बोइंग ने GMR एरो टेक्निक को बोइंग 737 यात्री विमान को कार्गो में बदलने के लिए चुना है और इस तरह से भारत में रखरखाव, मरम्मत आदि से जुड़े (एमआरओ) नए उद्योग को काफी मजबूती प्रदान की है।
GMR समूह का हैदराबाद केंद्र वैश्विक स्तर पर चीन, कोस्टारिका और ग्रेट ब्रिटेन के बाद बोइंग का चौथा केंद्र बन जाएगा। इजराइल व अमेरिका में एमआरओ केंद्र भी ऐसा ही काम करते हैं लेकिन बोइंग के पास यात्री विमान को कार्गो कारोबार में बदलने के कारोबार में काफी ज्यादा बाजार हिस्सेदारी है।
एक प्रेस विज्ञप्ति में GMR समूह ने कहा कि उसे वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के तहत अनुबंध मिला है। GMR एग्रो टेक्निक के CEO अशोक गोपीनाथ ने कहा, भारतीय विमानन उद्योग में बढ़ोतरी के साथ भारत में एमआरओ सेवाएं वैश्विक स्तर पर सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली सेवाओं में से एक बन गई है। बोइंग के साथ साझेदारी वैश्विक स्तर की एमआरओ सेवाएं मुहैया कराने की हमारी क्षमता की दोबारा पुष्टि करती है और मेक इन इंडिया की पहल में यह और योगदान करेगा।
सूत्र के मुताबिक, बोइंग 737-800 यात्री विमान को कार्गो में बदलने का वास्तविक काम 12 से 18 महीने में शुरू होगा जब तकनीक का हस्तांतरण, टूल्स की खरीद और कर्मचारियों को दक्ष बनाने का काम GMR केंद्र में होगा। इसके तहत विमानों में बदलाव होगा, जिसमें उसके फ्लोर को मजबूत बनाना, बड़ा दरवाजा बनाना आदि शामिल है।
बोइंग व GMR ने परिवर्तित विमान के आंकड़े और इस सौदे के आकार के बारे में जानकारी साझा नहीं की। अनिवार्य तौर पर GMR, बोइंग के लिए उप अनुबंधक के तौर पर काम करेगी, जो तब्दीली का काम अंजाम देगी।
एक टीवी चैनल में बोइंग इंडिया का अध्यक्ष सलिल गुप्ते ने कहा कि वैश्विक स्तर पर 1,700 यात्री विमानों को अगले 20 साल में कार्गो विमान में तब्दील किया जाएगा। उनमें से 1,200 विमान स्टैंडर्ड बॉडी फ्राइटनर कनवर्जन 737 विमान जैसे होंगे।
बोइंग कॉमर्शियल मार्केट आउटलुक के मुताबिक, भारत में कार्गो की रफ्तार सालाना आधार पर औसतन 6.3 फीसदी रहने की उम्मीद है, जिसे देश के विनिर्माण व ई-कॉमर्स क्षेत्र से सहारा मिलेगा। बोइंग का अनुमान है कि उत्पादित व तब्दील किए गए 75 से ज्यादा कार्गो विमानों की मांग होगी।