खेती बाड़ी: भेड़-बकरियों की उत्पादकता का आधुनिकीकरण
भारत भले ही भेड़-बकरी के मांस का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है, लेकिन पशुधन से जुड़े विकास कार्यक्रमों में इन छोटे लेकिन अत्यधिक मूल्यवान जानवरों की ज्यादातर उपेक्षा की जाती है। सरकारी अनुमानों से पता चलता है कि वर्ष 2022-23 में संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, मालदीव और ओमान जैसे देशों को भेड़ और […]
खेती बाड़ी: नीतियां बदलें तो लौटे ‘पीली क्रांति’ की चमक
खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करना केंद्र में सत्ता में आने वाली हर सरकार का प्रमुख एजेंडा रहा है, परंतु इस दिशा में कुछ खास प्रगति नहीं हुई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस साल अपने अंतरिम बजट भाषण में खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता के लिए रणनीति तैयार करने की प्रतिबद्धता जताई है। […]
कैसे हो कृषक उत्पादक संगठन का विकास?
फसलों के बेहतर प्रबंधन के जरिये सीमांत और छोटे किसानों की आय बढ़ाने में कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। देश में इनका तेजी से प्रसार हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकारें इनके विकास में गंभीरता से प्रयास करने लगी हैं। पूरे देश में इस समय लगभग 7,600 एफपीओ कार्यरत हैं […]
खेती बाड़ी: भविष्य के लिए सहेजना होगा भूजल
इस माह जारी भूजल स्रोत आकलन रिपोर्ट-2023 प्रथम दृष्टया इस महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन की स्थिति पर आश्वस्त करने वाली तस्वीर पेश करती है। हालांकि रिपोर्ट में भूजल के बेतहाशा दोहन से उभरती चिंताजनक स्थिति और कई कृषि प्रधान एवं शहरी इलाकों में इसकी गुणवत्ता जैसे पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट से पता […]
खेती बाड़ी: आर्थिक संभावनाओं से भरपूर कृषि वानिकी
आज जलवायु के अनुकूल खेती समय की मांग है। इसके लिए फसल उत्पादन और पशुपालन के साथ वृक्षों एवं झाडि़यों में उचित तालमेल बनाने की जरूरत है। तकनीकी रूप से इस तरह की खेती को कृषि वानिकी कहा जाता है। यह खेतों से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने में काफी मदद कर सकती है, […]
जमीन के पट्टे के लिए चाहिए ठोस कानून
Agriculture क्षेत्र को दो सुधारों की तत्काल आवश्यकता है। इनमें से एक खेती की जोत और दूसरा जमीन के पट्टे को वैध बनाने से संबंधित है है। खेती की जमीन की सीमा तय करने की बात अपनी प्रासंगिकता खो चुकी है क्योंकि अधिकांश बड़ी जोत पहले ही कई पीढ़ियों के बाद छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट […]
खेती बाड़ी: कृषि मशीनीकरण का अधूरा काम
हाड़ तोड़ मेहनत से निजात दिलाना ही कृषि मशीनीकरण का मुख्य उद्देश्य नहीं है, अलबत्ता यह बेहद जरूरी और वांछित परिणामों में से निश्चित तौर पर एक है। खेती-बाड़ी के कामकाज में दक्षता और गुणवत्ता सुधारने, लागत घटाने और कृषि की उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने के लिए मशीनों का उपयोग अनिवार्य लगता है। कई राज्यों […]
पशुपालन की सफलता और बाधाओं का दायरा
विभिन्न फसलों की खेती के बजाय किसानों की आजीविका और उनकी आमदनी के विश्वसनीय स्रोत के रूप में पशुपालन उभर रहा है। इसका एक कारण जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम में दिख रही अनिश्चितता और अन्य कारणों से फसलों के उत्पादन पर मंडरा रहा खतरा है। हालांकि पशुपालन इन जोखिमों को काफी हद तक […]
खेती बाड़ी: शाकाहारी मांस की बढ़ रही लोकप्रियता
पौधों पर आधारित प्रोटीन से भरपूर खाद्य उत्पादों को लोकप्रियता पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। ये खाद्य उत्पाद दिखने और स्वाद में मांस की तरह ही होते हैं। इन्हें आम बोल-चाल में ‘शाकाहारी मांस’ या वीगन फूड्स कहा जाता है। भारत में इसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं। देश में शाकाहार […]
जैव-उर्वरकों एवं जैव-कीटनाशकों के इस्तेमाल को मिल रहा बढ़ावा
फसलों के उत्पादन में रसायनों का उपयोग कम करने को लेकर बढ़ती जागरूकता के बीच जैव-उर्वरकों एवं जैव-कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। जैव-उर्वरक एवं जैव-कीटनाशक रासायनिक उर्वरकों के विकल्प माने जाते हैं और पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी ये अनुकूल होते हैं। अधिकांश जैव-उर्वरक एवं जैव-कीटनाशक रासायनिक उर्वरकों की तरह एवं कुछ मामलों […]









