दलहन उत्पादन बढ़ाने की इच्छा कम: प्रतिस्पर्धी फसलों के मुकाबले कमजोर मुनाफा
दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना दशकों से एक काफी चर्चित मगर पहुंच से दूर लक्ष्य रहा है। दलहन फसलें देश में लोगों के लिए प्रोटीन का प्रमुख स्रोत हैं। लेकिन दलहन की जरूरत एवं मांग पूरी करने के लिए आयात पर निर्भरता कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। मांग और आपूर्ति […]
कृषि को लाभदायक बिजनेस बनाने के लिए ज्यादा ऑटोमेशन की आवश्यकता
कृषि उपकरणों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को 12-18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिए जाने के कारण इनकी कीमतें कम हो गई हैं। इससे भारतीय कृषि में मशीनीकरण को आवश्यक प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। खेतों में काम हाथ से करने के बजाय मशीनों से करना मानव श्रम पर निर्भरता कम करने […]
भारतीय मसालों का अतीत और वर्तमान: ग्लोबल बाजारों में जगह बनाने के लिए और प्रयास करें
भारत का मसाला क्षेत्र लंबे समय से काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। वर्ष 2024-25 में इसने न केवल उत्पादन बल्कि निर्यात में भी नया रिकॉर्ड बनाया है। लेकिन इस क्षेत्र के और विस्तार के लिए अभी कुछ कमियां दूर करने की जरूरत है। पिछले एक दशक में मसालों का उत्पादन करीब 60 लाख टन […]
2026 को सोया वर्ष बनाने का अनुरोध, सोयाबीन क्षेत्र को नया जीवन देने की तैयारी
सोयाबीन उद्योग ने सरकार से 2026 को ‘सोया वर्ष’ घोषित करने का अनुरोध किया है। सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों एवं अनुसंधान संगठनों सहित सभी हितधारकों ने इसका समर्थन किया है। यह अनुरोध ऐसे समय में आया है जब सोयाबीन क्षेत्र मुश्किल दौर से गुजर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में सोयाबीन का वार्षिक उत्पादन लगभग […]
मिट्टी से जुड़ा दूध: विवादों के बावजूद ‘वीगन मिल्क’ की बढ़ रही लोकप्रियता
सामान्य दूध की तरह दिखने वाला वनस्पति आधारित अनूठा पेय, जिसे आमतौर पर वीगन मिल्क भी कहा जाता है, आजकल भारत सहित पूरी दुनिया में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। लेकिन डेरी किसान इसे गाय के दूध की तरह पोषक मानने को तैयार नहीं हैं। उनका मानना है कि गौवंश के दूध में ऐसे […]
लहलहाती रहे चावल की फसल: भारत की सफलता में तकनीक और नीतियों की भूमिका
भारत ने 14.9 करोड़ टन से अधिक के अनुमानित चावल उत्पादन के साथ दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादक के रूप में अपनी जगह बनाई है और इस कारण चीन दूसरे स्थान पर आ गया है। सबसे ज्यादा खपत होने वाले अनाज में चावल शुमार है। भारत वर्ष 2012 से ही चावल का शीर्ष निर्यातक […]
खेती बाड़ी: बागवानी क्षेत्र की समस्याओं का हो निराकरण
बागवानी भारतीय कृषि के विकास का एक प्रमुख इंजन बन कर उभरी है। वर्ष 2011-12 से फल, सब्जियों और अन्य बागवानी फसलों की पैदावार खाद्यान्न की तुलना में लगातार अधिक रहा है। इस कृषि वर्ष (जुलाई-जून) में बागवानी फसलों की पैदावार 36.2 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो 3.31 करोड़ टन के अनुमानित खाद्यान्न […]
फूल निर्यात में चुनौतियों का समाधान जरूरी
भारत भले ही दुनिया में फूलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और सरकार ने फूलों की खेती को शत-प्रतिशत निर्यातोन्मुख उभरता क्षेत्र घोषित किया है लेकिन वैश्विक फूल बाजार में देश की हिस्सेदारी बहुत कम है। वर्ष 2023-24 में भारत ने केवल 19,678 टन फूलों के उत्पादों का निर्यात किया जिसका मूल्य करीब […]
केवल 10,000 एफपीओ से नहीं होगा भला
सरकार ने 10,000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की जो बड़ी योजना 2020 में शुरू की और जिसके लिए करीब 6,865 करोड़ रुपये आवंटित किए थे वह कम से कम कागजों में तो पूरी हो गई है। बिहार के खगड़िया में 24 फरवरी को पंजीकृत हुआ ‘आमी-ग्रामविकास एफपीओ’ इस योजना के तहत बना 10,000वां एफपीओ […]
हल्दी-मखाना बोर्ड: नई पहल, बड़ी चुनौतियां
देश को बहु उपयोगी मसाले हल्दी का वैश्विक केंद्र बनाने के इरादे से राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड शुरू करने के महज दो हफ्ते बाद सरकार ने मखाना बोर्ड बनाने का प्रस्ताव भी रख दिया है। मखाना अभी तक तो हाशिये पर रहा था मगर पानी में होने वाली इस फसल को दुनिया भर में सुपरफूड के […]









