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विकसित भारत 2047: तकनीकी प्रगति की राह पर कहां है भारत?

उच्च आय हासिल करने के लिए तकनीकी प्रगति की जरूरत है। शिक्षा की गुणवत्ता में तेज सुधार करना होगा और स्टार्टअप तथा नवाचारी उद्यमियों को वित्तीय मदद पर जोर देना होगा।

Last Updated- June 26, 2025 | 10:06 PM IST
Viksit Bharat by 2047 goal: Are we on track for tech advancement?

भारत वर्ष2047 तक निम्न मध्य आय वाले देश से उच्च आय वाले देश तक का सफर तय करने की ख्वाहिश रखता है। उस वर्ष तक विकसित भारत के निर्माण का भी लक्ष्य रखा गया है। इसे पाने के लिए और मध्य आय के जाल से बचने के लिए तकनीकी उन्नयन और बेहतर श्रम शक्ति तैयार करना जरूरी है। इसमें तकनीकी प्रगति की भी अहम भूमिका होगी। टिकाऊ वृद्धि के लिए यह सबसे अहम होगी।

पूंजी की गुणवत्ता और कारक उत्पादकता में सुधार का श्रेय तकनीकी उन्नयन को दिया जा सकता है। कुल कारक उत्पादकता (टीएफपी) के लिए विश्वसनीय केएलईएमएस (पूंजी, श्रम, ऊर्जा, पदार्थ और सेवा) आकलन के मुताबिक 1990-91 से 2022-23 के बीच पूंजी गुणवत्ता और टीएफपी में प्रति वर्ष 0.9 फीसदी का सुधार हुआ। विनिर्माण के लिए औसत शून्य प्रति वर्ष रहा। स्पष्ट है कि अपनी उत्पादन व्यवस्था में तकनीक के इस्तेमाल के मामले में हम पटरी पर नहीं हैं।

जब बात देश में तकनीकी विकास के समर्थन की आती है तो एक अहम बात है सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के प्रतिशत के रूप में शोध एवं विकास के क्षेत्र में कम व्यय। विश्व बैंक के मुताबिक 1996 में देश के जीडीपी का केवल 0.64 फीसदी शोध एवं विकास पर खर्च किया जाता था। 2008 में यह राशि बढ़कर 0.86 फीसदी हुआ और उसके बाद लगातार गिरते हुए 2020 में यह 0.65 फीसदी रह गया।

यही आंकड़ा चीन में इसमें निरंतर इजाफा दिखाता है। 1996 में वहां यह जीडीपी के 0.56 फीसदी से बढ़कर 2022 में 2.56 फीसदी हो गया। विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए देश के जीडीपी को आगामी 25 साल तक औसतन 8 फीसदी की दर से विकसित करना होगा। हमारा शोध एवं विकास व्यय भी जीडीपी के 3 फीसदी तक पहुंचाना होगा। इसके लिए शोध एवं विकास व्यय में सालाना 16 फीसदी बढ़ोतरी करनी होगी।

परंतु कम शोध एवं विकास व्यय के बावजूद हाल के वर्षों में तकनीकी प्रगति के कुछ संकेत नजर आए हैं। विश्व बौद्धिक संपदा संस्थान के 2024 के वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत को 133 देशों में 39वां स्थान मिला है जो पहले से बेहतर है। वर्ष 2025 के सूचकांक में भविष्य के विकास के लिए अहम पांच तकनीक पर ध्यान है जो इस प्रकार हैं- आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, बायोटेक, स्पेस और क्वांटम टेक्नॉलजी। इस सूचकांक में भारत 10वें स्थान पर है। यह अमेरिका और चीन से कम है लेकिन भारत इस मामले में जापान, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे विकसित देशों से मामूली पीछे है। हालांकि दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे देश सेमीकंडक्टर क्षेत्र में हमसे बहुत आगे हैं। इन सकारात्मक संकेतों के पीछे वजह हमारे प्रतिभाशाली युवा और शोध इकाइयां ही हैं।

क्या हमारे कारोबारी घरानों ने नई तकनीक बढ़ाने में भूमिका निभाई? 2020-21 में कुल शोध एवं विकास व्यय में उनकी हिस्सेदारी 36.4 फीसदी थी। अगर सरकारी उपक्रमों को भी शामिल कर लिया जाए तो यह हिस्सेदारी बढ़कर 40.8 फीसदी हो जाती है।

सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय द्वारा 2024 में 1,000 बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों के शोध एवं विकास पर आधारित एक अध्ययन से काफी जानकारी मिलती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 में रक्षा और औषधि कंपनियों के टर्नओवर का 6 फीसदी शोध एवं विकास पर खर्च किया गया। वाहन और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में यह 3-4 फीसदी रहा और वाहन कलपुर्जा और भारी उपकरणों के मामले में यह एक फीसदी तथा अन्य क्षेत्रों में उससे भी कम रहा।

