आर्थिक असमानता और जाति का असर: शिक्षा और सामाजिक पूंजी होने के बावजूद कम आय और सीमित अवसर
किसी अर्थव्यवस्था में असमानता प्रायः लोगों को विरासत में मिली वस्तुओं में भिन्नता का नतीजा होती है। असमानता की चर्चा करने पर विरासत में मिली जिस वस्तु का जिक्र सबसे अधिक होता है वह है धन-संपत्ति। किंतु यदि सामाजिक रुतबा या ओहदा अगर आर्थिक व्यवस्था का हिस्सा बन जाए तो वह भी असमानता को जन्म […]
कॉरपोरेट प्रशासन में सुधार की दरकार, विकसित देश बनाने के लिए सरकार को बाजार के अनुकूल होने की जरूरत
आजाद भारत की अर्थव्यवस्था की बात करें तो नीतिगत बदलाव के मोर्चे पर वह दो बड़े चरणों से गुजर चुकी है। पहले की चर्चा इन दिनों ज्यादा नहीं होती और वह है अप्रैल 1951 में योजनागत विकास की शुरुआत, जब पहली पंचवर्षीय योजना शुरू की गई थी। दूसरा जुलाई 1991 में शुरू किया गया आर्थिक […]
‘विकसित भारत@2047’ के लिए वास्तविक चुनौतियां
इन दिनों सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना ‘विकसित भारत@2047’ पर काफी चर्चा हो रही है। इनमें से ज्यादातर चर्चाओं का केंद्र अगले कुछ वर्षों में 7 प्रतिशत सालाना से अधिक औसत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करना है ताकि 2,500 डॉलर की हमारी मौजूदा प्रति व्यक्ति सालाना आमदनी बढ़कर 14,000 डॉलर के उच्च आमदनी स्तर पर पहुंच […]
विकास नीति में बढ़े वंचितों पर ध्यान
हमारी विकास संबंधी नीति का मुख्य ध्यान निर्णायक तौर पर वंचितों के लिए अवसरों के विस्तार पर केंद्रित होना चाहिए। बता रहे हैं नितिन देसाई हालिया चुनाव के नतीजे बताते हैं कि देश के मतदाता हमारी मौजूदा और भविष्य की अर्थव्यवस्था को लेकर बहुप्रचारित आशावाद को लेकर पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे। ऐसा भी नहीं […]
Lok Sabha Elections: नई सरकार की क्या हों प्राथमिकताएं
केंद्र में बनने वाली नई सरकार को कुछ ऐसी नीतियों का निर्माण और उन पर अमल करना चाहिए जो देश को समतापूर्ण वृद्धि प्राप्त करने में मददगार साबित हों, बता रहे हैं नितिन देसाई चु नाव में चाहे जिसकी जीत हो, नई सरकार का प्राथमिक ध्यान इस बात पर केंद्रित होगा कि चुनाव घोषणापत्र में […]
मानव विकास को प्राथमिकता जरूरी
संभावना जताई जा रही है कि वर्ष 2047 तक भारत विकसित देशों की सूची में जगह बना लेगा। इस विषय पर चर्चा भी जमकर हो रही है। परंतु, विकसित देश बनने की प्रतिष्ठा अर्जित करने के लिए भारत को विकास से संबंधित अपनी नीतियों में कई बदलाव करने होंगे। विकास नीति के अंतर्गत जिन दो […]
Opinion: देश के शहरों को सशक्त बनाने की जरूरत
भारत की शहरी आबादी कितनी बड़ी है? सन 2011 की जनगणना के मुताबिक शहरों में रहने वाली भारतीय आबादी 31 फीसदी थी। यह आंकड़ा शहरी इलाकों की जनगणना परिभाषा के अनुसार था। इन बसावटों में से करीब 4,000 नगर निगम की सीमा से बाहर थीं और 2011 की जनगणना के अनुसार ये शहरी आबादी का […]
Opinion: मजबूत विकास के लिए संघवाद जरूरी
हर बड़े और विविधतापूर्ण देश में संघवाद राजनीतिक स्थिरता ही नहीं बल्कि आर्थिक विकास के लिए भी मायने रखता है। भारत जैसे विविधता वाले देश में अपेक्षित विकास नीतियां और कार्यक्रम बनाने के लिए प्रांतीय और उप प्रांतीय स्तर पर सत्ता के विकेंद्रीकरण में स्थानीय दशाओं का ध्यान रखना होगा और यह केंद्र के विकास […]
Opinion: वृद्धि में असमानता का भौगोलिक पहलू
बीते 30 वर्षों में देश के विभिन्न राज्यों में आय संबंधी असमानता तेजी से बढ़ी है। जिन राज्यों में प्रति व्यक्ति राज्य घरेलू उत्पाद (एसडीपी) 2019-20 में राष्ट्रीय औसत से ऊपर और नीचे था, उनका भौगोलिक विभाजन एकदम स्पष्ट है। अधिक आय वाले राज्य देश के दक्षिण, पश्चिम और पूर्वोत्तर में हैं जबकि कम आय […]
जलवायु अनुकूल विद्युत रणनीति का निर्माण
जलवायु परिवर्तन से निपटने की भारत की रणनीति में नाभिकीय ऊर्जा का विकास अत्यंत अहम तत्त्व होना चाहिए। बता रहे हैं नितिन देसाई जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन की 28वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप28) हाल ही में संपन्न हुई है। इस वार्ता में विवाद का मुख्य विषय था जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में […]