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लेखक : मिहिर एस शर्मा

आज का अखबार, लेख

नीति नियम: यह बीस साल पहले वाली भाजपा नहीं

बीस साल पहले केंद्र का तत्कालीन सत्तारूढ़ दल नए सिरे से बहुमत पाने की उम्मीद के साथ आम चुनाव में उतरा था। उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के सबसे पसंदीदा राजनीतिज्ञ थे और विपक्ष का नेतृत्व एक ऐसे नेता के हाथ में था जिसकी काबिलियत के बारे में शायद ही कोई जानता […]

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प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बढ़त पर अमेरिका

कुछ लोगों के लिए यह याद करना मुश्किल हो सकता है लेकिन महज दो दशक पहले अमेरिका और यूरोप का बड़ा हिस्सा प्रति व्यक्ति आय के मामले में तुलनात्मक रूप से एक समान था। यह समानता उनके उत्पादों की प्रतिस्पर्धा तथा उनकी कंपनियों की वैश्विक कद में नजर आती थी। वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान […]

आज का अखबार, लेख

नीति नियम : विदेश नीति से तय होगी दुनिया में चुनावी राह!

हमारे लिए यह याद करना मुश्किल हो सकता है लेकिन पांच साल पहले इसी अवधि के दौरान ऐसा निश्चित नहीं लग रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़े बहुमत के साथ दोबारा निर्वाचित होंगे। उन दिनों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अंदरूनी हलकों में इस बात को लेकर चर्चा चल रही थी कि अगर पार्टी […]

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नीति नियम: AI और नियामकों में बढ़ेगा टकराव!

नियम-कायदे बनाने की कला का एक सार्वभौमिक सत्य यह है कि नियम बनाने वाले अनिवार्य तौर पर तकनीकी विकास के मुकाबले पीछे ही रह जाते हैं। उदाहरण के लिए अमेरिकी सड़कों पर कारें आम होने के दो दशक बाद ही पहला ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य किया गया था। नियम बनाने वालों ने अब इस तथ्य के […]

आज का अखबार, लेख

एक असहज जलवायु गठबंधन

संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन के कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज का 28वां संस्करण यानी कॉप28 की बैठक पिछले दिनों दुबई में संपन्न हो गई। कई जलवायु कार्यकर्ताओं के लिए यह बैठक विफल रही क्योंकि अंतिम संवाद में जो कदम उठाने के वादे किए गए हैं वे कार्बन उत्सर्जन को औद्योगीकरण के पूर्व के स्तर […]

आज का अखबार, लेख

नीति नियम: हेनरी किसिंजर…सफलता से अधिक विफलताएं

हेनरी किसिंजर (Henry Kissinger) के जीवन और प्रभाव को लेकर अधिकांश चर्चा उनके द्वारा कंबोडिया से लेकर वियतनाम और चिली से बांग्लादेश तक की गई बुराइयों अथवा उठाए गए गलत कदमों के इर्द-गिर्द ही घूमती है। इसे तो आसानी से समझा जा सकता है, लेकिन जो कुछ नजरअंदाज किया गया अथवा जिसे बहुत कम करके […]

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नीति नियम: रेल यात्रियों की सुगम यात्रा के बहाने कुछ बातें…

हममें से जो लोग शानदार वंदे भारत ट्रेनों या दो शहरों के बीच अबाध और आरामदेह यात्रा मुहैया कराने वाली शताब्दी के वीडियो से खुशफहमी के शिकार हो गए थे, उन्हें पिछले एक पखवाड़े में सामने आए उन वीडियो ने स्तब्ध कर दिया जिनमें लोग त्योहारी मौसम में घरों को जाने के लिए ट्रेनों में […]

आज का अखबार, लेख

नीति नियम- क्षमता की कीमत पर समता का तर्क

क्या भारत सरकार और राष्ट्रीय नियामकों को यह सोचना चाहिए कि देश के एक तबके की स्थिति में सुधार करने के लिए दूसरे को दंडित करना आवश्यक है? यह न केवल सैद्धांतिक तौर पर विरोधाभासी है बल्कि व्यवहार में भी अतीत में यह देश के आर्थिक विकास के लिए विरोधाभासी साबित हुआ है। इसके बावजूद […]

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नीति नियम: ग्लोबल साउथ और भारत की ख्वाहिश!

हाल के समय में भारत ने खुद को ‘ग्लोबल साउथ’ के नेता के रूप में पेश करने की कोशिश की है। यदि निर्विवाद नेता के रूप में नहीं तो भी वह खुद को कम से कम उसके सबसे मुखर प्रवक्ता के रूप में स्थापित करना चाहता है। प्रश्न यह है कि ग्लोबल साउथ है क्या? […]

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नीति नियम: विश्व शांति में अमेरिकी प्रभुत्व का अंत!

अधिकांश लोगों के लिए यह समझना कठिन होगा कि बीते 75 वर्ष विसंगतियों से भरे हुए थे। युद्ध के बाद के दौर में जो स्थिरता नजर आई है उसे अमेरिका ने पहले सोवियत संघ के साथ एक असहज संतुलन के माध्यम से और उसके पश्चात तीन दशकों तक अपने दम पर रेखांकित किया। पैक्स अमेरिकाना […]

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