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लेखक : रथिन रॉय

आज का अखबार, लेख

भारत में समावेशी विकास और इससे जुड़ी चुनौतियां

नई सरकार के कार्यकाल में समावेशी विकास की नीति देश को ब्राजील के बजाय जापान की तरह तरक्की करने की राह पर ले जाएगी। बता रहे हैं रथिन राय भारत में नई सरकार का गठन हो गया है। अब सरकार के समक्ष कई गंभीर आर्थिक चुनौतियां हैं जिनका प्रभावी ढंग से समाधान होने पर ही […]

आज का अखबार, लेख

आर्थिक बदलाव और चुनावी नतीजे…

आम चुनावों के परिणाम से भारत का आर्थिक भविष्य, खासकर राजनीतिक अर्थव्यवस्था की वजह से महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित होगा। अर्थव्यवस्था (Economy) लड़खड़ा रही है और यह बढ़ती असमानता, घटती आमदनी और कमजोर बुनियादी ढांचे की तिहरी मार झेल रही है। कोरोना महामारी (Corona Epidemic) ने भी ग्रामीण क्षेत्रों की परेशानी को और बढ़ा दिया […]

आज का अखबार, लेख

लोकलुभावनवाद के फलने फूलने की क्या है वजह?

आर्थिक विकास का अर्थ है बढ़ी हुई समृद्धि हासिल करना। इस दिशा में पहला काम है आपदाओं, अभाव और शारीरिक असुरक्षा से निजात पाना। जब विभिन्न देश मध्य और उच्च आय के दर्जे की ओर बढ़ते हैं तो वे अपनी समृद्धि का स्तर बढ़ाने का प्रयास करते हैं। समृद्धि के दो पहलू हैं। ‘कैसे’ का […]

आज का अखबार, लेख

सोलहवें वित्त आयोग की राजनीतिक चुनौतियां, बुनियादी मुद्दों पर विचार आवश्यक

केंद्र सरकार को वित्त आयोग (Finance Commission) का गठन करते समय ध्यान में रखना चाहिए कि सौहार्दपूर्ण अंतर-सरकारी राजकोषीय संबंधों के मामले में कुछ बुनियादी मुद्दों पर विचार करना आवश्यक है। बता रहे हैं रथिन रॉय सोलहवां वित्त आयोग (16th Finance Commission) जल्द ही गठित किया जाएगा और भारत सरकार की ओर से उसका अ​धिकार […]

आज का अखबार, लेख

भारत के लिए अच्छा अवसर सा​बित हुई जी20 बैठक

भारत की जी20 अध्यक्षता की सफलता के बारे में असुर​क्षित सत्ताधारी अ​भिजात वर्ग का मानना है कि उसे तभी सफल माना जाएगा जब विदे​शियों द्वारा इसका अनुमोदन किया जाएगा। वै​श्विक तकदीर के निर्धारण में भारत की अहम भूमिका को भी वे तभी स्वीकार करेंगे। बहरहाल, जी20 अध्यक्षता का संबंध भारत से नहीं ब​ल्कि भारत की […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: जलवायु संरक्षण के नाम पर अनुचित कराधान

यूरोपीय संघ (EU) का कार्बन बॉर्डर टैक्स (carbon border tax) न केवल भेदभाव पूर्ण है बल्कि त्रुटिपूर्ण सोच पर आधारित है। इसका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन कम करने का बोझ विकासशील देशों पर डालना है। बता रहे हैं रथिन रॉय अंतरराष्ट्रीय लोक वित्त एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है। अंतरराष्ट्रीय लोक वित्त […]

आज का अखबार, ताजा खबरें, लेख

आर्थिक परिवर्तन और गरीब-अमीर देश

आर्थिक परिवर्तन के लिए वित्तीय संसाधन मुहैया कराने की समकालीन समस्या का हल बहुत आसान है। विकसित देशों की उम्रदराज होती आबादी को उन गरीब देशों में निवेश करना चाहिए जहां युवा श्रम शक्ति मौजूद है जो उनकी पूंजी पर अधिक प्रतिफल दिला सकती है। अगर बाजार काम करें तो वित्तीय मदद अमीर देशों से […]

आज का अखबार, लेख

महत्वहीन विषयों में उलझा देश

पिछले कुछ दिनों से नीति निर्धारण करने वाले महकमे का ध्यान दो प्रमुख घटनाओं पर केंद्रित रहा है। इनमें एक है विदेश में किए जाने वाले कुछ खर्चों (मुझे स्पष्ट नहीं है किस खर्च पर) पर विदहोल्डिंग टैक्स (किसी व्यक्ति की आय से काटी जाने वाली राशि जिसका सीधा भुगतान सरकार को होता है) लगाना […]

आज का अखबार, लेख

महंगाई और इसके सामाजिक-आर्थिक परिणाम

महंगाई तभी चिंता का कारण बनती है जब वस्तु एवं सेवाओं की कीमतें आय की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ती हैं। अगर महंगाई 10 प्रतिशत बढ़ती है और प्रत्येक परिवार की आय में भी 10 प्रतिशत का इजाफा होता है तो यह विशेष चिंता की बात नहीं होती है। हालांकि, महंगाई केवल किसी एक […]

आज का अखबार, लेख

बंधुता, समृद्धि और ध्रुवीकरण

भारत में अंतरसरकारी राजकोषीय रिश्तों का अब तक का एक अत्यंत सुखद और बंधुता दर्शाने वाला गुण रहा है-राज्यों के बीच करों के समांतर बंटवारे की दिशा में होने वाली प्रगति। हर पांच वर्ष पर नियुक्त होने वाले वित्त आयोगों की अनुशंसा ने दोनों तरह के बंटवारे की अनुशंसा की है: केंद्र और राज्यों के […]

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