Editorial: उच्च शिक्षा में और सुधार जरूरी
शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (एआईएसएचई) के ताजा संस्करण में इस बात को रेखांकित किया गया है कि बीते कुछ वर्षों में देश के उच्च शिक्षा क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण सुधार और वृद्धि देखने को मिली है। सर्वेक्षण के मुताबिक बीते वर्षों में छात्रों के नामांकन में लगातार सुधार हुआ है। […]
Editorial: आत्मविश्वास से भरा बजट
चुनावी साल में केंद्र सरकार को 1 फरवरी को केवल लेखानुदान पेश करना रहता है। सरकार ने प्रमुख नीतिगत प्रस्तावों तथा कर बदलावों को जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया है जब नई सरकार सत्ता में होगी। समय के साथ लेखानुदान ‘अंतरिम बजट’ में बदल गया। इस वर्ष के अंतरिम बजट में पारदर्शिता और […]
भ्रष्टाचार: भारत की प्रगति में बाधा
ट्रांसपैरेंसी इंटरनैशनल के नवीनतम भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (सीपीआई) से पता चलता है कि 2023 में देश में सरकारी क्षेत्र का भ्रष्टाचार एक मुद्दा रहा। वर्ष 2022 में जहां देश को 180 देशों में 85वां स्थान मिला था, वहीं इस वर्ष वह फिसलकर 93वें स्थान पर चला गया है। यह रैंकिंग सापेक्ष स्थिति दर्शाती है। देश […]
Editorial: आर्थिक सुधारों से मजबूत हुई अर्थव्यवस्था, लेकिन चुनौतियां भी
आर्थिक मामलों के विभाग ने सोमवार को बीते एक दशक में देश के आर्थिक प्रदर्शन की समीक्षा प्रस्तुत की। यह हर वर्ष आने वाली आर्थिक समीक्षा नहीं है। उसे तो लोक सभा चुनाव के बाद पेश होने वाले पूर्ण बजट के पहले प्रस्तुत किया जाएगा। अर्थव्यवस्था की समीक्षा में उन सुधारों को प्रमुखता से पेश […]
Editorial: नीतीश कुमार की NDA में वापसी, अधर में लटका ‘इंडिया’ का भविष्य!
लोकसभा चुनाव के पहले नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच तीसरी बार गठबंधन हुआ है लेकिन लगता नहीं कि इससे बिहार की तकदीर में कोई बदलाव आएगा। एक बार फिर भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ समझौता करके उन्होंने नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके राजग और […]
Editorial: निजी क्षेत्र के बैंकों पर मार्जिन का दबाव
वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही में निजी क्षेत्र के कई बैंकों के नतीजे ऐसे रुझान दर्शाते हैं जो शायद समूचे क्षेत्र पर लागू हों। विशुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) में साफ तौर पर कमी देखी जा सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा की गई अनिवार्यता के मुताबिक ही बैंक वैकल्पिक निवेश फंड जोखिम के विरुद्ध […]
Editorial: टेलीकॉम सेक्टर में शुल्क दरें बढ़ाने के तर्क
रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के तिमाही नतीजों के बाद की टिप्पणियों ने फिर से इस बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया है कि देश में दूरसंचार की दरों को तर्कसंगत बनाए जाने की आवश्यकता है। इसकी तात्कालिक वजह रिलायंस जियो की बढ़ती ग्राहक संख्या के साथ ही प्रति उपयोगकर्ता मासिक औसत राजस्व (एआरपीयू) का सपाट होना […]
Editorial: प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना और नई चुनौतियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 22 जनवरी को प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना की शुरुआत की घोषणा की। इस योजना का लक्ष्य एक करोड़ घरों की छतों (रूफटॉप) पर सोलर पैनल लगाने की है। इस नीति की विस्तृत जानकारी अभी सामने आनी है लेकिन इसका व्यापक लक्ष्य एकदम स्पष्ट है: गरीब और मध्य वर्ग के परिवारों को […]
Editorial: दीर्घकालिक वृद्धि पर असर और सुधार की बहस
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष में 7.3 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है जबकि वर्ष 2022-23 में इसने 7.2 फीसदी की दर से वृद्धि हासिल की थी। अभी कुछ तिमाही पहले तक अर्थव्यवस्था अधिकांश विश्लेषकों के अनुमान से तेज गति से बढ़ रही […]
Editorial: इक्विटी फंडों का आकलन सही कदम
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इक्विटी म्युचुअल फंड योजनाओं का व्यापक स्ट्रेस टेस्ट ( फंडों का यह आकलन कि क्या वे शेयरों की बिक्री की स्थिति में भुगतान की स्थिति में हैं) करने तथा खतरनाक हालात से निपटने के उपाय अपनाने की दिशा में काम कर रहा है। बाजार नियामक की यह अपेक्षाकृत नई […]
 
         
    









