भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हाल ही में हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) से भारतीय किसानों को बड़ा फायदा होने वाला है। न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समझौते में भारत ने अपने किसानों के हितों की रक्षा की है। डेयरी उत्पाद, खाद्य तेल, सेब और ओट्स जैसे कई कृषि उत्पादों पर अब आयात शुल्क नहीं लगेगा। इससे भारतीय किसानों के लिए ब्रिटेन का बाजार और आकर्षक हो जाएगा।
इस समझौते के तहत भारत के 95 फीसदी कृषि और प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट अब ब्रिटेन में बिना किसी आयात शुल्क के निर्यात किए जा सकेंगे। इसमें हल्दी, काली मिर्च, इलायची जैसे रोजमर्रा के मसाले शामिल हैं। इसके अलावा मैंगो पल्प, अचार, दालें और अन्य प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट भी इस छूट का फायदा उठाएंगे। समुद्री उत्पादों जैसे झींगा और टूना को भी इस समझौते से बड़ा लाभ होगा।
वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने PTI को बताया, “यह समझौता भारतीय किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित होगा। इससे उनके उत्पादों को ब्रिटेन के प्रीमियम बाजारों में जगह मिलेगी, जो जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य यूरोपीयन देशों के निर्यातकों को मिलने वाले फायदों के बराबर या उससे बेहतर होगी।” ब्रिटेन हर साल 37.52 बिलियन डॉलर के कृषि उत्पाद आयात करता है, लेकिन इसमें भारत का हिस्सा सिर्फ 811 मिलियन डॉलर का है। इस समझौते से भारत की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है।
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यह समझौता भारतीय उत्पादों जैसे फल, सब्जियां, अनाज, मसाला मिश्रण, फ्रूट पल्प, रेडी-टू-ईट भोजन और अन्य प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की लागत को कम करेगा। इससे ये उत्पाद ब्रिटेन के बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
अधिकारी ने बताया, “अगले तीन साल में कृषि निर्यात में 20 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। यह भारत के 2030 तक 100 बिलियन डॉलर के कृषि निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा। इस समझौते से जैकफ्रूट, बाजरा और ऑर्गेनिक जड़ी-बूटियों जैसे नए निर्यात उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा।”
समुद्री उत्पादों के लिए भी यह समझौता बड़ा मौका लेकर आया है। भारत के 99 फीसदी समुद्री निर्यात, जैसे झींगा, टूना, फिशमील और फीड, अब ब्रिटेन में बिना शुल्क के निर्यात किए जा सकेंगे। अभी इन पर 4.2 से 8.5 फीसदी का शुल्क लगता है। अधिकारी ने कहा, “ब्रिटेन का समुद्री उत्पादों का आयात बाजार 5.4 बिलियन डॉलर का है, लेकिन भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.25 फीसदी है। यह समझौता इस हिस्सेदारी को बढ़ाने का बड़ा मौका देगा।”
इसके अलावा, भारतीय ब्रांडेड उत्पाद जैसे कॉफी, चाय, मसाले और पेय पदार्थ भी ब्रिटेन के बाजार में अपनी जगह बनाने के लिए तैयार हैं। अभी भारत की कॉफी का सिर्फ 1.7 फीसदी हिस्सा ब्रिटेन को निर्यात होता है। शुल्क हटने से भारतीय इंस्टेंट कॉफी जर्मनी और स्पेन जैसे यूरोपीय निर्यातकों के साथ बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सकेगी। भारतीय चाय की ब्रिटेन में 5.6 फीसदी और मसालों की 2.9 फीसदी हिस्सेदारी है, जो अब और बढ़ने की उम्मीद है।
इस समझौते से गोवा का फेनी, नासिक की आर्टिसनल वाइन और केरल का ताड़ी जैसे भारतीय क्राफ्ट ड्रिंक्स को भी ब्रिटेन में भौगोलिक संकेतक (GI) संरक्षण और हाई-एंड रिटेल व हॉस्पिटैलिटी चेन में जगह मिलेगी। यह समझौता भारत के प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट इंडस्ट्री को भी बढ़ावा देगा। भारत अभी 14.07 बिलियन डॉलर के प्रसंस्कृत खाद्य और कृषि उत्पाद निर्यात करता है, लेकिन ब्रिटेन के 50.68 बिलियन डॉलर के आयात बाजार में उसकी हिस्सेदारी सिर्फ 309.5 मिलियन डॉलर है।
इस समझौते से देश के अलग-अलग राज्यों के किसानों को फायदा होगा। महाराष्ट्र के अंगूर और प्याज, गुजरात के मूंगफली और कपास, पंजाब और हरियाणा के बासमती चावल, केरल के मसाले और पूर्वोत्तर राज्यों के बागवानी उत्पादों को ब्रिटेन के बाजार में नई पहचान मिलेगी।