प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
कानून के जानकारों का कहना है कि स्टर्लिंग बायोटेक के पूर्व निदेशक डायरेक्टर नितिन और चेतन संदेसरा के खिलाफ आपराधिक मामलों को कुछ बकाया चुकाने पर वापस लिए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले से दूसरे बड़े आर्थिक अपराधी भी ऐसे ही समझौते की मांग कर सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने साफ किया है कि उसका आदेश इस मामले के ‘अजीब तथ्यों’ तक ही सीमित है, लेकिन वकीलों का मानना है कि यह एक मजबूत उदाहरण है और विजय माल्या, नीरव मोदी व मेहुल चोकसी जैसे दूसरे लोग अपने बचाव में इसके इस्तेमाल की कोशिश कर सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बी श्रवणनाथ शंकर ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल कर एकमुश्त समाधान की इजाज़त दी है, जिससे आरोपी भगोड़े आर्थिक अपराधियों को आपराधिक मामलों और सिविल देनदारियों, दोनों से बरी किया जा सकता है, बशर्ते वे कर्जदाताओं को मोटी राशि का भुगतान करें।’
शुक्रवार को न्यायमू्र्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय विश्नोई के पीठ ने 17 दिसंबर तक 5,100 करोड़ रुपये जमा करने की शर्त पर संदेसरा बंधुओं के खिलाफ सभी आपराधिक और जांच प्रक्रियाओं को बंद करने की अनुमाति दे दी थी। यह राशि संदेसरा बंधुओं को कर्ज देने वाले बैंकों के कुल बकाये का करीब एक तिहाई है। न्यायालय ने कहा कि पूर्ण और अंतिम सेटलमेंट के रूप में यह धनराशि कर्ज देने वाले बैंकों के कंसोर्टियम के बीच वितरित कर दी जाएगी। न्यायालय ने कहा कि यह कदम मानक नहीं बल्कि एक अपवाद है।
बहरहाल विशेषज्ञों का मानना है कि पीठ के स्पष्ट दिशानिर्देश के बावजूद कि इस आदेश को एक नजीर के रूप में नहीं लिया जा सकता है, इसका वास्तविक असर अलग होगा।
शंकर ने कहा, ‘इस तरह के हाई प्रोफाइल सेटलमेंट से अन्य बड़े चूककर्ता जैसे विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी भी इस तरह के समझौते की मांग कर सकते हैं।’ बहरहाल उन्होंने कहा कि यह तरीका अपनाए जाने से ढांचागत जोखिम पैदा हो सकता है।
भारतीय बैंकों से 1.7 अरब से ज्यादा की धोखाधड़ी करने के आरोपी संदेसरा बंधु 2017 में भारत से भाग गए थे और बाद में स्थानीय परियोजनाओं में निवेश का वादा करके अल्बानिया की नागरिकता ले ली थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय और आयकर विभाग ने जांच के बाद उन्हें भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया गया था।