आज सेवानिवृत हो रहे सारस्वत ने कहा कि डीआरडीओ को इस विमान को स्वदेशी तकनीक से विकसित करने के लिए शून्य से प्रारंभ करना पड़ा क्यांकि देश में विनिर्माण आधार नहीं था।
उन्होंने कहा कि अब काफी हद तक ये मुद्दे हल कर लिए गए हैं और इस लड़ाकू विमान के अन्य संस्करण कुछ ही समय में विकसित किए जा सकते हैं।
उन्होंने प्रेस ट्रस्ट से साक्षात्कार में कहा, शून्य से काम शुरू करने की वजह से हमें कठिन प्रयास करने पड़े। हमें सारे उत्पाद विकसित करने पड़े। दूसरे देशों में ऐसी समस्या नहीं है क्योंकि वहां हर चीज उपलब्ध है जबकि हमें हर चीज विकसित करनी पड़ी।
डीआरडीओ प्रमुख ने यह बात उस समय कही जब उनसे एलसीए कार्यक्रम में विलंब पर स्पष्टीकरण मांगा गया। एलसीए कार्यक्रम शुरू होने के बाद करीब तीन दशक में भी फलीभूत नहीं हो पाया।
जारी भाषा
 
                   
                   
                   
                   
                  