देश की चौथी सबसे बड़ी सीमेंट विनिर्माता डालमिया भारत वर्ष 2031 तक अपनी सीमेंट क्षमता बढ़ाकर 12 करोड़ टन प्रति वर्ष करने के लिए करीब 19,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी ताकि बुनियादी ढांचे और आवास क्षेत्र की तेजी को भुनाया जा सके। कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी पुनीत डालमिया ने यह जानकारी दी।
फिलहाल कंपनी के पास 10 राज्यों में फैले 14 सीमेंट संयंत्रों और ग्राइंडिंग इकाइयों में 4.11 करोड़ टन प्रति वर्ष की क्षमता है। पिछले साल दिसंबर में इसने जेपी समूह की 94 लाख टन प्रति वर्ष की सीमेंट क्षमता का 5,666 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया था, जिसे फिलहाल इसके परिचालन के साथ जोड़ा जा रहा है।
डालमिया ने अपने नई दिल्ली कार्यालय में साक्षात्कार के दौरान कहा कि यह अधिग्रहण हमें मध्य भारत और उत्तर भारत के बाजार तक पहुंच प्रदान करेगा तथा हम मध्य खंड में और अधिक अधिग्रहण के अवसरों पर विचार करेंगे क्योंकि हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में उद्योग और अधिक एकीकृत होगा।
डालमिया ने कहा कि भारत अगले दशक में बुनियादी ढांचे में एक लाख करोड़ डॉलर का निवेश करेगा और इससे सीमेंट की मांग में काफी ज्यादा वृद्धि होगी।
डालमिया ने कहा कि हम देख रहे हैं कि भारत सरकार द्वारा सभी पहलों के लिए आवास और आवास ऋण की आसान उपलब्धता से लोग अपने निर्माण को आगे बढ़ा रहे हैं और हमें लगता है कि ये दोनों अगले दशक में हमारे लिए मांग के मुख्य संचालक हैं।
उन्होंने कहा कि सीमेंट की मांग बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि भारत सरकार बुनियादी ढांचे के निर्माण में 10 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रही है और देश भर में आवासीय क्षेत्र में तेजी भी इसकी वजह है। हमें लगता है कि पूरा सीमेंट उद्योग महत्वपूर्ण विकास चक्र के स्तर पर है।
डालमिया ने कहा कि वर्ष 2024 के आम चुनाव के बाद निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में बड़ी उछाल आएगी। हम इतिहास में अपना सबसे बड़ा पूंजीगत व्यय कर रहे हैं। हमने करीब 9,000 करोड़ रुपये का अधिग्रहण विस्तार किया है तथा अन्य 6,000 करोड़ रुपया जेपी की परिसंपत्तियों के अधिग्रहण में लगाया गया है। हमने उत्तर पूर्व भारत में 4,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की भी घोषणा की है। हमारा निवेश इस राह में आगे है तथा जो कोई भी अब निवेश कर रहा है, उसे काफी लाभ होगा। उन्होंने कहा कि साथ ही हम अपने वित्तीय पैमाइश के प्रति भी सावधान हैं और हम नहीं चाहते कि हमारा ऋण एबिटा अनुपात दो से अधिक हो। हम ऐसे किसी अधिग्रहण के लिए कुछ रकम भी तैयार रख रहे हैं, जो सही कीमत पर उपलब्ध हो।
इस साल मार्च में समाप्त होने वाली तिमाही में शीर्ष 10 भारतीय सीमेंट कंपनियों ने वॉल्यूम में सालाना आधार पर 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जबकि तिमाही आधार पर उनके लाभ में सुधार हुआ है (प्रति टन एबिटा तिमाही आधार पर 15 प्रतिशत अधिक रहा) क्योंकि बिजली और ईंधन की लागत में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आई थी।
हालांकि व्यस्त सीजन के बावजूद बढ़ती प्रतिस्पर्धा की वजह से प्राप्ति वृद्धि नरम रही। अब तक यह क्षेत्र 40 कंपनियों में बंटा हुआ है, जिसमें शीर्ष 10 कंपनियों के पास बाजार की बड़ी हिस्सेदारी है। परिणामस्वरूप इस साल जनवरी से सीमेंट कंपनियों के शेयर की कीमतों में सुधार हुआ है।