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रुपया पहली बार 91 के पार, महज 5 सेशन में 1% टूटा; डॉलर के मुकाबले लगातार क्यों टूट रही भारतीय करेंसी

पिछले 10 कारोबारी सत्रों में रुपया 90 से गिरकर 91 प्रति डॉलर तक पहुंच गया है। केवल पिछले पांच सत्रों में ही रुपये में 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की

Last Updated- December 16, 2025 | 12:27 PM IST
rupees dollar
Representational Image

Rupee@91: व्यापार घाटा में कमी आने का भी रुपये को कोई सहारा नहीं मिला। मंगलवार को इंट्रा-डे कारोबार में रुपया 36 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पहली बार 91 के स्तर को पार कर गया। सुबह 11.45 बजे, रुपया डॉलर के मुकाबले 91.14 पर ट्रेड कर रहा था, जो इसके पिछले बंद स्तर से 36 पैसे नीचे था। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली और भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर स्पष्टता की कमी के चलते रुपये पर दबाव बना रहा।

पिछले 10 कारोबारी सत्रों में रुपया 90 से गिरकर 91 प्रति डॉलर तक पहुंच गया है। केवल पिछले पांच सत्रों में ही रुपये में 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, डॉलर में कमजोरी और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते रुपये में और ज्यादा गिरावट पर कुछ हद तक रोक लगी।

इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज बाजार में रुपया 90.87 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर खुला, जो पिछले बंद स्तर से 9 पैसे नीचे था। शुरुआती कारोबार में यह 90.77 से 90.87 के दायरे में कारोबार करता दिखा। सोमवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 90.78 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था। उस दिन इसमें 29 पैसे की गिरावट दर्ज की गई थी, जिसका कारण भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता और विदेशी फंडों की लगातार निकासी रही।

92 तक फिसल सकता है रुपया

केडिया एडवा​इजरी का कहना है कि तकनीकी रूप से, प्रति डॉलर रुपया रिकॉर्ड ऊंचे स्तरों पर ट्रेड कर रहा है और इसमें तेजी का रुझान बना हुआ है। 20DEMA करीब 90.06 पर सपोर्ट दे रहा है। RSI 73.89 पर है, जो ओवरबॉट स्थिति दिखाता है। इससे संकेत मिलता है कि तेजी कुछ ज्यादा खिंच चुकी है और निकट अवधि में कंसोलिडेशन संभव है। तत्काल सपोर्ट 90.06 और 90.00 के आसपास दिख रहा है, जबकि मजबूती बने रहने पर USD/INR 92.00 के स्तर की ओर बढ़ सकता है।

रुपया: 5 बड़े अपडेट्स

  1. रुपये ने डॉलर के मुकाबले 91 के नीचे रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ। लगातार FII बिकवाली और वैश्विक स्तर पर बढ़ती जोखिम से बचने की प्रवृत्ति (risk aversion) के चलते रुपये पर दबाव बना रहा।
  2. अमेरिका-भारत ट्रेड संबंधों में तनाव के बीच विदेशी फंड की लगातार निकासी, रुपये के सेंटीमेंट पर सबसे बड़ा नकारात्मक असर डाल रही है। इस महीने अब तक FII ने भारतीय शेयर बाजार से ₹21,073.83 करोड़ की बिकवाली की है और वे सभी कारोबारी सत्रों में नेट सेलर बने हुए हैं।
  3. नवंबर के उम्मीद से बेहतर व्यापार घाटे के आंकड़े भी रुपये में जान नहीं डाल सके, क्योंकि कुल मिलाकर पूंजी की निकासी का दबाव ज्यादा हावी रहा। भारत का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट अक्टूबर के $41.68 अरब से घटकर नवंबर में $24.53 अरब रह गया। नवंबर में वस्तुओं का निर्यात सालाना आधार पर 19% बढ़ा, जिसमें अमेरिका को भेजी गई शिपमेंट्स में 22.6% की तेज बढ़ोतरी का बड़ा योगदान रहा।
  4. HSBC कंपोजिट PMI घटकर 58.9 पर आ गया, जो मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज दोनों सेक्टरों में ग्रोथ जारी रहने, लेकिन धीमी रफ्तार का संकेत देता है।
  5. अमेरिका के श्रम बाजार में ठंडक से फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बनी हुई है, जिसका असर वैश्विक करेंसी बाजार पर पड़ रहा है। CME FedWatch के अनुसार, 2026 के अंत तक अमेरिका में कम से कम दो बार ब्याज दर कटौती की 67% संभावना है।

