सरकारी कंपनी ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक (सीएमडी) रंजीत रथ ने शुभांगी माथुर को दिए साक्षात्कार में बताया कि कच्चे तेल के दाम करीब 65 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं। ऐसे में कंपनी की योजना 18 महीनों में लागत करीब 1,000 करोड़ रुपये कम करने की है। मुख्य अंश :
टोटाल एनर्जी के साथ सहयोग का अन्वेषण की पहलों पर किस प्रकार प्रभाव पड़ेगा?
यह सहयोग गहरे और बेहद गहरे पानी में अन्वेषण के प्रयासों में तकनीकी मदद मुहैया कराएगा। टोटाल एनर्जीस गहरे पानी में अन्वेषण के मामले में अग्रणी है।
ऑयल इंडिया पहली बार गहरे पानी में अन्वेषण करेगी, इसलिए यह सहयोग अनिवार्य था। सिसमिक 2डी और 3डी के आंकड़ों की व्याख्या से ही अन्वेषण, अधिग्रहण व प्रसंस्करण में सफलता मिलती है। हमारे सहयोग में ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) के 9वें ब्लॉक के लिए डिजाइन व आंकड़ों की समीक्षा करने में मदद मिलती है। हमारे पास ओएएलपी के 9वें दौर में महानदी और कृष्णा गोदावरी बेसिन में 40,000 वर्ग किलोमीटर है।
हमने ओएएलपी के 10वें दौर में बोली के अंतर्गत आने वाले ब्लॉकों का आंतरिक मूल्यांकन शुरू कर दिया है। हम अपनी बोली रणनीति पर पुनर्विचार करने में मदद के लिए अतिरिक्त इनपुट की पहचान करने में टोटाल एनर्जीज़ से सहायता लेंगे।
यह सहयोग स्ट्रेटीग्राफिक कुओं के निर्माण के लिए स्थानों की पहचान करने के लिए भी है। हम अन्वेषण की पहल में अंडमान में प्राकृतिक गैस की उपस्थिति स्थापित करने में सफल रहे हैं। इस साझेदारी में इस गैस खोज के मूल्यांकन के लिए तकनीकी सहायता भी शामिल है।
अंडमान बेसिन से कब उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है?
हमें अभी अंडमान में गहन मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। हमने 2डी भूकंपीय आंकड़ों की पुनर्समीक्षा की है और लगभग 300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 3डी भूकंपीय अभियान चलाएंगे। हालांकि तीसरे कुएं की खुदाई जारी है और हम जल्द ही चौथे कुएं की भी खुदाई करेंगे। अगर 60 महीनों (या पांच वर्षों) में कोई खोज होती है तो हम व्यावसायिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे।
कच्चे तेल की गिरती कीमतों के बीच गहरे पानी में अन्वेषण करने पर क्या प्रभाव देखते हैं?
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण ऑयल इंडिया के मुनाफे में गिरावट आई है। हमने दो-आयामी रणनीति अपनाई है। पहली है उत्पादन बढ़ाना, ताकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद ज्यादा मात्रा में उत्पादन हो सके। दूसरा लक्ष्य लागत में कमी लाने का है। हमारा लक्ष्य 18 महीने में लगभग 1,000 करोड़ रुपये लागत घटाना है। हमने ड्रिलिंग, वर्कओवर, लागत केंद्रों, कर्मचारियों की तैनाती, इन्वेंट्री होल्डिंग और खरीद प्रक्रिया में लागत घटाने का लक्ष्य रखा है।