Crops damaged to rain: मॉनसून की सक्रियता के कारण चालू खरीफ सीजन में महाराष्ट्र में फसलों की बुआई का रकबा शानदार है। वहीं, राज्य में लगातार हो रही बारिश के कारण बाढ़ और जलजमाव ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। अधिक बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है इससे फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। बारिश के कारण मंड़ियों की आवक भी प्रभावित हुई है। प्राथमिक अनुमान के मुताबिक 68 हजार हेक्टेयर से ज्यादा फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।
चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई चालू सीजन के कुल रकबे के 91 फीसदी क्षेत्र में हो चुकी है। महाराष्ट्र में खरीफ सीजन की फसलों का रकबा करीब 142 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से अभी तक 128.9 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो चुकी है। सोयाबीन जैसी फसलों की बुआई अपने कुल रकबे से अधिक क्षेत्र में बुआई हुई है। राज्य में एक तरफ बुआई के आंकड़े किसानों की खुशहाली को दिखाते हैं तो वहीं दूसरी तरफ भारी बारिश और बाढ़ के कारण फसलों की बर्बादी के आंकड़े भयानक लग रहे हैं।
राज्य के विभिन्न जिलों में फलों को हुई क्षति का आंकलन-सर्वेक्षण किया जा रहा है और इसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही नुकसान के सही आंकड़ा पेश किया जाएगा। लेकिन प्राथमिक आंकड़ों के अनुसार भारी वर्षा एवं खेतों में जल भराव के कारण महाराष्ट्र के 18 जिलों में 68,457 हेक्टेयर से अधिक भूमि में खरीफ फसलें क्षतिग्रस्त हो चुकी है जबकि आगामी समय में और भी नुकसान होने की संभावना है। क्योंकि जोरदार बारिश का सिलसिला अभी थमा नहीं है। अगस्त में भी भारी वर्षा की आशंका है।
राज्य में जुलाई माह में अब तक की तीसरी सबसे अधिक बारिश हो चुकी है। इसके फलस्वरूप उत्पादकों को मंडियों तक अपना उत्पाद लाने में काफी कठिनाई हो रही है। पुणे के थोक बाजार में अनाज, दाल, फलों एवं सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो रही है। पुणे के कारोबारियों का कहना है कि महाराष्ट्र में बारिश से 68,000 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है जिसके कारण सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
भारी बारिश के कारण बहुत कम किसान फसल काटकर अपना माल बेचने के लिए बाजार आ पा रहे हैं। जिसके कारण पुणे जैसी मंडियों में आवक में 50 प्रतिशत की कमी आई है। जबकि राज्य की प्रमुख मंडियों में सब्जियों, फल एवं अनाज की आवक औसत 40 फीसदी कम हो रही है।
राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि बारिश, बाढ़ और जलभराव के कारण फसलों को नुकसान हुआ है। सरकार किसानों की हर संभव मदद करने के लिए वचनबद्ध है, प्रशासन की तरफ से तत्काल मदद पहुंचाई जा रही है। फसलों का सर्वेक्षण का काम भी शुरू किया गया लेकिन अभी बारिश का दौर थमा नहीं है। ऐसे में सही आकलन कर पाना मुश्किल हो रहा है। लेकिन सरकार किसानों के साथ है।
राज्य में करीब 150 लाख किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा करवाया है जिससे करीब 100 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बीमा से कवर है। किसानों को उनके नुकसान का मुआवजा मिलेगा। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र देश में सोयाबीन, कपास, तुवर एवं प्याज के सबसे अग्रणी उत्पादक राज्यों में शामिल है। यहां की फसलें खराब होती है तो देश के दूसरे राज्यों में भी इसका असर देखने को मिलेगा।