भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) नए प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत मसौदा कानून लेकर आया है। इसके मसौदे में दिग्गज तकनीकी कंपनियों सहित डिजिटल क्षेत्र की कंपनियों के एकीकरण और विलय के वैश्विक सौदे शामिल हैं।
मसौदे में लेन देन के मूल्यांकन के बारे में दिशानिर्देश और भारत में कंपनियों के सतत संचालन का आकलन करने के लिए मानदंड हैं। मसौदे के अनुसार यदि विश्व के 10 फीसदी से अधिक यूजर्स, सदस्य, टर्नओवर या सकल व्यापारिक मूल्य भारत में है तो ऐसी कंपनी का भारत में पर्याप्त कारोबारी संचालन माना जाएगा। ऐसे में विलय के लिए सीसीआई की अनुमति की जरूरत होगी।
प्रतिस्पर्धा (संशोधन) अधिनियम, 2023 में 2000 करोड़ रुपये से अधिक के लेन देन के विलय और अधिग्रहण के लिए सौदे की मूल्यसीमा की अवधारणा पेश की गई है। अभी तक सीसीआई के दायरे से बड़े सौदे बाहर थे। इन सौदों में फेसबुक-मेटा, व्हाट्सऐप और फेसबुक आदि थे।
ट्राईलीगल की साझेदार व नैशनल हेड कंपटीशन निशा कौर ने बताया, ‘मसौदा विलय नियम कुछ व्यवसाय समर्थक राहत देते हैं – चाहे वह अधिग्रहण के लिए स्टैंडस्टिल दायित्वों, विलय की समयसीमा को छोटा करने या विलय की कार्रवाई का किसी भी स्तर पर सुनवाई करने से हो।’
विशेषज्ञों के मुताबिक सौदा की मूल्य की सीमा लागू होने व पर्याप्त संचालन के वर्गीकरण के भारत में लागू होने से सीसीआई पर काम का बोझ बढ़ जाएगा।
लिहाजा सीसीआई को विलय और अधिग्रहण को समयबद्ध तरीके से समुचित ढंग से पूरा करने के लिए तत्काल संसाधनों की जरूरत होगी। सीसीआई ने 25 सितंबर तक साझेदारों से मसौदे पर लिखित सुझाव मांगे हैं। विलय की समयसीमा को 210 दिन से घटाकर 150 दिन किया जा चुका है।