और ऊर्जा की जिन परियोजनाओं को हासिल कर सकता है उनकी कीमत 25 हजार करोड़ रुपये हो सकती है। फंड के पास करीब 13 हजार करोड़ रुपये हैं, जिनमें से करीब आधे यानी 6,500 करोड़ रुपये का उपयोग होना बाकी है। इसी रकम का उपयोग अगले दो वर्षों के दौरान किया जाएगा। चोड़दिया ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि फंड संपत्तियों की हासिल करेगी और उन्हें एकत्रित कर लार्जकैप बनाएगी।
संपत्तियों की संख्या के मोर्चे पर फंड आकार के अनुसार 12 से 15 संपत्तियों का अधिग्रहण कर सकती है। उन्होंने कहा कि सड़क क्षेत्र में निवेशक मोटे तौर पर 50 फीसदी टोल और 50 फीसदी एन्युटी परियोजनाओं के मिश्रण की तलाश कर रहे हैं।
इसकी शुरुआत मुख्य तौर पर विभिन्न निर्माण कंपनियों अथवा डेवलपर्स के जरिये उच्च गुणवत्ता वाली चालू परिसंपत्तियों को खरीदने, उन्हें एक बड़े पोर्टफोलियो में अलग करने और फिर संभवतः बाहर निकलने के विचार के साथ शुरू की गई थी। इनविट को बिक्री के बाद बाहर निकलने का विकल्प रथा गया था। उन्होंने कहा, आमतौर पर किसी फंड के पास संपत्ति रखने की औसत होल्डिंग अवधि करीब चार से पांच साल की होती है।
इस महीने की शुरुआत में एडलवाइस अल्टरनेटिव्स द्वारा प्रबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर यील्ड प्लस स्ट्रैटेजी फंड ने एलऐंडटी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड में 100 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण पूरा कर लिया था। यह लार्सन ऐंड टुब्रो लिमिटेड द्वारा 51 फीसदी और कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड द्वारा 49 फीसदी था। पोर्टफोलियो में भारत में सात चालू सड़कें और एक पावर ट्रांसमिशन परिसंपत्ति शामिल थी। यह क्रमशः 4,400 किलोमीटर और 960 किलोमीटर फैली हुई थीं।
इस अधिग्रहण के साथ ही इन्फ्रास्ट्रकचर प्लेटफॉर्म की 13 राज्यों में 26 संपत्तियां हो जाएंगी। इनमें 5 हजार किलोमीटर सड़कें, 1,800 सीकेएम बिजली पारेषण संपत्ति और 813 मेगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा शामिल है और उसका सालाना राजस्व 3 हजार करोड़ रुपये है। इनविट इंडिया में राजमार्गों का औसत आकार करीब 11 हजार से 12 हजार करोड़ रुपये है।