Trump’s Auto tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने बुधवार को ऑटो आयात (Auto Imports) पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया। व्हाइट हाउस के इस फैसले के बाद भारतीय ऑटो सेक्टर में काफी उथल-पुथल है। इसका असर ऑटोमोबाइल कंपनियों और कम्पोनेंट बनाने वाली कंपनियों के स्टॉक्स में तेज गिरावट के तौर पर देखने को मिला। गुरुवार (27 मार्च) को शुरुआत कारोबार में ही ऑटो शेयरों (Auto Stocks) में तेजी से फिसल गए। सबसे ज्यादा दबाव टाटा मोटर्स (Tata Motors) में करीब 7 फीसदी की गिरावट रही। वहीं, ऑटो कम्पोनेंट बनाने वाली दिग्गज कंपनियां जैसेकि मसदसन संवर्धन, उनो मिंडा, बालकृष्ण इंडस्ट्रीज में भी 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। इंडस्ट्री के जानकार मान रहे हैं कि अमेरिकी टैरिफ से भारतीय ऑटो कम्पोनेंट मैन्यूफैक्चरर्स को ज्यादा दिक्कज झेलनी पड़ सकती है, क्योंकि उनका अमेरिका को निर्यात काफी अधिक है।
बता दें, ट्रंप ने आयातित वाहनों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की बुधवार को घोषणा की। यह 2 अप्रैल से प्रभावी हो जाएगा। मई तक प्रमुख ऑटोमोटिव पार्ट्स जैसेकि इंजन एवं इंजन पार्ट्स, ट्रांसमिशन व पावरट्रेन पार्ट्स, और इलेक्ट्रिकल कम्पोनेट के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लागू होने की आशंका है।
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नाम उजागर न करने की शर्त पर इंडस्ट्री के एक एग्जीक्यूटिव ने बताया कि अमेरिकी टैरिफ से भारतीय ऑटो कम्पोनेंट्स इंडस्ट्री को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि यहां से अमेरिका को निर्यात काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि भारतीय व्हीकल्स मैन्यूफैक्चरर पर इसका असर कम पड़ने की संभावना है, क्योंकि भारत से अमेरिका को पूरी तरह से मैन्यूफैक्चर गाड़ियों का कोई सीधा निर्यात नहीं होता है।
इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का अमेरिका को भारतीय ऑटो कम्पोनेंट्स का निर्यात 6.79 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि अमेरिका से देश का आयात 15 फीसदी शुल्क पर 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर था। ट्रंप के बुधवार के ऐलान से पहले अमेरिका आयातित पार्ट्स पर करीब ‘शून्य’ टैरिफ लगाता था। इंडस्ट्री के एक अन्य एग्जीक्यूटिव ने कहा कि फिलहाल इंजन पार्ट्स, पावर ट्रेन तथा ट्रांसमिशन हमारी सबसे बड़ी निर्यात वस्तुएं हैं।
विंडमिल कैपिटल के सीनियर डायरेक्टर एंड स्मालकेस मैनेजर नवीन केआर का कहना है, भारत ने साल 2024 में करीब 6.7 लाख वाहन का निर्यात किया, जो देश की कुल ऑटोमोबाइल बिक्री का 15-16% है। मारुति सुज़ुकी और किआ मोटर्स जैसी कंपनियां अब निर्यात को ग्रोथ के लिए एक प्रमुख स्ट्रैटजी बना रही हैं। पहले भारत के वाहन मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे विकासशील देशों में भेजे जाते थे, लेकिन अब ये जापान जैसे विकसित बाजारों तक पहुंच बना रहे हैं, जो भारतीय वाहनों की गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मकता में बढ़ोतरी को दर्शाता है।
जहां भारत के वाहन अब कई विकसित देशों में जा रहे हैं, वहीं अमेरिका को निर्यात अभी भी बहुत कम है। यूनाइटेड नेशंस COMTRADE डेटा के मुताबिक, भारत ने 2023 में अमेरिका को केवल $37.11 मिलियन के वाहन निर्यात किए। इसी कारण अगर अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाया भी जाता है, तो इसका भारतीय वाहन निर्माताओं पर सीधा प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहेगा।
