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रूसी तेल से दूरी: भारतीय रिफाइनरियों ने बदला रुख, दिसंबर में आयात में भारी गिरावट की आशंका

एक रिफाइनिंग सूत्र ने बताया कि अमेरिका के हालिया प्रतिबंधों के बाद बैंकों की कड़ी जांच के कारण भारत की सरकारी रिफाइनरियां बहुत ज्यादा सतर्क हो गई हैं

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एजेंसियां   
Last Updated- November 25, 2025 | 4:55 PM IST

India’s Russian oil imports: भारत की रूस से तेल खरीद दिसंबर में तीन साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने वाली है। नवंबर में यह खरीद कई महीनों के हाई पर थी, लेकिन अब रिफाइनरियों ने पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से बचने के लिए दूसरे विकल्पों की तरफ रुख किया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने यह जानकारी दी।

रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन (EU) और अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर अपने प्रतिबंध कड़े कर दिए हैं। अमेरिका के ताजा प्रतिबंध रूस की प्रमुख कंपनियों रोजनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) पर लगाए गए हैं। रूसी तेल खरीदने वाली कंपनियों को 21 नवंबर तक इन दोनों कंपनियों के साथ अपना कारोबार खत्म करने के लिए कहा गया था।

इसके अलावा, यूरोपीय यूनियन ने 21 जनवरी की समयसीमा तय की है। इस तारीख के बाद यूरोपीय यूनियन उन रिफाइनरियों का ईंधन नहीं खरीदेगा, जिन्होंने बिल ऑफ लैंडिंग की तारीख से 60 दिनों के भीतर रूसी तेल का उपयोग किया हो।

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बैंकों की जांच से सतर्कता बढ़ी

एक रिफाइनिंग सूत्र ने बताया कि अमेरिका के हालिया प्रतिबंधों के बाद बैंकों की कड़ी जांच के कारण भारत की सरकारी रिफाइनरियां बहुत ज्यादा सतर्क हो गई हैं। उन्होंने कहा कि दिसंबर में भारत को 6 लाख से 6.5 लाख बैरल प्रतिदिन रूसी तेल मिलने की संभावना है।

स्रोत ने भारतीय कंपनियों की शुरुआती योजनाओं का हवाला देते हुए बताया कि इनमें इंडियन ऑयल, नायरा एनर्जी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए नवंबर में लोड किए गए कुछ कार्गो की डिलीवरी शामिल है।

केप्लर के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, इस महीने भारत को 18.7 लाख बैरल प्रतिदिन रूसी कच्चा तेल मिलने का अनुमान है। अक्टूबर में भारत ने 16.5 लाख बैरल प्रति दिन रूसी तेल आयात किया, जो सितंबर की तुलना में 2% ज्यादा था।

एक ट्रेड सोर्स ने नाम न बताने की शर्त पर रॉयटर्स को बताया, “नवंबर में रूस से तेल की सप्लाई ज्यादा रहने की उम्मीद है क्योंकि कई रिफाइनरियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों की समय-सीमा से पहले ही अपना स्टॉक भरने की कोशिश की। इसके अलावा, 2026 से EU बाजार के लिए तेल उत्पाद बनाने में गैर-रूसी तेल का इस्तेमाल अनिवार्य होने वाले नियम के कारण भी कंपनियां पहले से तैयारी कर रही हैं।”

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भारतीय रिफाइनरियों ने रूसी तेल की खरीदारी रोकी

ज्यादातर भारतीय रिफाइनरियां—जैसे मेंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (HPCL) और HPCL-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (HMEL)—ने रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया है।

सरकारी कंपनियों इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम ने कहा है कि वे केवल उन कंपनियों से तेल खरीदेंगी, जो प्रतिबंधित नहीं हैं। नायरा एनर्जी, जिसमें रोजनेफ्ट की आंशिक हिस्सेदारी है, अब केवल रूसी तेल ही प्रोसेस कर रही है क्योंकि ब्रिटेन और EU के प्रतिबंधों के बाद अन्य सप्लायर पीछे हट गए हैं।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने कहा है कि उसने 22 अक्टूबर तक तय किए गए रूसी तेल कार्गो लोड कर लिए हैं। और 20 नवंबर के बाद आने वाले किसी भी कार्गो को वह अपनी उस रिफाइनरी में प्रोसेस करेगी, जो घरेलू बाजार के लिए ईंधन बनाने के लिए तैयार की गई है। दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनिंग कॉम्प्लेक्स का चलाने वाली रिलायंस की दो रिफाइनरियां हैं—जिनमें से एक सिर्फ एक्सपोर्ट के लिए है।

अक्टूबर में भारत के तेल आयात में अमेरिकी तेल की हिस्सेदारी जून 2024 के बाद सबसे ज्यादा हो गई, क्योंकि रिफाइनरियों ने कीमतों में अंतर (आर्बिट्राज) का फायदा उठाया।

भारत पर भी अमेरिका से ज्यादा एनर्जी खरीदने का दबाव है, क्योंकि अमेरिका ने भारतीय आयातों पर टैरिफ को दोगुना करके 50% कर दिया है। इसका कारण यह है कि भारत रूसी तेल खरीद रहा है।

First Published : November 25, 2025 | 3:28 PM IST