किसी देश में आर्थिक वृद्धि का क्या है रास्ता: नोबेल विजेताओं ने व्यवहारिक सोच और प्रगति की संस्कृति पर दिया जोर
आर्थिक वृद्धि क्या है और वह कहां से उत्पन्न होती है? क्या यह केवल विभिन्न सामग्रियों, कच्चे माल और प्राकृतिक संसाधनों, श्रम और पूंजी का संचयन है? क्या यह तकनीकी प्रगति का उत्पाद है या फिर इसमें कुछ और भी सूक्ष्म बात काम करती है? यह अर्थशास्त्र के लिए बुनियादी प्रश्न होना चाहिए लेकिन आश्चर्य […]
क्रिकेट के मैदान से बाहर, पाकिस्तान ने विश्व स्तर पर भारत के लिए बढ़ाई चुनौतियां
इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान सभी वस्तुनिष्ठ मानदंडों के हिसाब से एक नाजुक देश है, इसलिए इसे विश्व मंच पर नजरअंदाज और खारिज कर दिया जाना चाहिए। इसके बजाय, हाल के सप्ताहों में अमेरिका और चीन, दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने पाकिस्तान के नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत किया है और आंतरिक निवेश बढ़ाने के लिए उसके […]
एच-1बी वीजा पर ट्रंप का बड़ा फैसला: अमेरिका में भारत के खास दर्जे का बीता दौर!
एच-1बी वीजा पर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का नया ऐलान क्या भारत को निशाना बनाने के लिए उठाया गया एक और कदम है? आखिरकार, दो-तिहाई से अधिक एच-1बी वीजा भारतीयों को दिए जाते हैं और भारतीय कंपनियां इस वीजा के सबसे बड़े लाभार्थियों में शुमार हैं। शायद हां। एक नजरिये से ट्रंप के सभी कदम वास्तव […]
विदेश नीति का बदलता रुख: भारत में अमेरिकी विरोध बढ़ा, क्या नेहरूवादी जड़ों की ओर हो रही वापसी?
दो दशक पहले यह विश्वास करना संभव था कि भारत के वैश्विक रुख के निर्धारण में आगे स्वत: स्फूर्त अमेरिका विरोध निर्णायक भूमिका नहीं निभाएगा। परंतु हाल के महीनों और वर्षों में यह स्पष्ट हो गया है कि पश्चिम के प्रति अविवेकी अविश्वास, तर्कसंगत स्तर तक कम होने के बजाय, भारतीय राजनीति में एक प्रमुख […]
अमेरिकी संस्थानों पर ट्रंप का निरंतर हमला उनकी महत्ता की अग्निपरीक्षा होगी
संस्थान मायने रखते हैं। उन्हीं पर विकास, निवेश और आर्थिक स्थिरता की बुनियाद रखी जाती है। या फिर इसका उलटा सच है? क्या आर्थिक परिवर्तन ही आधुनिक संस्थाओं को जन्म देते हैं? अर्थशास्त्रियों ने लंबे समय से इन दोनों के बीच संबंध को समझने की कोशिश की है। पिछले वर्ष, तीन अर्थशास्त्रियों को नोबेल पुरस्कार […]
ट्रंप के टैरिफ ने भारत की रूस-चीन नीति पर उठाए सवाल, क्या गलत थे हमारे आकलन?
भारत में कई ऐसे लोग हैं जो चाहेंगे कि हम यह भूल जाएं कि गत वर्ष डॉनल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने पर वे कितने खुश और उत्साहित थे। शेष विश्व भले ही उनके धैर्य की कमी, उनकी अजीब आर्थिक सोच और अमेरिका के मित्रों के साथ संबंध खराब करने के उनके […]
ट्रंप का टैरिफ वार: क्या अमेरिका को वाकई टी-शर्ट और जूते बनाने चाहिए?
अब यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप वास्तव में यही मानते हैं कि उच्च आधार शुल्क उनके देश की कामयाबी के लिए आवश्यक है। हालांकि वे शायद उस ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाएंगे जिसकी धमकी उन्होंने अप्रैल के आरंभ में अपने चर्चित संवाददाता सम्मेलन में दी थी और एक […]
अमेरिका की नीतियों की नकल खतरनाक
भले ही आने वाले दशकों में अमेरिका की आर्थिक और सैन्य शक्ति कमजोर हो जाए, लेकिन उसकी सांस्कृतिक मजबूती पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। तमाम महाशक्तियों के साथ अक्सर ऐसा ही होता आया है। समय के साथ उनकी अर्थव्यवस्थाओं के शिथिल पड़ने के बावजूद विचारों और संस्कृति की दुनिया में उनकी धमक लंबे समय […]
क्या पश्चिम का महान ‘खुलापन’ प्रयोग विफल हो रहा है?
पश्चिमी देशों का खुलेपन का महान प्रयोग क्या समाप्त हो रहा है? पूरे पश्चिमी जगत में, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और यहां तक कि जापान में भी, विदेशी छात्रों, शोधकर्ताओं, कामगारों और शरणार्थियों को अपने यहां स्वीकार करने की अब उतनी तत्परता नहीं दिख रही है जितनी सिर्फ पांच साल पहले थी। आखिर इस रुझान के […]
त्रासदी और प्रहसन: एयर इंडिया दुर्घटना पर अटकल नहीं, तथ्य ज़रूरी
हमें शायद कुछ समय तक यह पता न चल पाए कि अहमदाबाद में एयर इंडिया 171 के उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद ही जमीन पर आ गिरने का कारण क्या था। विमान दुर्घटनाओं की जांच सबसे व्यापक जांचों में आती है। इसलिए यह बेहद महत्त्वपूर्ण है कि अटकलें लगाने के बजाय इस जांच प्रक्रिया […]