प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय यानी DGCA ने मंगलवार को एयरलाइंस के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इसका मकसद पायलटों और केबिन क्रू की थकान को बेहतर तरीके से कंट्रोल करना है। अब हर साल कम से कम एक घंटे की ट्रेनिंग देना अनिवार्य होगा, जिसमें ये बताया जाएगा कि नींद की कमी और थकान से परफॉर्मेंस पर क्या असर पड़ता है।
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, ट्रेनिंग में फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के सारे नियम समझाए जाएंगे। साथ ही ये भी बताया जाएगा कि नींद कैसे काम करती है, बॉडी क्लॉक कब खराब होती है, थकान के पीछे कौन-कौन से मेडिकल कारण हो सकते हैं और थकान से कितनी गलतियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
लाइफस्टाइल, खान-पान, एक्सरसाइज और परिवार के साथ समय कैसे रेस्ट को प्रभावित करता है, ये भी सिखाया जाएगा। लंबी उड़ानें, बहुत सारी छोटी उड़ानें और अलग-अलग टाइम जोन में उड़ने का असर भी समझाया जाएगा। नींद की बीमारियों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
खास बात ये है कि ये ट्रेनिंग सिर्फ पायलट और केबिन क्रू तक सीमित नहीं रहेगी। फ्लाइट शेड्यूल बनाने वाले और डिस्पैच टीम के लोग भी इसमें शामिल हो सकते हैं, क्योंकि क्रू की ड्यूटी प्लान करने में उनकी बड़ी भूमिका होती है।
DGCA ने साफ कहा है कि हर एयरलाइन को अपनी सारी स्टाफ के लिए एक स्पष्ट थकान रिपोर्टिंग पॉलिसी जारी करनी होगी। साथ ही एक स्वतंत्र फटीग रिव्यू कमिटी बनानी होगी जो आने वाली हर रिपोर्ट को देखेगी और सुधार के उपाय सुझाएगी।
हर तीन महीने में ये रिपोर्ट DGCA को भेजनी होगी। इसमें लिखना होगा कि कितने क्रू मेंबर्स को ट्रेनिंग दी गई, कितनी थकान की रिपोर्ट्स आईं, कितनी स्वीकार की गईं और कितनी रिजेक्ट हुईं। रिजेक्ट करने की वजह भी बतानी होगी। अगर किसी क्रू मेंबर को थकान की वजह से छुट्टी दी जाती है तो कम से कम 24 घंटे का रेस्ट और उसमें एक लोकल नाइट भी शामिल होना ज़रूरी है।
जुलाई में DGCA ने कई एयरलाइंस का ऑडिट किया था। पता चला कि थकान से जुड़े पुराने नियमों को लेकर अभी भी कन्फ्यूजन है। पायलट यूनियनों ने भी बार-बार चिंता जताई थी कि बोइंग 787 जैसी कुछ फ्लाइट्स में ड्यूटी टाइम बढ़ाने और नाइट लैंडिंग की छूट देने से सेफ्टी पर बुरा असर पड़ सकता है।
पहले DGCA ने हफ्ते में 48 घंटे रेस्ट और नाइट लैंडिंग की संख्या सीमित करने जैसे नियम लागू किए थे। इंडिगो और एयर इंडिया जैसी कंपनियों ने इसका विरोध किया था, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद इन्हें मानना पड़ा।
अब नई दिल्ली में एयरलाइंस और पायलट एसोसिएशन के साथ मीटिंग के बाद ये ताज़ा गाइडलाइंस जारी हुई हैं। DGCA का मानना है कि ट्रेनिंग और पारदर्शी रिपोर्टिंग से थकान से जुड़े रिस्क को काफी हद तक कम किया जा सकता है।