नवीन केआर कहते हैं, भारत ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया, यूएई और यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन (EFTA) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) किए हैं। इन समझौतों से भारतीय ऑटोमोबाइल निर्यात को नया बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। हालांकि, अमेरिका के नए 25% आयात शुल्क का असर टाटा मोटर्स के स्वामित्व वाली लक्ज़री कार कंपनी Jaguar Land Rover (JLR) जैसी कंपनियों पर पड़ सकता है, जो अमेरिकी बाजार में एक्टिव हैं।
उनका कहना है, भारत की Tier-1 और Tier-2 ऑटो कंपोनेंट कंपनियां, जो अमेरिका को निर्यात पर निर्भर हैं, उनके लिए यह कीमत प्रतिस्पर्धा की चुनौती खड़ी कर सकता है। लेकिन भारत में 5% से 15% के बीच की कम आयात शुल्क दरें भारतीय कंपनियों को कीमतों में लचीलापन बनाए रखने में मदद देती हैं। ऐसे में भारतीय सप्लायर्स अभी भी मेक्सिको और चीन जैसे देशों के मुकाबले ज्यादा किफायती साबित हो सकते हैं, खासकर जब इन देशों में भूराजनीतिक अस्थिरता और लागत को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
असित सी मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स के रिसर्च एनॉलिस्ट (ऑटो एंड एफएमसीजी) मृनमयी जोगलेकर का कहना है, भारत के वाहन निर्यात के लिए अमेरिका कोई बहुत बड़ा एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन नहीं है। हालांकि, टाटा मोटर्स को अपनी सहायक कंपनी जगुआर लैंड रोवर (JLR) के कारण ट्रंप टैरिफ के असर का सामना करना पड़ सकता है। जेएलआर (JLR) ने चालू वित्त वर्ष के नौ महीने (9MFY25) में अपनी बिक्री का 30% से ज्यादा अमेरिकी बाजार से हासिल किया। अमेरिका में कोई मैन्यूफैक्चरिंग सुविधा नहीं होने के चलते JLR के सभी वाहनों पर टैरिफ लगेगा। यह कंपनी की प्राइसिंग और प्रॉफिटेबिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं।
उनका कहना है, भारतीय ऑटो कम्पोनेंट इंडस्ट्री के लिए अमेरिका एक प्रमुख निर्यात बाजार बना हुआ है। FY24 में कुल निर्यात में 27% का योगदान यूएस मार्केट का रहा। इंजन, ट्रांसमिशन, पावरट्रेन और इलेक्ट्रिकल पार्ट्स जैसे प्रमुख कम्पोनेंट पर टैरिफ की उम्मीद है। इसका सोना कॉमस्टार (उत्तरी अमेरिका से करीब 43% रेवेन्यू) और संवर्धन मदरसन (करीब 18% रेवेन्यू) जैसी कंपनियों पर ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है।
JATO डायनेमिक्स इंडिया के प्रेसिडेंट एवं डायरेक्टर रवि जी भाटिया ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ में भारत को निशाना नहीं बनाया गया है, यह टैरिफ भारत के प्रतिस्पर्धियों पर भी लागू होता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह कदम निश्चित रूप से प्रभाव डालेगा, लेकिन यह कोई ‘सुनामी’ के समान नहीं है। यह बहुत बड़ा झटका नहीं है और भारतीय सप्लायर्स अमेरिका में अपनी बाजार हिस्सेदारी बरकरार रखने का मार्ग तलाश लेंगे।’’
भाटिया ने कहा कि जिस तरह की स्थिति बन रही है, उसे देखते हुए किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगा। उन्होंने विश्वास जताया किया कि भारत की लो कॉस्ट मैन्यूफैक्चरिंग और भी ज्यादा लाभकारी हो जाएगी, क्योंकि टैरिफ क में 25 फीसदी की बढ़ोतरी से अमेरिका में वाहनों की कीमतें बढ़ेंगी। हालांकि इससे भारतीय ऑटोमेकर्स जो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स सहित नए प्रोडक्ट के साथ अमेरिकी बाजार और वैश्विक स्तर पर विस्तार की राह तलाश रहीं है..वे अपनी योजनाओं पर दोबारा विचार कर सकती हैं।
