एशियाई मुद्राओं में गिरावट और विदेशी धन की नकासी के बीच मंगलवार को रुपया 11 पैसे गिरकर करीब 84 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया। गिरावट के साथ रुपया 83.86 रुपये प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर बंद हुआ, जबकि सोमवार को 83.97 के निचले स्तर को छूने के बाद यह 83.85 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा बाजार के सभी सेग्मेंट में हस्तक्षेप किया, जिसकी वजह से तेज गिरावट नहीं हुई।
बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि विदेशी बाजार में डॉलर की मांग बहुत तेज थी, जिसकी वजह से भारतीय रुपये पर दबाव और बढ़ा। डॉलर सूचकांक मंगलवार को बढ़कर 103.11 पर पहुंच गया। इस सूचकांक से 6 प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति का आकलन किया जाता है। डॉलर सूचकांक सोमवार को 102.68 पर बंद हुआ था।
बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि रिजर्व बैंक ने नॉन डिलिवरेबल फॉरवर्ड्स (एनडीएफ) बाजार, हाजिर ओवर द काउंटर (ओटीसी) और वायदा बाजार में डॉलर की बिक्री की जिससे विनिमय दर के उतार-चढ़ाव में कमी आई। एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘एनडीएफ बाजार में रिजर्व बैंक कारोबारी घंटों के पहले मौजूद था और उसके बाद वे हाजिर और वायदा बाजारों में भी थे।’
उन्होंने कहा, ‘अगले 2-3 कारोबारी सत्रों में रुपया 84 रुपये प्रति डॉलर के आंकड़े को छू सकता है।’ सोमवार को कारोबारी घंटों के बाद रुपया ऑफ-शोर मार्केट में गिरकर 84.20 प्रति डॉलर पर पहुंच गया था। हालांकि मंगलवार को यह 83.85 रुपये प्रति डॉलर पर खुला क्योंकि रिजर्व बैंक ने कारोबारी घंटों के पहले एनडीएफ मार्केट में हस्तक्षेप किया।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी में कोषागार के प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘रिजर्व बैंक सभी 3 बाजारों में मौजूद था और उन्होंने संभवतः करीब 1 अरब डॉलर की बिक्री मंगलवार को की है।’
रिजर्व बैंक ने बेहतर विदेशी मुद्रा भंडार बना रखा है। यह 26 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 667 अरब डॉलर था, जो 2024-25 में करीब 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने बार-बार कहा है कि वह विदेशी मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए हस्तक्षेप करता है और उसका किसी खास स्तर का लक्ष्य नहीं है। भंसाली ने कहा, ‘कल (बुधवार को) रुपया 83.85 प्रति डॉलर से 84.05 प्रति डॉलर के बीच रह सकता है, क्योंकि डॉलर की खरीद जारी रहने की संभावना है और रिजर्व बैंक एक खास स्तर पर रुपये की मदद करेगा।’
अमेरिका में संभावित मंदी के साथ व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले येन कैरी ट्रेड के लाभ खत्म होते जाने से मुद्रा बाजार की धारणा प्रभावित हुई है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘रुपये में गिरावट आई, क्योंकि पिछले कुछ सत्रों से एफपीआई धन निकाल रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि येन का इस्तेमाल कर कैरी ट्रेड हमेशा निवेशकों में लोकप्रिय रहा है। लेकिन अब यह निवेशकों में अपनी चमक खो रहा है क्योंकि इससे नुकसान हो रहा है। अमेरिका में बेरोजगारी के समाचार आने के बाद यह हुआ है जिस पर बहुत बढ़ चढ़कर प्रतिक्रिया आ रही है क्योंकि इसे मंदी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
सबनवीस ने कहा कि यह कहा जा सकता है कि बाजारों ने अस्थिर भावनाओं के साथ ज्यादा प्रतिक्रिया दी है, बुनियादी बातों पर ध्यान नहीं दिया है। चालू वित्त वर्ष में डॉलर के मुकाबले रुपये में 0.7 फीसदी की गिरावट आई है और अगस्त में अब तक रुपया 0.3 फीसदी कमजोर हुआ है।