Funding in Indian Startups: विश्व पटल पर भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) और शेयर बाजार (Stock Market) दोनों इस समय तेजी से आगे बढ़ रहे है। इसके बावजूद भी भारतीय स्टार्टअप्स (Indian Startups) में नरमी देखी जा रही है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक समय था जब निवेशक भारतीय स्टार्टअप्स में अरबों रुपये का निवेश करने के लिए उत्सुक थे, मगर अब धीमी गति से आगे बढ़ रहे हैं और छोटे चेक काट रहे हैं। पेटीएम (Paytm) जैसी एक समय की मशहूर युवा कंपनियों या हाल के वर्षों में बाजार में डेब्यू करने वाली कंपनियों की गरिमा और मूल्यांकन में आई भारी गिरावट से निवेशकों का जोश ठंडा पड़ गया है।
भारत के ब्लूम वेंचर्स के मैनेजिंग पार्टनर कार्तिक रेड्डी, जिन्होंने सैकड़ों शुरुआती चरण के स्टार्टअप में निवेश किया है, ने कहा कि उनकी कंपनी पिछले साल के 12 की तुलना में इस साल लगभग आठ नए डील करने की योजना बना रही है। वह ज्यादा कंपनियों में फंड दांव लगाने के बजाय उन कंपनियों में बड़ी रकम निवेश करेंगे जिनके बारे में वह आश्वस्त है। उन्होंने रॉयटर्स को बताया, “जब आपका मौजूदा पोर्टफोलियो लाभ नहीं दिखा रहा है, तो और ज्यादा निवेश करने के लिए उत्साहित होना कठिन है।”
विदेशी और घरेलू निवेश फर्मों के छह अधिकारियों के साथ-साथ स्टार्टअप के दो सीईओ ने रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारतीय स्टार्टअप में निवेश करने की इच्छा रखने वाले निवेशक संभावित लाभप्रदता पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, टेक कंपनियों के प्रति कम आकर्षित होते हैं और स्टेबल ब्रिक और मोर्टार (brick-and-mortar) बिजनेस में ज्यादा रुचि रखते हैं।
ब्रिक और मोर्टार बिजनेस का मतलब उन पारंपरिक व्यवसायों से है जो अपने ग्राहकों को किसी कार्यालय या स्टोर में आमने-सामने उत्पाद और सेवाएं प्रदान करता है। स्थानीय किराना स्टोर और बैंक इसके उदाहरण हैं।
Also read: Accenture की ‘इस’ खबर ने शेयर बाजार में मचाया तहलका, एक साथ लुढ़के कई IT कंपनियों के शेयर
वेंचर इंटेलिजेंस डेटा से पता चलता है कि जनवरी और फरवरी में, भारतीय स्टार्टअप्स ने लगभग 900 मिलियन डॉलर जुटाए। जो 2023 में केवल 8 अरब डॉलर के छह साल के निचले स्तर के बाद एक और धीमी वर्ष का संकेत देती है।
यह 2021 में जुटाए गए रिकॉर्ड 36 अरब डॉलर या 2022 में 24 अरब डॉलर से बहुत दूर है। इसके विपरीत, देसी शेयर बाजार 8 प्रतिशत से अधिक की आर्थिक वृद्धि के साथ पिछले साल की शुरुआत से 19 प्रतिशत बढ़ गया है। यह इस महीने रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था।
सीबीआईनसाइट्स डेटा से पता चलता है कि पिछले साल भारतीय स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग में दो-तिहाई की गिरावट आई। अमेरिकी स्टार्टअप्स के लिए 36 प्रतिशत की गिरावट और चीनी स्टार्टअप्स के लिए 42 प्रतिशत की गिरावट की तुलना में यह बहुत अधिक थी।