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पांच साल में 479% का रिटर्न देने वाली नवरत्न कंपनी ने 10.50% डिविडेंड देने का किया ऐलान, रिकॉर्ड डेट फिक्सStock Split: 1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! इस स्मॉलकैप कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट जल्दसीतारमण ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को लिखा पत्र, कहा: GST 2.0 से ग्राहकों और व्यापारियों को मिलेगा बड़ा फायदाAdani Group की यह कंपनी करने जा रही है स्टॉक स्प्लिट, अब पांच हिस्सों में बंट जाएगा शेयर; चेक करें डिटेलCorporate Actions Next Week: मार्केट में निवेशकों के लिए बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से मुनाफे का सुनहरा मौकाEV और बैटरी सेक्टर में बड़ा दांव, Hinduja ग्रुप लगाएगा ₹7,500 करोड़; मिलेगी 1,000 नौकरियांGST 2.0 लागू होने से पहले Mahindra, Renault व TATA ने गाड़ियों के दाम घटाए, जानें SUV और कारें कितनी सस्ती हुईसिर्फ CIBIL स्कोर नहीं, इन वजहों से भी रिजेक्ट हो सकता है आपका लोनBonus Share: अगले हफ्ते मार्केट में बोनस शेयरों की बारिश, कई बड़ी कंपनियां निवेशकों को बांटेंगी शेयरटैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR फाइल करने की आखिरी तारीख नजदीक, इन बातों का रखें ध्यान

लेखक : मिहिर एस शर्मा

आज का अखबार, लेख

आर्थिक सिद्धांतों को दरकिनार करते नेता

जनता को अपनी बातों से लुभाने में पारंगत नेताओं में एक बात मिलती-जुलती है। एक ऐसा दौर जरूर आता है जब ये लोकलुभावन नेता अपने जोशीले समर्थकों से कहते हैं कि राष्ट्र की समस्याएं तभी दूर हो सकती हैं जब साहसिक एवं कठोर कदम उठाए जाएं और उन्हें छोड़कर अन्य लोगों या दलों में ऐसा […]

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अमेरिका के शुल्क और भारत पर असर

अमेरिका ने वैश्विक व्यापार नीति पर मंडरा रही अनिश्चितता को शुल्कों पर रोज नई घोषणाएं कर और भी बढ़ा दिया है। वहां डॉनल्ड ट्रंप की अगुआई वाली सरकार ने अब वाहनों और उनके कुछ पुर्जों के आयात पर अलग से 25 फीसदी शुल्क लगाने का ऐलान कर दिया है। उससे पहले अमेरिका ने कनाडा और […]

आज का अखबार, लेख

वैश्विक व्यापार को चीन से असली नुकसान

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के शुल्क के तीर वैश्विक व्यापार व्यवस्था को तगड़ी चोट पहुंचाते लग रहे हैं। तुनकमिजाज और पल-पल बदलने वाले ट्रंप ने पिछले साल अपने चुनाव अभियान के दौरान कहा था कि ‘शुल्क’ उनका पसंदीदा शब्द है। पद संभालने के बाद उन्होंने जो कुछ किया है उससे यही लगता है कि […]

आज का अखबार, लेख

हर धारणा को धता बता रहे डॉनल्ड ट्रंप

बतौर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल शुरू हुए कुछ ही हफ्ते गुजरे हैं और यह बात साफ हो गई है कि यह उनके पिछले कार्यकाल जैसा बिल्कुल नहीं रहेगा। 2017 के मुकाबले ट्रंप ज्यादा तेजी से और निर्णायक तरीके से अपने एजेंडा पर आगे बढ़ रहे हैं तथा उनका एजेंडा भी ज्यादा अतिवादी लग […]

आज का अखबार, लेख

जलवायु करार से कतरा रहे बड़े देश

जर्मनी में रविवार को हुए चुनाव जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में बड़े मोड़ की ओर इशारा करते हैं। पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर होने से पहले दुनिया ऐसे दशक से गुजरी, जिसमें कार्बन उत्सर्जन के खिलाफ कदम उठाने पर सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच राजनीतिक सहमति बन गई थी। अब स्थिति बदलने वाली है। जर्मनी […]

आज का अखबार, लेख

अवैध प्रवेश पर रोक लगाने की तैयारी!

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को यही लगता है कि चुनाव में पिछले साल उन्हें जो प्रचंड जनादेश मिला, उसके पीछे बड़ी वजह देश में अवैध रूप से घुसने वालों पर लगाम कसने का उनका वादा था। उनके देश में यह धारणा काफी पुख्ता है और आधिकारिक आंकड़े भी एक हद तक इसे सही साबित […]

आज का अखबार, लेख

मध्य वर्ग की तलाश में निकला बजट

यह तो साफ है कि सभी को खुश करने वाले बजट मुश्किल से ही आते हैं। यह भी संभव नहीं लगता कि एक साथ कर भी घटा दिए जाएं, ऋण तथा राजकोषीय घाटा भी कम कर दिया जाए और वृद्धि को बढ़ावा देने वाले क्षेत्रों एवं बुनियादी ढांचे में निवेश भी कर दिया जाए। मगर […]

आज का अखबार, लेख

नीति नियम: डेढ़ दशक में ठहर सी गई दिल्ली

राष्ट्रीय विकास का पैमाना कहलाने वाले शहर बदलते भी रहते हैं। उनका भौतिक, सामाजिक और बौद्धिक बुनियादी ढांचा हर 15 साल में नया रूप ले लेता है। यदि सोल के 1970 और 1985 तथा शांघाई के 2010 और 2025 के दौर की तुलना करें तो दोनों दौर में ये शहर एकदम बदले हुए लगेंगे। वे […]

आज का अखबार, लेख

मनमोहन सिंह ने बदली भारत की तकदीर

आज का भारत अपनी तमाम सफलताओं और कमियों के साथ हालिया इतिहास के किसी अन्य व्यक्ति के बजाय मनमोहन सिंह की देन है। उन्हें हमेशा ‘असंभावित’ राजनेता कहा गया लेकिन अपनी तमाम कामयाबियों और नाकामियों के साथ उनका करियर हमें यह याद दिलाता है कि टेक्नोक्रेट भी किसी राजनेता की तरह ही देशों की तकदीर […]

आज का अखबार, लेख

नीति नियम: संस्थाओं की रक्षा है राजनीति की बड़ी चुनौती

लगता है कि अमेरिका को अतिआत्मविश्वास का नतीजा भुगतना पड़ेगा। 2016 में जब डॉनल्ड ट्रंप पहली बार वहां के राष्ट्रपति चुने गए थे तभी से तर्क दिया जा रहा है कि जिस देश की संस्थाएं मजबूत और स्थिर हैं, उस देश की दिशा को स्थायी रूप से बदलने के बहुत कम रास्ते उनके पास हैं। […]

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