अधिकांश बड़े कारोबारी घरानों द्वारा शोध एवं विकास में निरंतर कम खर्च दिखाता है कि देश के उद्योग जगत में तकनीकी विकास को कितनी कम तवज्जो दी जाती है। यह तब है जबकि शोध एवं विकास व्यय पर 100 फीसदी कर राहत है। अब सरकार ने कहा है कि निजी क्षेत्र में शोध एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए चालू बजट में 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। औषधि जैसे क्षेत्रों के अलावा अन्य क्षेत्रों में कम तकनीकी प्रगति यह भी बताती है कि शायद कर लाभ लेने के लिए शोध एवं विकास व्यय को बढ़ाचढ़ाकर बताया जा रहा हो। निजी क्षेत्र को चाहिए कि वह शोध एवं विकास के क्षेत्र में अधिक प्रयास करे।

यह न केवल वृद्धि बल्कि अ​स्तित्व बचाने के लिए भी जरूरी है। तेज विकास की प्रेरक शक्ति के रूप में तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देना पूरी तरह शोध विकास से संबद्ध सरकारी रियायतों और निजी क्षेत्र को सरकारी सब्सिडी पर निर्भर नहीं रह सकता। इसके लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के औद्योगिक और संभवतः वाणिज्यिक सेवा क्षेत्रों को वैश्विक बाजार के लिए खोलना होगा। मजबूत वैश्विक प्रतिस्पर्धा कंपनियों को शोध एवं विकास के लिए अधिक प्रोत्साहित करेगी। देश में तकनीक आधारित आर्थिक विकास से जुड़ी दो कहानियां हमें सीख देती हैं। इनमें से एक है देश का इन्फोटेक के वैश्विक स्रोत के रूप में उभार और दूसरा डिजिटल लेनदेन का तेज और सफल विस्तार।

निर्यातोन्मुखी इन्फोटेक सेवाओं के विस्तार का बुनियादी आधार और वैश्विक क्षमता केंद्रों के तेज विस्तार के मूल में कम लागत में तकनीकी गुणवत्ता वाले कर्मियों की निरंतर उपलब्धता ही है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमने इंजीनियरिंग की शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया। खासकर देश के दक्षिण और पश्चिम के राज्यों में। इससे सबक लेकर सरकार को विश्वविद्यालयों और हाई स्कूलों में भी शिक्षा के क्षेत्र में और काम करना चाहिए। चीन के अनुभव से सबक लेना चाहिए। विज्ञान पत्रिका नेचर द्वारा 145 जर्नल में योगदान के आधार पर तैयार रैंकिंग में 10 में से 8 शोध एवं शिक्षण संस्थान चीन के हैं। सरकार को विश्वविद्यालयों और हाई स्कूलों के प्रबंधन में स्वतंत्रता तय करने और राजनीतिक नियंत्रण से उन्हें अलग रखने के महत्त्व को भी पहचानना चाहिए।

सफल तकनीकी उन्नति का एक और अतिरिक्त उदाहरण है डिजिटल लेनदेन में जबर्दस्त वृद्धि। खासतौर पर यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई की मदद से। इस सफलता में विदेशी तकनीक को भारतीय हालात के साथ अच्छी तरह संयोजित किया गया। इसमें स्टार्टअप खासकर यूपीआई सेवाएं देने वाले स्टार्टअप और बैंकों जैसे संस्थानों पर स्टार्टअप्स के साथ मिलकर काम करने का दबाव शामिल था।

ये उदाहरण बताते हैं कि सरकार को नए स्टार्टअप और नवाचारी उद्यमी युवाओं को वित्तीय मदद देने पर ध्यान देना चाहिए। अमेरिका की सिलिकन वैली में कंप्यूटर तकनीकों के विकास के दौरान अमेरिकी सरकार ने आज की कुछ दिग्गज तकनीकी कंपनियों को फंडिंग दी थी।

संक्षेप में कहें तो उच्च आय हासिल करने के लिए तकनीकी प्रगति की जरूरत है और इसके लिए शिक्षा की गुणवत्ता में तेज सुधार करना होगा। खासकर विश्वविद्यालय और हाई स्कूल के स्तर पर। इसके अलावा अर्थव्यवस्था को खासतौर पर स्थापित कॉरपोरेट क्षेत्र को, वैश्विक व्यापार और वित्तीय क्षेत्र के लिए खोलना होगा। तकनीकी आयात को तकनीकी विकास के साथ जोड़ना होगा और सरकार को भी चाहिए कि स्थापित कंपनियों के बजाय स्टार्टअप और नवाचारी उद्यमियों को वित्तीय मदद मुहैया कराने पर जोर दे।

First Published - June 26, 2025 | 9:55 PM IST

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