औद्योगिक निकायों ने वित्त मंत्रालय से आगामी अंतरिम बजट में पूंजीगत खर्च पर जोर देने का अनुरोध किया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी।
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने मांग की है कि पूंजीगत व्यय को 20 प्रतिशत बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये किया जाए जबकि बीते साल 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था।
उसने कहा, ‘यह बीते वर्षों की तुलना में कम वृद्धि दर है लेकिन कोरोना से पूर्व के वित्त वर्ष 16 से वित्त वर्ष 20 के दौरान हुए सालाना औसत 12 प्रतिशत की वृद्धि दर से अधिक है।’
इसी तरह की राय भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने बजट प्रस्तावों में दी है।
फिक्की ने कहा कि वृद्धि जबरदस्त होने के कारण सरकार को निवेश पर ध्यान देना चाहिए। वित्त वर्ष 24 में अभी तक सकल स्थिर पूंजी निर्माण और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात दशक के उच्च स्तर 34.9 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
फिक्की ने कहा, ‘देश बदलाव के महत्त्वपूर्ण बिंदु पर है। हालिया वैश्विक घटनाक्रम और उससे जुड़ी दिक्कतों के मद्देनजर सरकार को आगामी बजट में सार्वजनिक पूंजीगत व्यय (बुनियादी, सामाजिक और डिजिटल आधारभूत ढांचे) पर खासा ध्यान देना चाहिए।’
CII ने अनुरोध किया कि केंद्र, राज्यों के पूंजीगत व्यय के लिए दिए जाने वाले सहयोग को बढ़ाए। इस क्रम में राज्यों को 50 वर्षों के लिए 30,000 करोड़ से लेकर 1.6 लाख करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण मुहैया करवाया जाए। CII ने कहा, ‘राज्यों को दी जाने वाली मदद को सुधारों से जोड़ा जा सकता है।’