निफ्टी-50 इंडेक्स सोमवार को कारोबारी सत्र के दौरान 20,000 के स्तर को छू गया और अगले दो महीने यानी दीवाली तक यह 21,000 के स्तर को छूने के लिहाज से पटरी पर है। तकनीकी विश्लेषकों ने कहा, इस तरह से निफ्टी में मौजूदा स्तर से 5 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
हालांकि इस बीच रुक-रुककर गिरावट हो सकती है, जिसके बारे में विश्लेषकों का कहना है कि इसका इस्तेमाल शेयरों की खरीद के लिए किया जा सकता है।
जेएम फाइनैंशियल सर्विसेज के तकनीकी व डेरिवेटिव शोध प्रमुख राहुल शर्मा ने कहा, पिछले कुछ दिन ऐसे तेजी के बाजार का प्रमाण है। अच्छी चीज यह है कि सूचना प्रौद्योगिकी, कैपिटल गुड्स और पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (पीएसबी) के शेयरों में नई लीडरशिप देखने को मिली है। सबसे ज्यादा दबाव में रहा बीएफएसआई क्षेत्र सकारात्मक रुख की ओर लौट आया है। हम इस महीने निफ्टी के 20,432 के स्तर पर पहुंचने और फिर दीवाली तक 21,000 के स्तर को छूने की राह पर हैं।
इस कैलेंडर वर्ष में अब तक एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50 में अच्छी तेजी देखने को मिली है और दोनों सूचकांक इस अवधि में करीब 10 फीसदी चढ़े हैं। एसऐंडपी बीएसई मिडकैप और एसऐंड बीएसई स्मॉलकैप सूचकांकों ने उम्दा प्रदर्शन किया है और आंकड़े बताते हैं कि इनमें क्रमश: 30 फीसदी व 34 फीसदी की उछाल दर्ज हुई है।
शेयरखान बाई बीएनपी पारिबा के तकनीकी शोध विश्लेषक जतिन गादिया ने कहा, रोजाना के तकनीकी चार्ट के मुताबिक, बाजार की हालिया तेजी बताती है कि अभी भी तेजी का रुख बना हुआ है और सकारात्मक रफ्तार जारी रहने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, रोजाना और घंटे के लिहाज से दिखने वाली चाल के संकेतक कीमत की रफ्तार से मेल खा रहे हैं। ऊपर की ओर हम निफ्टी को अल्पावधि के लिहाज से 21,000 के स्तर पर पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि निफ्टी 50 के लिए 19,865-19,810 समर्थन का अहम स्तर है, वहीं 20,200-20,250 का स्तर तात्कालिक अवरोध के तौर पर काम करेगा।
मजबूत निवेश
इस बीच, कैलेंडर वर्ष 2023 के नौ महीने में रही तेजी विदेशी निवेश से आगे बढ़ी है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस वर्ष अब तक भारतीय इक्विटी में 1,31,703 करोड़ रुपये का निवेश किया है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन्होंने 1,70,555 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी। उधर, म्युचुअल फंडों का निवेश इस दौरान 80,108 करोड़ रुपये और देसी संस्थानों का 1,15,755 करोड़ रुपये रहा है।
सितंबर में हालांकि एफपीआई ने 5,558 करोड़ रुपये की निकासी की है। वाटरफील्ड एडवाइजर्स के निदेशक केदार कदम के मुताबिक, इसकी वजह अमेरिका में बढ़ता ट्रेजरी प्रतिफल और अमेरिकी डॉलर में मजबूती है। बाजारों का रुख मोटे तौर पर तेजी का है, लेकिन कदम का अनुमान है कि जल्द ही मुनाफावसूली देखने को मिलेगी, जिसका इस्तेमाल निवेशकों को लंबी अवधि के लिहाज से खरीदारी के लिए करना चाहिए।
कदम ने कहा, बाजार की इस तेजी को लेकर जोखिमों में महंगाई, मौसम के हालात, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, वैश्विक वृद्धि की रफ्तार में नरमी और देसी निर्यात पर इसके असर व भूराजनीतिक तनाव में बढ़ोतरी शामिल है। उन्होंने कहा, हम लंबी अवधि के लिहाज से कंपनी जगत की आय व अर्थव्यवस्था की वृद्धि को लेकर आशावादी बने हुए हैं। बाजार में मुनाफावसूली के कारण होने वाली गिरावट खरीदारी का मौका होगा।