ट्रेड डील की अनिश्चितता का असर

पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, “अमेरिका-भारत ट्रेड डील अभी भी दूर नजर आ रही है। वाणिज्य सचिव का कहना है कि इसका पहला चरण साल के अंत से पहले साइन होगा, लेकिन इस अनिश्चितता ने USD/INR में रिकवरी को रोक दिया है। रुपया निचले स्तर पर खुला और हर दिन डॉलर की खरीदारी देखी जा रही है।” उन्होंने कहा कि सोमवार को व्यापार घाटा घटने के बावजूद भी रुपये में सुधार नहीं हो पाया, क्योंकि FII की निकासी लगातार जारी रही।

व्यापार घाटा घटा, फिर भी रुपये को सहारा नहीं

सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में भारत का व्यापार घाटा घटकर 24.53 अरब डॉलर रह गया, जो पांच महीने का निचला स्तर है। निर्यात 19.37% बढ़कर 38.13 अरब डॉलर के छह महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह बढ़ोतरी इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की ज्यादा खेप के चलते हुई। वहीं, आयात 1.88% घटकर 62.66 अरब डॉलर रहा। इसमें सोना, कच्चा तेल, कोयला और कोक के आयात में गिरावट का असर दिखा।

FII की बिकवाली और महंगाई के आंकड़े

एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को FII ने 1,468.32 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इसके साथ ही, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में थोक महंगाई (WPI) लगातार दूसरे महीने नकारात्मक रही और (-) 0.32% पर दर्ज की गई। हालांकि, महीने-दर-महीने आधार पर दालों और सब्जियों जैसी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई। अक्टूबर में WPI महंगाई (-) 1.21% थी, जबकि पिछले साल नवंबर में यह 2.16% रही थी।

डॉलर इंडेक्स, कच्चा तेल और शेयर बाजार का हाल

छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दिखाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.03% गिरकर 98.27 पर कारोबार कर रहा था। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.61% गिरकर 60.19 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। घरेलू शेयर बाजार में शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 363.92 अंक गिरकर 84,849.44 पर आ गया, जबकि निफ्टी 106.65 अंक टूटकर 25,920.65 पर कारोबार कर रहा था।

व्यापार घाटा 5 महीने में सबसे कम

देश का वस्तु व्यापार घाटा नवंबर में घटकर 24.53 अरब डॉलर रह गया जो 5 महीने में सबसे कम है। वाणिज्य विभाग की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर में निर्यात 41 महीने में सबसे तेजी से बढ़ा है जबकि आयात में थोड़ी कमी आई। इसकी वजह से व्यापार घाटा कम हुआ। आयात में कमी की मुख्य वजह सोने के आमद में भारी गिरावट रही। अक्टूबर में व्यापार घाटा 41.68 अरब डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। पिछले साल नवंबर में यह 31.93 अरब डॉलर था।

नवंबर में वस्तुओं का निर्यात बढ़कर 38.13 अरब डॉलर रहा जो 6 महीने में सबसे अ​धिक है। भू-राजनीतिक अनिश्चितता और अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी शुल्क के बावजूद नवंबर में निर्यात 19.38 फीसदी बढ़ा। भारत के सबसे बड़े निर्यात गंतव्य अमेरिका में 6.98 अरब डॉलर मूल्य का निर्यात किया गया जो पिछले साल की समान अव​धि से 22.45 फीसदी अ​धिक है। अक्टूबर की तुलना में नवंबर में अमेरिका को निर्यात 10.62 फीसदी बढ़ा है। दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता जल्द पूरा होने की उम्मीद से अमेरिका में निर्यात बढ़ा है।

First Published - December 16, 2025 | 11:28 AM IST

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