भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) पर अपने नवीनतम मार्केट अध्ययन में जिम्मेदार स्वायत्तता का आह्वान किया है। आयोग ने उद्यमों से संभावित प्रतिस्पर्धा चिंताओं को दूर करने के लिए एआई सिस्टम के स्व-ऑडिट की वकालत की है।
सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारत मौजूदा उपकरणों और उभरते उपकरणों के साथ एआई से होने वाले नुकसान को समुचित ढंग से नियंत्रित करना चाहता है। इसके साथ भारत डिजिटल मार्केट प्लेस में जवाबदेही और निष्पक्षता को प्रोत्साहित भी करता है।’ रिपोर्ट के अनुसार भारत का नजरिया ‘बाजार की विकृतियों पर अंकुश लगाकर और सभी तकनीकधारकों के लिए समान अवसर तय करने के साथ-साथ नवाचार, डिजिटल उद्यमशीलता, व्यापक प्रौद्योगिकी प्रसार को बढ़ावा देकर नाजुक और लेकिन महत्त्वपूर्ण संतुलन स्थापित करना है।’
यह रिपोर्ट मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट सोसाइटी के जरिये रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट में खुदरा, ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स व डिलिवरी, बैंकिंग व फाइनैंशियल सर्विसेज और हेल्थकेयर सहित उद्योगों में एआई के प्रयोग पर अध्ययन किया गया है। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि कैसे तकनीक अपनाने से पारंपरिक व्यवसाय प्रतिमान और परिचालन ढांचे को नया आकार मिल रहा है। सीसीआई के अध्ययन में एमएसएमई में एआई शामिल करने की उपयोगिता को भी रेखांकित किया गया है। इससे एमएसएमई के संसाधनों को न केवल अपने संसाधनों का इष्टतम आबंटन और कारोबारी संचालन को सुचारु करने में मदद मिलेगी बल्कि उन्हें कारोबार के लिए समान अवसर मिलेंगे।
रिपोर्ट में उजागर किया गया कि कैसे एआई में पारदर्शिता की कमी से प्रतिस्पर्धा में विकृतियां आ सकती हैं। सीसीआई ने रिपोर्ट में कहा कि प्रमुख कंपनियां डेटा, आधारभूत ढांचा और प्रोपराइटरी मॉ़डल पर नियंत्रण करके अपनी मार्केट स्थिति को मजबूत कर सकती हैं। इससे बाजार में प्रवेश करने वालों के लिए दिक्कतें बढ़ेंगी। स्टॉर्टअप पर किए गए अध्ययन के अनुसार एआई अपनाने में मुख्य चुनौतियां मिलीभगत, मूल्य भेदभाव, सीमित विकल्प, कम पारदर्शिता को उजागर किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एआई पारंपरिक मिलीभगत के विपरीत प्रत्यक्ष मानवीय समन्वय के बिना मिलीभगत को सुविधाजनक बना सकता है। दरअसल, स्व-शिक्षण एल्गोरिदम स्वतंत्र रूप से सहकारी मूल्य निर्धारण रणनीतियों को अपना सकते हैं जो मुनाफे को अधिकतम करते हैं।’
सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंताएं होने के बावजूद प्रतिस्पर्धा-समर्थक प्रभावों जैसे बढ़ी हुई उत्पादकता, बेहतर ग्राहक जुड़ाव और कम लागत को स्वीकार किया।
आयोग ने कहा है कि एआई संचालित प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं को रोकने के लिए अपनी तकनीकी क्षमताओं और आधारकभूत ढांचे को मजबूत करेगा। इस क्रम में आयोग डिजिटल बाजारों से संबंधित मामलों पर विशेषज्ञता लाने के लिए थिंक टैंक स्थापित करेगा। इसमें विेशेष तौर पर एआई पर ध्यान दिया जाएगा। अविश्वास पर नजर रखने वाले इस आयोग की योजना सभी साझेदारों के साथ ‘एआई और नियामकीय मुद्दों’ पर कॉन्फ्रेंस आयोजित करना है।