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लेखक : नितिन देसाई

आज का अखबार, लेख

चीन की आर्थिक वृद्धि बताती है कि सरकारी समर्थन नए उद्यमों पर केंद्रित क्यों होना चाहिए

वर्ष1978 में चीन में तंग श्याओफिंग ने एक नया विकास मॉडल प्रस्तुत किया। एक केंद्रीय नियोजित, सरकारी क्षेत्र पर बल देने वाली तथा अंतर्मुखी अर्थव्यवस्था को बदलकर एक ऐसी व्यवस्था बनाई गई जो विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करने, स्थानीय निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करने तथा तीव्र निर्यात वृद्धि पर आधारित थी। भारत […]

आज का अखबार, लेख

इन्फोटेक विकास का नया दौर: रोजगार और निर्यात से आगे बढ़कर इनोवेशन पर हो जोर

मेरा पिछला स्तंभ इंटरनेट के अंतरराष्ट्रीय संचालन पर केंद्रित था। इस बार मैं भविष्य के सूचना प्रौद्योगिकी विकास को लेकर भारत की राष्ट्रीय रणनीति की बात करूंगा। बीते साढ़े तीन दशक से अधिक समय में देश में सबसे महत्त्वपूर्ण प्रगति नवीन सूचना और संचार सेवाओं की उपलब्धता में हुई है। ये दोनों विषय आपस में […]

आज का अखबार, लेख

वैश्विक इंटरनेट की चुनौती: एआई युग में नए शासनिक सहमति की जरूरत

बीते कुछ दशकों में जो सबसे अहम तकनीकी उन्नति नजर आई है वह नई सूचना प्रौद्योगिकी के विकास से संबंधित है। वर्ष 1990 में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की कुल संख्या करीब 30 लाख थी। इनमें भी अधिकांश लोग अमेरिका में थे। तब से अब तक इंटरनेट के इस्तेमाल में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है […]

आज का अखबार, लेख

जलवायु सहयोग में न्याय: फिर से लागू हों साझा लेकिन अलग-अलग दायित्व

पिछले माह अपने स्तंभ में मैंने जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौती और 2015 के पेरिस समझौते के अंतर्गत जताई गई प्रतिबद्धता में गंभीर कमी जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया था। मैंने कहा था कि पेरिस समझौते पर अमल में तेजी लानी होगी। खासतौर पर विकसित देशों को इसमें बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। मैं इस […]

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वैश्विक जलवायु संकट: COP30 में विकसित देशों को जवाबदेही निभाने के लिए प्रेरित करना आवश्यक

इस वर्ष नवंबर में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज (कॉप) की बैठक ब्राजील के एमेजॉन क्षेत्र में मौजूद शहर बेलेम में होगी। संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन अहम है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न जोखिमों को कम करने का काम कोई एक देश अकेले अपने दम पर […]

आज का अखबार, लेख

अमेरिकी दादागीरी के विरुद्ध विश्व को इच्छुक सहयोगियों की है आवश्यकता

करीब 80 वर्ष पहले अंतरराष्ट्रीय संगठन संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई। उसके जिस चार्टर पर सहमति बनी उसने राज्यों के बीच संबंधों की वैधता को परिभाषित किया और संयम तथा पारस्परिक सम्मान को बढ़ावा देने वाली कूटनीतिक प्रथाओं की स्थापना की। दुनिया के देशों के व्यवहार का यह वैश्विक मानक कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों […]

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विकसित भारत 2047: तकनीकी प्रगति की राह पर कहां है भारत?

भारत वर्ष2047 तक निम्न मध्य आय वाले देश से उच्च आय वाले देश तक का सफर तय करने की ख्वाहिश रखता है। उस वर्ष तक विकसित भारत के निर्माण का भी लक्ष्य रखा गया है। इसे पाने के लिए और मध्य आय के जाल से बचने के लिए तकनीकी उन्नयन और बेहतर श्रम शक्ति तैयार […]

आज का अखबार, लेख

भारत को चाहिए नई पीढ़ी की उद्यमिता

देश में उद्यमिता के क्षेत्र में दो विशेषताओं का होना आवश्यक है। पहला, उसे इस कदर नवाचारी होना चाहिए कि वह अपनी कारोबारी योजना के अंतर्गत नए उत्पाद सामने लाए और नई प्रक्रियाओं को प्रस्तुत करे। दूसरा, उसकी मार्केटिंग भी वैश्विक होनी चाहिए ताकि वह भारत में विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से निपट सके और वैश्विक बाजारों […]

आज का अखबार, लेख

बहुपक्षीयता के लिए शोकगीत या उम्मीद?

अस्सी वर्ष पहले दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका ने बहुपक्षीय संस्थानों की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई और दूसरे देशों के साथ शक्तियां साझा कीं। आज वही अमेरिका बहुपक्षीयता से दूरी बना रहा है। अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति अन्य देशों के साथ राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों में अपने अति राष्ट्रवादी हितों पर जोर दे […]

आज का अखबार, लेख

विनिर्माण को रफ्तार देने की दरकार

भारत में विनिर्माण क्षेत्र की मौजूदा रफ्तार एवं दिशा क्या देश की अर्थव्यवस्था को 2047 तक विकसित बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए काफी है? 2023-24 में सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) में विनिर्माण क्षेत्र का हिस्सा वर्तमान मूल्यों पर 14 प्रतिशत था। अगर हम वर्तमान मूल्यों पर पांच वर्षों के औसत जीवीए पर विचार […]

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