इंडस्ट्री के एक अन्य एग्जीक्यूटिव ने कहा कि कुछ अग्रणी ऑटो कम्पोनेंट मैन्यूफैक्चरर्स ने उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते (NAFTA) का लाभ उठाने व अमेरिका को कलपुर्जे की आपूर्ति करने के लिए मैक्सिको और कनाडा में प्लांट स्थापित किए हैं। इनमें मदरसन ग्रुप भी शामिल है, जो इस सेक्टर में देश की अग्रणी कंपनियों में से एक है। इस समूह से हालांकि इस घटनाक्रम पर तत्काल टिप्पणी नहीं हासिल की जा सकी। हालांकि, संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल लिमिटेड के निदेशक लक्ष्य वामन सहगल ने तीसरी तिमाही की आय संबधी जानकारी देते हुए कहा था कि मदरसन के पास वैश्विक स्तर पर लोकल स्ट्रैटेजी है, जिसमें उसके ग्राहकों के पास ही मैन्यूफैक्चरिग प्लांट लगाना शामिल है।
हालांकि, ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) और सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने इस घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं की।
ट्रंप के टैरिफ का भारतीय कम्पोनेंट बनाने वाली कंपनियों के बिजनेस पर कितना असर होगा, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। लेकिन, इन कंपनियों के शेयरों पर असर जरूर देखने को मिला। गुरुवार को ऑटो पार्ट्स और कम्पोनेंट बनाने वाली कंपनियों के स्टॉक्स फिसल गए।
शुरुआती कारोबार में भारत फोर्ज लिमिटेड में सबसे ज्यादा गिरावट आई। ऑटो कम्पोनेंट बनाने वाली कंपनी के शेयर बीएसई पर 4.28% तक गिर गए। इसके अलावा बॉश लिमिटेड में 2.33%, संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल में 8%, मदरसन सुमी वायरिंग इंडिया में 1.23%, सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिजन फोर्जिंग्स में 6.69%, एंड्योरेंस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड में 2%, वैरोक इंजीनियरिंग लिमिटेड में 2.46% और उनो मिंडा में 2.57% की गिरावट आई।
टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद गुरुवार सुबह के कारोबार में ऑटो शेयरों (Auto Stocks) में गिरावट देखने को मिली। सबसे ज्यादा दबाव टाटा मोटर्स (Tata Motors) के शेयरों पर देखा गया। टाटा मोटर्स के शेयर 6.58% टूटकर BSE पर ₹661.35 पर आ गए। अशोक लीलैंड (Ashok Leyland) में 4.60% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) के शेयर 1.70% फिसले। बजाज ऑटो (Bajaj Auto) के शेयरों में 1.48% और अपोलो टायर्स (Apollo Tyres) में 1.41% की गिरावट देखी गई।
व्हाइट हाउस का अनुमान है कि इस टैरिफ से अमेरिका को 100 अरब डॉलर सालाना का रेवेन्यू हासिल होगा। हालांकि, यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है क्योंकि अमेरिकी ऑटो कंपनियां भी अपने कई कंपोनेंट्स दुनियाभर से मंगवाते हैं। ट्रंप का तर्क है कि इन टैरिफ से अमेरिका में और फैक्ट्रियां खुलेंगी।
दूसरी ओर, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने इस ट्रंप टैरिफ को उनके देश पर एक “सीधा हमला” बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह ट्रेड वार अमेरिकियों को नुकसान पहुंचा रहा है, क्योंकि अमेरिकी उपभोक्ताओं का भरोसा कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गया है।
अमेरिकी प्रशासन 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप वैसे तो कई बार कह चुके हैं कि भारत को उसके ऊंचे टैरिफ स्ट्रक्चर की वजह से कोई विशेष रियायत नहीं दी जाएगी, लेकिन पिछले कुछ दिनों में उन्होंने अपना रुख कुछ नरम किया है। किसी देश का नाम लिए बिना ट्रंप ने कहा कि 2 अप्रैल को कई देशों को कुछ छूट दी जाएगी।
दूसरी ओर, इस समय भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (bilateral trade agreement) को अंतिम रूप देने के लिए गहन चर्चा चल रही है। दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (USTR) के सहायक प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच (Brendan Lynch) अमेरिकी अधिकारियों की एक टीम के साथ 25 मार्च से पांच दिवसीय भारत दौरे पर हैं, जहां वे भारतीय पक्ष के साथ बैठकें कर रहे हैं। द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर वार्ता मंगलवार को शुरू हुई।
(एजेंसी इनपुट के साथ)