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Smallcase के इन्वेस्टमेंट मैनेजर कहते हैं कि भारत में अब इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत तेजी से काम हो रहा है और यह कई साल तक चलता रहेगा। उनका कहना है कि पिछले 3 सालों में Nifty Infra, Nifty 50 से लगभग दोगुना रिटर्न दे चुका है। Nifty Infra ने पिछले 1, 3 और 5 साल में 14.5%, 82.8% और 181.2% का फायदा दिया है, जबकि Nifty 50 ने सिर्फ 10.5%, 41.5% और 100.3% रिटर्न दिए हैं। इससे पता चलता है कि इंफ्रा वाले शेयर अब पहले जैसे धीमे और सुरक्षित नहीं रहे, बल्कि अब ये तेजी से बढ़ने वाले शेयर बन गए हैं। इन्वेस्टमेंट मैनेजर यह भी बताते हैं कि इंफ्रा पर खर्च किया गया 1 रुपया देश की GDP में लगभग ₹2.5–₹3 का फायदा करता है, इसलिए यह सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
इन्वेस्टमेंट मैनेजर का कहना है कि भारत में इंफ्रा का विकास अब सिर्फ सरकार के खर्च पर नहीं चल रहा। सरकार तो पहले ही बड़े पैमाने पर पैसा लगा रही है, लेकिन अब निजी कंपनियां भी तेजी से इंफ्रा प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रही हैं। इसका कारण है PLI स्कीमों का असर, दुनिया भर में सप्लाई चेन का बदलना और भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने पर दिया जा रहा जोर।
इन वजहों से इंजीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन, सीमेंट, बिजली उपकरण बनाने वाली कंपनियों और लॉजिस्टिक्स सेक्टर की कमाई आने वाले कई सालों तक मजबूत रहने की उम्मीद है। इन्वेस्टमेंट मैनेजर का मानना है कि आने वाले समय में बाजार इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की रफ्तार को देखकर ही ज्यादा प्रतिक्रिया देगा और इन सेक्टरों की कमाई स्थिर रहेगी।
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LotusDew के फाउंडर और smallcase के इन्वेस्टमेंट मैनेजर अभिषेक बनर्जी कहते हैं कि आने वाले सालों में भारत में इंफ्रा पर होने वाला निवेश बहुत तेजी से बढ़ेगा। उनके मुताबिक, 2030 तक InvITs करीब ₹25 लाख करोड़ की संपत्ति संभाल सकते हैं। InvITs की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनमें आम तौर पर फिक्स्ड और भरोसेमंद आय मिलती है, क्योंकि ये कॉन्ट्रैक्ट आधार पर चलते हैं। इनसे टैक्स से पहले लगभग 10–12% और टैक्स के बाद 7–9% रिटर्न मिल सकता है।
अभिषेक बनर्जी बताते हैं कि InvITs का जोखिम भी कम होता है, क्योंकि इनके भाव शेयर बाजार की तरह ज्यादा ऊपर-नीचे नहीं होते। शेयरों की तुलना में इनकी हलचल कम होती है और शेयर बाजार से इनका ज्यादा संबंध भी नहीं है। इसलिए यह निवेशकों के पोर्टफोलियो में स्थिरता और नियमित आय देने में मदद करते हैं।
smallcase के इन्वेस्टमेंट मैनेजर कहते हैं कि साल 2026 से 2030 के बीच इंफ्रा से जुड़े सेक्टरों में अच्छे ऑर्डर, बढ़िया कैश फ्लो और मजबूत बढ़त देखने को मिलेगी। उनके मुताबिक, इंफ्रा ऐसा सेक्टर है जिसमें लंबे समय तक निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। आने वाले सालों में यही सेक्टर भारत की आर्थिक बढ़त को आगे बढ़ाएगा और देश की ग्रोथ का सबसे बड़ा सहारा बनेगा।
Compounding Wealth Advisors LLP के फाउंडर राकेश पुजारा कहते हैं कि भारत इस समय सच में एक “इंफ्रास्ट्रक्चर सुपर साइकिल” से गुजर रहा है। उनका कहना है कि सरकार ने FY25 में ₹11.11 लाख करोड़ का रिकॉर्ड खर्च किया था और FY26 में यह बढ़कर ₹11.21 लाख करोड़ होने की उम्मीद है। वे बताते हैं कि भारत अब सिर्फ सड़कें और पुल ही नहीं बना रहा, बल्कि अब देश में आधुनिक लॉजिस्टिक्स, डिजिटल नेटवर्क, तेज रफ्तार ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर और स्वच्छ ऊर्जा से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर भी तेजी से तैयार हो रहा है। इन सब वजहों से भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से ज्यादा मजबूत और आधुनिक बनता जा रहा है।
सरकार के बड़े खर्च, नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (NIP) और निजी कंपनियों के निवेश की वजह से 2025 में भारत का इंफ्रा बाजार करीब ₹16.87 लाख करोड़ का हो गया है। इन्वेस्टमेंट मैनेजर का मानना है कि 2030 तक यह बढ़कर ₹24.82 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। यानी हर साल करीब 8% की रफ्तार से ग्रोथ होगी। इससे निर्माण, लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा और दूसरे इंफ्रा सेक्टरों में निवेश और नौकरियों के कई नए मौके पैदा होंगे और पूरा बाजार और ज्यादा मजबूत बनेगा।
SmartWealth.ai के फाउंडर पंकज सिंह कहते हैं कि भारत का इंफ्रा सेक्टर इस समय एक बहुत बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। सरकार के रिकॉर्ड कैपेक्स, निजी निवेश के बढ़ने और नई नीतियों की वजह से सड़कें, बंदरगाह, हवाई अड्डे और बिजली जैसे पुराने इंफ्रा सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन और डेटा सेंटर जैसे नए सेक्टर भी तेजी से उभर रहे हैं।
पंकज सिंह का कहना है कि इंफ्रा अब सिर्फ कुछ सालों की कहानी नहीं रह गया है, बल्कि यह एक लंबी अवधि का ग्रोथ सेक्टर बन चुका है। उनका मानना है कि यही इंफ्रा भारत को 2047 तक दुनिया की टॉप-3 अर्थव्यवस्था बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा और आने वाले पूरे दशक में यह बाजार का सबसे अहम थीम बना रहेगा।