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अब 10 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने का परीक्षण शुरू

Last Updated- December 10, 2022 | 12:02 AM IST

कच्चे तेल की कीमतों में हुई भारी गिरावट के बावजूद सरकार ने कर्नाटक के बेलगाम और उत्तर प्रदेश के बरेली में प्रायोगिक आधार पर पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने की शुरुआत कर दी है।
सूत्रों ने बताया कि एक महीने पहले शुरू की गई यह योजना जून 2009 तक चलेगी। वाणिज्यिक तौर पर लॉन्च किए जाने से पहले दोपहिया वाहनों पर इस मिलावट के प्रभावों के अध्ययन के उद्देश्य से इस पायलट परियोजना को लॉन्च किया गया था।
तेल की कीमतों में हाल में आई भारी गिरावट के बावजूद घरेलू तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) जैव ईधन मिलावट की योजना को जारी रखना चाहती हैं। उनका कहना है कि कच्चे तेल के आयात में कटौती के नजरिये से एथेनॉल की मिलावट जरूरी है।
देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के निदेशक (वित्त) एस वी नरसिम्हन ने कहा, ‘ आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कुछ हद तक कम करने के लिए एथेनॉल की मिलावट करना महत्वपूर्ण है। हम तेल का 75 प्रतिशत आयात करते हैं इसलिए किसी भी तरह की कटौती हमारे हक में है।’
भारत जिस दर पर कच्चा तेल खरीदता है उसमें जुलाई के 142 डॉलर प्रति बैरल से भारी कमी आई है। आज इसकी कीमत 43.14 डॉलर रही। जुलाई से अब तक कीमतों में 69 प्रतिशत की कमी आई है।
पिछले महीने पेट्रोलियम सचिव आर एस पांडे ने कहा था, ‘पिछले दो-तीन महीनों में हमने कच्चे तेल की कीमतों में कमी आते देखा है लेकिन इससे हमें जैव ईंधन की मिलावट नहीं रोकनी चाहिए। 40 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर भी एथेनॉल की मिलावट आर्थिक रुप से सुसंगत लगता है।’
ओएमसी चीनी मिलों से 21.50 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से एथेनॉल की खरीदारी करते हैं। इस साल अक्टूबर में एथेनॉल खरीद के अधिकांश अनुबंध समाप्त होने वाले हैं और ऐसा समझा जा रहा है कि ओएमसी ने मिलों से वर्तमान दरों पर अनुबंधों के नवीकरण की बात की है। कुछ मिलों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया है।
अक्टूबर 2007 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने अक्टूबर 2008 से देश भर में (जम्मू कश्मीर और उत्तर पूर्वी राज्यों को छोड़ कर) अनिवार्य आधार पर 10 प्रतिशत एथेनॉल की मिलावट को अनुमति दे दी थी।
हालांकि, अंतिम तिथि गुजर चुकी है और अभी तक केवल पांच प्रतिशत एथेनॉल की मिलावट ही की जा रही है। पांच प्रतिशत मिलावट की शुरुआत नवंबर 2007 में की गई थी। प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में रकबे में 20 से 25 फीसदी की कमी की वजह से शीरे का उत्पादन प्रभावित हुआ है। शीरा, एथेनॉल बनाने में कच्चे माल के तौर पर प्रयुक्त होता है। इससे एथेनॉल की उपलब्धता पर असर हो सकता है।

First Published - February 5, 2009 | 3:03 PM IST

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