Sugar MSP Hike: महाराष्ट्र सहित देश के अन्य राज्यों में चीनी मिलों में गन्ना पेराई का काम जोर पकड़ चुका है। साथ ही चीनी मिलों की तरफ से न्यूनतम बिक्री कीमत (MSP) बढ़ाने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। चीनी उद्योग चाहता है कि सरकार गन्ने का फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) बहुत ज्यादा न बढ़ाएं। इससे देश की शुगर फैक्ट्रियों के साथ-साथ किसानों को भी नुकसान हो सकता है। इस सीजन में चीनी का उत्पादन अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव शुगर मिल्स एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में नेशनल एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स एंड प्राइस कमीशन (CACP) के चेयरमैन प्रो. विजय पॉल शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले सात वर्षों से लगातार किसानों के हितों को ध्यान में रखकर एफआरपी बढ़ाया है। अगर एफआरपी बहुत ज्यादा बढ़ाई गई, तो शुगर इंडस्ट्री के हिस्सों को नुकसान होगा। इसलिए, अब हमें ऐसी मांग करनी होगी जो फैक्ट्रियों और किसानों के हितों के साथ-साथ आपसी विकास को भी सुरक्षित रखे।
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राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल महासंघ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि शुगर इंडस्ट्री के लिए हर साल सीजन के हिसाब से पॉलिसी तय करने का मौजूदा तरीका नहीं होना चाहिए। हमने केंद्र सरकार को एक रोडमैप सौंपा है जिसमें इस बात पर जोर दिया है कि पॉलिसी कम से कम दस साल के लिए होनी चाहिए। मौजूदा पॉलिसी का शुगर फैक्ट्रियों की फाइनेंशियल हालत पर बुरा असर पड़ रहा है। केंद्र ने कहा कि हमें इस पर ऐसी कोई साइंटिफिक स्टडी दिखाएं। इसलिए, हमने जाने-माने चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद से तैयार की गई एक स्टडी सौंपी है। इसमें शुगर, को-जनरेशन, ट्रांसपोर्टेशन, प्रोसेसिंग, एडमिनिस्ट्रेटिव खर्च, लोन चुकाने और बाकी सभी मुद्दों की जानकारी दी गई है।
हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि देश में अगले सीजन में मौजूदा सीजन से ज्यादा चीनी का उत्पादन होगा। मौजूदा पेराई सीजन में चीनी रिकवरी में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है और कुल चीनी उत्पादन 35 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा। केंद्र सरकार ने एथेनॉल खरीदने के लिए 10.5 बिलियन लीटर का प्लान बनाया है। इसमें से 650 मिलियन लीटर का कोटा शुगर इंडस्ट्री को दिया गया है। यह कोटा पिछले साल के मुकाबले आठ फीसदी अधिक है। हालांकि कोटा और बढ़ाना होगा।
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राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल महासंघ के मुताबिक चीनी उद्योग की लागत अब 5,800 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है और रिटर्न घटकर सिर्फ 5,000 रुपये रह गया है। चीनी महासंघ ने 700 रुपये प्रति टन के नुकसान को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव दिया है। प्रस्ताव में देश की शुगर इंडस्ट्री के सामने आने वाली चुनौतियों और मौकों को देखते हुए नीतियों में सुधार का सुझाव दिया गया है। केंद्र सरकार ने इसकी स्टडी का आदेश दिया है। चीनी उद्योग की तरफ से मुख्य रूप से केंद्र सरकार के सामने तीन मांगे रखी गई हैं। एमएसपी को 31 रुपये से बढ़ाकर 41 रुपये प्रति किलो किया जाए, बी हैवी, गन्ने के रस से बने एथेनॉल की कीमत बढ़ाई जाए और एथेनॉल कोटा और बढ़ाया जाए।
उद्योग जगत के जानकारों का कहना है कि सरकार लगभग सात साल के बाद चीनी के एमएसपी में बढ़ोतरी कर सकती है। एमएसपी लगभग 23 फीसदी बढ़ाकर 38 रुपये प्रति किलोग्राम किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने फरवरी 2019 से चीनी का एमएसपी 31 रुपये प्रति किलोग्राम बनाए रखा है। चीनी उद्योग उत्पादन लागत बढ़ने की बात कह कर कीमत बढ़ाने की मांग कर रही है।