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लेखक : अमिता बत्रा

आज का अखबार, लेख

वैश्विक व्यापार के रुझान और बजट-2024 में किए गए उपायों को और व्यापक और समावेशी बनाने की जरूरत

वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में कुछ वस्तुओं पर सीमा शुल्क में छूट दी गई है और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के इस्तेमाल से जुड़े नियम सरल बनाए गए हैं, जो व्यापार नीति के लिहाज से सकारात्मक उपाय हैं। जरूरी यह है कि इस निरंतरता को बनाए रखा जाए और वादे के मुताबिक अगले छह […]

आज का अखबार, लेख

गहन व्यापार समझौतों को प्राथमिकता

यह बात उत्साह बढ़ाने वाली है कि वाणिज्य मंत्रालय ने मई में चिंतन शिविर का आयोजन किया ताकि भविष्य के मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के लिए होने वाली वार्ताओं के लिए रणनीतियां और मानक परिचालन प्रक्रिया तैयार की जा सकें। यह समय पर की गई पहल है क्योंकि यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम के साथ […]

आज का अखबार, लेख

श्रीलंका और बांग्लादेश का रुख क्षेत्रीय व्यापार समझौते के जरिये पूर्व की ओर

दक्षिण एशिया के छोटे देश द्विपक्षीय एवं बड़े क्षेत्रीय व्यापार समझौते के जरिये पूर्व की ओर रुख कर रहे हैं जिसका परिणाम होगा कि इन देशों के व्यापार पर चीन का दबदबा बढ़ता जाएगा। बता रही हैं अमिता बत्रा पिछले महीने के शुरू में श्रीलंका में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा था कि क्षेत्रीय […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: इंडोनेशिया के हालात पाकिस्तान से बढ़िया

दक्षिण एशिया के दो देशों इंडोनेशिया और पाकिस्तान में पिछले महीने राष्ट्रीय चुनाव हुए जिनके परिणाम सत्ता बदलने वाले रहे। दुनिया के चौथे और पांचवें सबसे बड़ी आबादी वाले ये देश सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश भी हैं। दोनों देश आजादी के बाद अलग-अलग दौर में तकरीबन समान अवधि यानी तीन दशकों तक सैन्य […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: भारत के लिए आसियान की अहमियत

आसियान- भारत वस्तु व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की समीक्षा इसी माह होनी है। देश का उद्योग जगत लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था। वह समझौते के प्रावधानों में संशोधन चाहता है ताकि द्विपक्षीय व्यापार संतुलन, जो आसियान के पक्ष में है, उसे कम किया जा सके या पलटा जा सके। गत नवंबर में समीक्षा […]

आज का अखबार, लेख

वैश्विक व्यापार का लेखा-जोखा

व्यापार नीति के लिहाज से पिछला वर्ष हितकारी नहीं रहा है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रावधानों के अनुरूप व्यापक आर्थिक एकीकरण की दिशा में कुछ सकारात्मक बदलाव जरूर हुए। परंतु, नियम आधारित व्यवस्था के विपरीत हुईं व्यापारिक गतिविधियों से इन सकारात्मक बदलावों का महत्त्व कम हो जाता है। विशेषकर, अमेरिका के नेतृत्व में विकसित […]

अर्थव्यवस्था, आज का अखबार, लेख

आपूर्ति श्रृंखला में विविधता और लचीलेपन की सीमाएं

पिछले महीने के आरंभ में इंडो-पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) के सभी चार सदस्य देशों ने आपूर्ति श्रृंखला समझौते पर हस्ताक्षर किए। आईपीईएफ की शुरुआत के 18 महीनों के भीतर ऐसा होना सराहनीय है। हाल में घटी भूराजनीतिक घटनाओं और व्यापक झटकों ने आपूर्ति श्रृंखला के कामकाज को बहुत अधिक अव्यवस्थित किया जिसका असर वस्तुओं एवं […]

आज का अखबार, लेख

निवेशकों की दिलचस्पी होने भर से नहीं बनेगी बात

भारत में निवेश से जुड़ी संभावनाएं तो अपार हैं परंतु प्रतिस्पर्धा भी तीक्ष्ण है और इसे ध्यान में रखते हुए उसे अपनी व्यापार नीति उदार बनाने की आवश्यकता है। बता रही हैं अमिता बत्रा इस महीने के शुरू में ताइवान की राजधानी ताइपे में मुझे शिक्षाविदों, विचारकों और कारोबारी समूहों के साथ चीन पर चर्चा […]

आज का अखबार, लेख

आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहे हैं भारत के पड़ोसी देश

विकास की प्रक्रिया में श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान की कमजोरी सामने आ चुकी है। इस विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान कर रही हैं अमिता बत्रा यदि हम पीछे मुड़कर देखें तो इस वर्ष भारत ‘वैश्विक गरीब देशों की आवाज’ बनकर उभरा है। यह बात जी20 शिखर बैठक के आर्थिक एजेंडे पर वापस आने में […]

आज का अखबार, लेख

मुक्त व्यापार समझौते: सीखने होंगे सबक

भारत को अपने समान देशों का अनुकरण करना चाहिए और अपने मुक्त व्यापार समझौतों के लिए होने वाली बातचीत में लचीला रुख अपनाना चाहिए। बता रही हैं अमिता बत्रा बीते दो महीनों के दौरान ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ भारत की मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) संबंधी बातचीत में जो विवादित तथ्य रहे हैं उनमें […]

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