National Milk Day: बीते एक दशक में भारत में दूध का उत्पादन तेजी से बढ़ा है और आगे भी इसमें वृद्धि जारी रह सकती है। अगले साल तक कुल वैश्विक दूध आपूर्ति में भारत की हिस्सेदारी करीब एक तिहाई हो सकती है। भारत में दूध प्रसंस्करण क्षमता भी अगले कुछ सालों में तेजी से बढ़ सकती है। वर्ष 2028-29 तक यह क्षमता बढ़ाकर 10 करोड़ लीटर प्रतिदिन करने का लक्ष्य है। दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 124 ग्राम से बढ़कर 471 ग्राम प्रति दिन पर पहुंच गई।
भारत में “श्वेत क्रांति के जनक” माने जाने वाले डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (National Milk Day) मनाया जाता है। केंद्र सरकार द्वारा आज जारी एक बयान में कहा गया है कि भारत में वर्ष 2014-15 में दूध का उत्पादन 14.63 करोड़ टन था, जो वर्ष 2023-24 में 63.56 फीसदी बढ़कर 23.93 करोड़ टन हो गया। इसके अगले साल यानी 2026 में बढ़कर 24.20 करोड़ टन होने का अनुमान है। इतना उत्पादन होने पर भारत की वैश्विक दूध आपूर्ति में करीब एक तिहाई (32 फीसदी) हिस्सेदारी होगी।
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भारत के डेरी सेक्टर की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी करीब 5 फीसदी है और यह सेक्टर 8 करोड़ से ज्यादा किसानों को सीधे रोजगार दे रहा है। बीते 10 साल के दौरान प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 124 ग्राम से बढ़कर 471 ग्राम प्रति दिन पर पहुंच गई।
राष्ट्रीय डेरी विकास कार्यक्रम (NPDD) से डेरी इंन्फ्रास्ट्रक्चर काफी मजबूत हुआ है। पुनर्गठित NPDD के तहत 31,908 डेरी समितियों का गठन/पुनर्जीवन हुआ और इससे 17.6 लाख नए दूध उत्पादक जुड़े। साथ ही इससे दूध की खरीद बढ़कर 120 लाख किलो प्रति दिन हो गई है। इस कार्यक्रम की वजह से 61,677 गांव में दूध टेस्टिंग लैब, लगभग 6,000 बल्क मिल्क कूलर बनाए गए हैं, जिनकी कुल चिलिंग कैपेसिटी 149.35 लाख लीटर है और 279 डेरी प्लांट लैब को एडवांस्ड मिलावट का पता लगाने वाली टेक्नोलॉजी से अपग्रेड किया गया है।
भारत के कोऑपरेटिव डेरी सेक्टर में 22 मिल्क फेडरेशन, 241 जिला यूनियन, 28 मार्केटिंग डेयरियां और 25 मिल्क प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (MPO) शामिल हैं। ये सब मिलकर 2.35 लाख गांवों को सर्विस देते हैं और 1.72 करोड़ डेरी किसानों को जोड़ते हैं, जिससे सही दाम और अच्छी मिल्क प्रोसेसिंग पक्की होती है।
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कोऑपरेटिव डेरी सेक्टर में महिलाओं की अहम भूमिका है। महिलाएं इस इकोसिस्टम का सेंटर बनी हुई हैं, जो डेरी वर्कफोर्स का लगभग 70 प्रतिशत और कोऑपरेटिव मेंबर का 35 प्रतिशत हिस्सा हैं। 48,000 महिला सहकारी समितियां सक्रिय हैं और देश में 12 लाख महिला दूध उत्पादक हैं।