ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं में छोटे शहरों से व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) के जरिये आने वाले निवेश ने 10,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर लिया है। पिछले एक साल में अस्थिरता के बावजूद कुल एसआईपी निवेश में उनकी हिस्सेदारी बढ़ रही है।
उद्योग के आंकड़ों से पता चलता है कि शीर्ष 30 शहरों (बी-30) से बाहर के क्षेत्रों से ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं में एसआईपी निवेश अक्टूबर में 10,080 करोड़ रुपये रहा। इसने पहली बार सितंबर 2025 में इस उपलब्धि को हासिल किया था। तुलना की जाए तो मार्च 2021 में इन छोटे शहरों से एसआईपी निवेश केवल 2,832 करोड़ रुपये रहा था।
हालांकि निवेश निरपेक्ष आधार पर बढ़ रहा है। लेकिन कुल निवेश में उनकी हिस्सेदारी भी बढ़ रही है। अक्टूबर 2025 में ऐक्टिव इक्विटी एसआईपी निवेश में उनकी हिस्सेदारी 41.4 फीसदी थी जबकि मार्च 2021 में यह 36.8 फीसदी थी। फंड अधिकारियों और विशेषज्ञों के अनुसार बी-30 शहरों के हिस्से में तेजी से हो रही वृद्धि से इक्विटी और म्युचुअल फंडों (एमएफ) के प्रति निवेशकों की बढ़ती रुचि जाहिर होती है।
मिरे ऐसेट फंड की वितरण और रणनीतिक गठबंधन प्रमुख सुरंजना बड़ठाकुर ने कहा, बी-30 शहरों से एसआईपी निवेश में लगातार वृद्धि केवल भौगोलिक विस्तार से कहीं अधिक का संकेत देती है। यह भारत में बचत और निवेश के तरीके में संरचनात्मक बदलाव दर्शाती है। वर्षों से वित्तीय जागरूकता और म्युचुअल फंडों की पहुंच बड़े शहरों तक ही सीमित थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल पहुंच, नियामक की पहलों, सरल केवाईसी प्रक्रियाओं और मजबूत निवेशक शिक्षा के कारण निवेश का लोकतंत्रीकरण हुआ है।
हाल के वर्षों में छोटे शहर और ग्रामीण क्षेत्र म्युचुअल फंडों के फोकस के केंद्र रहे हैं क्योंकि उद्योग अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि बहुभाषी जागरूकता अभियानों और बी-30 केंद्रित उपायों के अच्छे परिणाम मिले हैं। साथ ही, बढ़ते व्यक्तिगत वितरक आधार ने भी म्युचुअल फंडों को अपने निवेशक आधार का विस्तार करने में मदद की है।
इसकी मुख्य वजह छोटे शहरों में वितरकों की बढ़ती पहुंच है। 250 रुपये या उससे कम की छोटी एसआईपी जैसे कदमों ने भी इसमें योगदान दिया है। सेंस ऐंड सिंपलिसिटी के संस्थापक और सीईओ सुनील सुब्रमण्यम ने कहा, देसी म्युचुअल फंड उद्योग निकाय द्वारा एमएस धोनी और सचिन तेंदुलकर जैसी मशहूर हस्तियों के जरिए चलाए गए बड़े मल्टीमीडिया अभियान ने भी म्युचुअल फंडों को निवेशकों के साथ ठीक से तालमेल बिठाने में मदद की है।
हालांकि, विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि बी-30 डेटा केवल सांकेतिक है और इससे छोटे शहरों के निवेशकों की भागीदारी की सटीक तस्वीर पता नहीं चलती। चूंकि यह वर्गीकरण पैन डेटाबेस में दर्ज पते पर आधारित है, इसलिए कई निवेशक जो बड़े शहरों में चले गए हैं लेकिन जिन्होंने अपना पैन विवरण अपडेट नहीं किया है, उन्हें बी-30 निवेशकों के रूप में ही गिना जाता है।
कुल एसआईपी निवेश (डेट, पैसिव और हाइब्रिड फंडों सहित) में बी-30 की हिस्सेदारी लगभग समान है। अक्टूबर में बी-30 ने 29,529 करोड़ रुपये के कुल एसआईपी निवेश में 12,130 करोड़ रुपये का योगदान दिया। बी-30 की हिस्सेदारी 41.1 फीसदी रही। समान हिस्सेदारी दर्शाती है कि निवेशकों की रुचि केवल इक्विटी योजनाओं तक ही सीमित नहीं है। हाइब्रिड फंड, पैसिव फंड और यहां तक कि डेट योजनाओं में भी बी-30 एसआईपी निवेश में वृद्धि देखी जा रही है।