‘पर्यावरण के अनुकूल’ विकास अवधारणा का अंत!
क्या हम पीछे मुड़कर वर्ष 2020 से 2023 तक के वर्षों को ‘पर्यावरण के अनुकूल वृद्धि’ पर सहमति के लिहाज से अहम वर्षों के रूप में देखेंगे? तीन वर्ष पहले महामारी आने के बाद दुनिया के समान सोच वाले नेताओं ने आर्थिक स्थिति में सुधार और पैकेज के लिए अपने खजाने से असाधारण धन राशि […]
G-20 में शी चिनफिंग की अनुपस्थिति के मायने
इस सप्ताहांत दुनिया भर के नेता जी-20 शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए राजधानी नई दिल्ली में एकत्रित हुए हैं। शहर में उम्मीद का माहौल है और लोक निर्माण विभाग ने उसके बड़े हिस्से को सजा-संवार दिया है। शहर के बाकी हिस्से को सुरक्षा सेवाओं ने बंद कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के […]
Opinion: क्या भारत में औद्योगिक नीति फिर होगी विफल?
औद्योगिक नीति एक बार फिर जोर-शोर से आजमाई जा रही है। वैश्विक स्तर पर सरकारों को लगता है कि वे सब्सिडी, नए नियमों और शुल्कों की मदद से अपनी अर्थव्यवस्था को विकास की राह पर तेज गति से आगे ले जा सकती हैं। इससे भविष्य में औद्योगिक ढांचा और मजबूत हो जाएगा। इस नीति को […]
G20 प्रेसिडेंसी की सफलता के लिए तय करें लक्ष्य
अहम वित्तीय निर्णय लेने वाले दुनिया के कई प्रमुख व्यक्ति इस सप्ताह अहमदाबाद में बैठक कर रहे हैं। G20 देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर रही हैं, वह नीति निर्माण के कैलेंडर के लिहाज से सर्वाधिक अहम तारीखों में से एक होगी। वर्ष के मध्य तक G20 की […]
Opinion: रूस में शासन संबंधी नवाचारों की नाकामी
Russia Political Crisis: फरवरी 2022 में जब रूस की सेनाओं ने यूक्रेन पर पूरी क्षमता के साथ हमला किया, तब से यह समझ पाना काफी मुश्किल बना हुआ है कि दरअसल रूस में, उसकी सेना के साथ और सरकार के साथ क्या हो रहा है? पिछले पखवाड़े सैकड़ों हथियारबंद लोग वाहनों में सवार होकर मॉस्को […]
भारत-अमेरिका रिश्तों में नई हिचकिचाहटों की आहट
भारत और अमेरिका के रिश्तों में बीते दो दशकों में काफी सुधार हुआ है। यह एक ऐसा तथ्य है जिसे कहने की जरूरत शायद ही है। सन 2016 में अमेरिकी कांग्रेस के एक संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि दोनों देशों के आपसी रिश्ते ‘ऐतिहासिक हिचकिचाहट’ को पार […]
New Parliament: उद्घाटन व धार्मिक अनुष्ठानों की वजह
कोई भी वर्तमान सरकार पर यह आरोप नहीं लगा सकता है कि वह अपनी सामाजिक प्राथमिकताओं में तेजी से बदलाव कर रही है। 2014 में मौजूदा सरकार के कार्यकाल के पहले दिन से लेकर अब तक भारतीय गणराज्य की दिशा एकदम स्पष्ट रही है: हम अधिक बहुसंख्यकवादी और सांस्कृतिक दृष्टि से रूढि़वादी राष्ट्र की अवधारणा […]
चीन से अलगाव खत्म होने की शुरुआत?
जापान के हिरोशिमा में जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन के केंद्र में मूल प्रश्न यह था कि चीन की बढ़ती आर्थिक शक्ति से कैसे निपटा जाए। हाल में संपन्न इस सम्मेलन की अध्यक्षता जापान ने की। सातों देशों को आर्थिक सुरक्षा, आर्थिक दबाव और प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों से जूझने जैसे प्रश्नों पर विचार करना था। […]
यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थता और पर्दे के पीछे का सच
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को एक साल से अधिक समय हो चुका है। दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध के दौरान भारत सरकार ने स्वयं को तटस्थ दिखाने का प्रयास किया है और ऐसा लगता है कि यह तटस्थता बढ़ती ही जा रही है। यह तटस्थता रूस की तरफ भारत सरकार के झुकाव […]
भारत की विदेश नीति और इसमें भारतीय मूल के लोगों की भूमिका
विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भारत की विदेश नीति के लिए सदैव से मजबूत स्रोत रहे हैं। दुनिया के जिन हिस्सों, खासकर पश्चिमी देशों में, भारत से गए लोग बसे हैं, वहां की सरकारों और भारत के नीति निर्धारकों दोनों के लिए वे आपसी संबंधों को मजबूती देने वाली कड़ी के रूप […]