कपड़ा उद्योग से लेकर रियल एस्टेट तक की दिग्गज कंपनी रेमंड को 13 नवंबर के बाद से 1,500 करोड़ रुपये के बाजार मूल्यांकन का नुकसान हुआ है, जब इसके चेयरमैन गौतम सिंघानिया ने पिछले सप्ताह सोशल मीडिया पर अपनी पत्नी और निदेशक मंडल में निदेशक नवाज मोदी से अलग होने की घोषणा की थी।
बुधवार को रेमंड का शेयर चार प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,676 रुपये पर बंद हुआ। इससे कंपनी का कुल बाजार मूल्यांकन 11,161 करोड़ रुपये रह गया।
सिंघानिया परिवार के पास कंपनी की आधी हिस्सेदारी है। 13 नवंबर को अलग होने की खबर सार्वजनिक होने के बाद से इस हिस्सेदारी का मूल्य 12 प्रतिशत कम हो चुका है।
मंगलवार को मीडिया के साथ साक्षात्कार में मोदी ने कंपनी में कॉर्पोरेट प्रशासन की खामियों का भी आरोप लगाया और दावा किया कि 8 नवंबर को हुई निदेशक मंडल की बैठक में उन्होंने कुछ ऐसे मसले उठाए थे, जो ‘संदेहास्पद’ थे, जहां कंपनी के पैसे का दुरुपयोग किया गया था। आठ सदस्यों वाले निदेशक मंडल में सिंघानिया, मोदी और समूह अध्यक्ष एसएल पोखरना के अलावा पांच स्वतंत्र निदेशक हैं।
मोदी ने अखबार द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया। संपर्क करने पर सिंघानिया ने कहा ‘अपनी दो प्यारी बेटियों के हित में और अपने परिवार की गरिमा का सम्मान करते हुए मैं किसी भी टिप्पणी से दूर रहूंगा।’
मोदी ने यह भी आरोप लगाया कि सिंघानिया उन्हें निदेशक के रूप में निदेशक मंडल से हटाने की कोशिश कर रहे थे। दिवाली की पूर्व संध्या पर कंपनी के एक कार्यक्रम में प्रवेश से इनकार किए जाने के बाद मुंबई के पास ठाणे में रेमंड की फैक्टरी के गेट पर उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया था।
एक कानूनी जानकार ने कहा कि दोनों पक्ष व्यक्तिगत तौर पर इस मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं और जल्द इसका समाधान निकलने की संभावना है।
मोदी और उनकी दो बेटियों ने सिंघानिया परिवार की संपत्तियों में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी मांगी है। दूसरी तरफ, सिंघानिया ने एक ट्रस्ट ढांचा सुझाया है।
पारिवारिक टकराव के बावजूद, कंपनी ने सितंबर तिमाही में अच्छे नतीजे पेश किए। यह लगातार ऐसी 7वीं तिमाही थी जिसमें कंपनी ने राजस्व और एबिटा, दोनों के संदर्भ में शानदार प्रदर्शन दर्ज किया।
कंपनी के एक बयान के अनुसार, उसका राजस्व सितंबर तिमाही में 6 प्रतिशत बढ़कर 2,321 करोड़ रुपये रहा और 16.5 प्रतिशत का एबिटा मार्जिन दर्ज किया गया। त्योहारी और विवाह सीजन में विलंब की वजह से उपभोक्ता खर्च चक्र सुस्त रहने के बावजूद कंपनी का प्रदर्शन मजबूत रहा।