महाराष्ट्र में चीनी सीजन उत्पादन जारी है, इसके साथ ही राज्य में चीनी मिलों ने गन्ना पेराई बंद करना शुरु कर दिया है। हालांकि राज्य सरकार इस साल गन्ना पेराई सत्र पिछले साल के मुकाबले लंबा रखने की योजना तैयार कर रही है, ताकि गन्ना पेराई पूरी हो सके।
राज्य की चीनी मिलों को अभी किसानों के बैंक खातों में उचित और किफायती दर (एफआरपी) 1500 करोड़ जमा करना है यानी चीनी मिलों के ऊपर किसानों को 1500 करोड़ रुपया बकाया है।
इस साल सूखे की वजह से महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है। जिसकी वजह से मिलों ने पेराई सत्र लंबा रखने की योजना बनाई हैं । चीनी उद्योग के विशेषज्ञों का अनुमान है कि मिलें अगले दो महीनों तक और पेराई जारी रखेंगी, ताकि गन्ने की बढ़ी हुई उपलब्धता से लाभ हो सके। इस बार पेराई सत्र अप्रैल तक चलने की उम्मीद है।
महाराष्ट्र चीनी मिलों ने पेराई बंद करना भी शुरू कर दिया है। चीनी आयुक्तालय के आकड़ों के मुताबिक सीजन 2023-24 में 05 फरवरी, 2024 तक महाराष्ट्र में 4 चीनी मिलें बंद हो गई है, जबकि इसी समय पिछले सीजन 5 चीनी मिलों ने पेराई बंद किया था।
सोलापुर विभाग में एक चीनी मिल, छत्रपति संभाजी नगर विभाग में दो चीनी मिल और नांदेड़ विभाग में एक चीनी मिल ने पेराई सत्र बंद कर दिया है। इस सीजन कुल मिलाकर 207 चीनी मिलों ने पेराई में भाग लिया था। जिसमे 103 सहकारी एवं 104 निजी चीनी मिलें शामिल है, और 743.25 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है।
राज्य में अब तक लगभग 72.33 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है। पिछले सीजन में इसी समय 208 चीनी मिलें शुरू थी और उन्होंने 820.55 लाख टन गन्ना पेराई कर 803.07 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया था।
चालू सीजन में राज्य में गन्ना पेराई अप्रैल तक चलने की उम्मीद है। वेस्टर्न इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीबी थोम्बरे ने कहा कि मिलें अगले 50-60 दिनों में गन्ने की रेगुलर आपूर्ति प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। इससे पेराई के लिए 300 लाख टन से अधिक गन्ना उपलब्ध होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र गन्ना का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
चीनी आयुक्तालय की रिपोर्ट के मुताबिक 31 जनवरी 2024 के अंत तक राज्य की चीनी मिलों ने किसानों के बैंक खातों में एफआरपी का 91.45 फीसदी यानी 16,126 करोड़ रुपये जमा कर दिए है। जबकि राज्य की मिलों द्वारा 1 हजार 507 करोड़ रुपये की एफआरपी राशि अभी भी बकाया है। इस दौरान एफआरपी की कुल राशि 17 हजार 633 करोड़ रुपये है।
राज्य की 112 चीनी मिलों ने एफआरपी की पूरी राशि का भुगतान नहीं किया है। राज्य में 94 चीनी मिलों ने किसानों को कटाई और परिवहन की लागत के साथ बकाया एफआरपी का शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया है। 49 मिलों ने 80 से 99 फीसदी एफआरपी राशि का भुगतान कर दिया है, जबकि 33 चीनी मिलों ने 60 से 79 फीसदी और लगभग 30 मिलों ने 0 से 59 प्रतिशत तक गन्ना मूल्य भुगतान किया है।
महाराष्ट्र सहित पूरे देश में पिछले सीजन का गन्ना भुगतान लगभग पूरा हो चुका है। चीनी मिलों का कहना है कि चालू सीजन का भुगतान सीजन खत्म होने तक कर हो जाएगा। एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में कहा कि पिछले सीजन में देश में किसानों का 99 फीसदी से अधिक गन्ना बकाया मिलों द्वारा चुका दिया गया है, जो 1.15 लाख करोड़ रुपये में से 1.14 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश की तीन चीनी मिलों पर अब सिर्फ 516 करोड़ रुपये बकाया है जिनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। उन्होने कहा कि मिलों की उत्पादकता बढ़ी है, सहकारी मिलें सक्रिय हो गई हैं और वे मुनाफे में हैं और कर्मचारियों की नौकरियां सुरक्षित हो रही हैं।